कौन आया है अजनबी देखो !
खुशनुमाँ आज जिन्दगी देखो II
ध्यान देना ज़रा नजर भरके !
बैठ कर खूब सादगी देखो II
देख लो ठोक औ बजा करके I
ठीक सा कोइ आदमी देखो II
प्यार का अब हुआ असर ऐसा !
आप इसकी नई कमी देखो !!
हर तरफ चल रही सफाई है !
पर फिजाओं में गंदगी देखो !!
देखिये बँट रही मिठाई है !
कौन है फिर यहाँ दुखी देखो !!
जीत ली प्यार से मुहब्बत भी !
आज आलोक की ख़ुशी देखो…
Added by Alok Mittal on November 1, 2014 at 4:00pm — 14 Comments
साड़ी में जैसे फाल लगी
डाली में जैसे डाल लगी
मैं भी कुछ खिल जाउंगा
वो आके जब गाल लगी
धीरे से पाती खोल रहीं
तबले पे जैसे ताल लगी
नज़रों की चोली ओढ़ेगी
मालों में जो माल लगी
असीर हैं अनचाहे हम
मछली का वो जाल लगी
इत्र गुलाबी खुशबू फैली
पूजा का वो थाल लगी
अजब सलीके कत्ल किया
चैन की वो ही काल लगी
गाली भी खिल जाएगी
मुखड़े से जब…
ContinueAdded by anand murthy on November 1, 2014 at 1:30pm — 5 Comments
क्षणिकाएँ...
1.घन गरजे घनघोर
तिमिर चहुँ ओर
तृण-तृण से तन बहे
करके सब कुछ शांत
मेह हो गया शांत
..........................
2. सावन की फुहार
सृजन की मनुहार
रंगों का अम्बार
आयी बहार
हुआ धरा का
पुष्पों से शृंगार
.......................
3.बुझ गयी
कुछ क्षण जल कर
माचिस की तीली सी
जंग लड़ती साँसों से
असहाय ये काया
.........................
4.हर शाख पर
शूल ही शूल
फिर भी महके…
Added by Sushil Sarna on November 1, 2014 at 1:15pm — 18 Comments
१२२ १२२ १२२ १२२
नहीं पाँव दिखते जहाँ पर खड़े हो
बताओ जरा क्या तुम इतने बड़े हो?
उड़ाया जिसे ठोकरों से हटाया
उसी ख़ाक के तुम छलकते घड़े हो
जमाना नया है नयी नस्ल आई
पुराने चलन पर अभी तक अड़े हो
झुकी कायनातें झुका आसमां तक
न सोचो खुदी को फ़लक पे जड़े हो
वही रास्ते हैं वही मंजिलें हैं
वही कारवाँ है मगर तुम छड़े हो
जहाँ है मुहब्बत वहीँ हैं उजाले
निहाँ तीरगी है जहाँ गिर पड़े हो…
ContinueAdded by rajesh kumari on November 1, 2014 at 12:45pm — 32 Comments
जी उठा मन” - गीतिका
जी उठा मन आज फिर से रात चंदा देखकर |
थक गई थी प्रीत जग की रीत भाषा देखकर |
इक किरण शीतल सरल सी जब बढ़ी मेरी तरफ ,
झनझनाते तार मन उज्वल हुआ सा देखकर |
छू लिया फिर शीश मेरा संग बैठी देर तक ,
खूब बातें कर रही थी मुस्कुराता देखकर |
प्यार से बोली किरण फिर संग तुम मेरे चलो ,
राह रोशन कर रही थी साथ भाया देखकर |
चांदनी का चीर…
Added by Chhaya Shukla on November 1, 2014 at 10:00am — 19 Comments
1222 1222 1222 1222
मेरी हर शायरी में हर ग़ज़ल में आप ही तो हैं
मेरे हर नज़्म की होती पहल में आप ही तो हैं
मुझे तो ज़िन्दगी के रंग सारे ठीक लगते थे
किसी भी रंग के रद्दोबदल में आप ही तो हैं
मैं कितनी भी रखूँ दूरी हमेशा पास में हो आप
मेरे दिल में बना है उस महल में आप ही तो हैं
ये दुनिया है यहाँ ज़ह्राब भी शामिल है आँसू भी
मेरी आँखों से बहते इस तरल में आप ही तो हैं
अलग कब आप हो…
ContinueAdded by गिरिराज भंडारी on November 1, 2014 at 8:00am — 27 Comments
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