For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

Shikha kaushik's Blog – November 2012 Archive (8)

औरत के पास तो सिर्फ बदन होता है

Muslim_man : Muslim Arabic couple inside the modern mosque Stock Photo stock photo : Young brunette beauty or bride, behind a white veil

मर्द बोला हर एक फन मर्द में ही होता है ,

औरत के पास तो सिर्फ बदन होता है .



फ़िज़ूल बातों में वक़्त ये करती जाया ,

मर्द की बात में कितना वजन होता है !



हम हैं मालिक हमारा दर्ज़ा है उससे ऊँचा ,

मगर द्गैल को ये कब सहन होता है ?



रहो नकाब में तुम आबरू हमारी हो ,

बेपर्दगी से बेहतर तो कफ़न होता है .



है औरत बस फबन मर्द के घर की 'नूतन'

राज़ औरत के साथ ये भी दफ़न होता है…

Continue

Added by shikha kaushik on November 27, 2012 at 1:30pm — 9 Comments

परिवार की इज्ज़त -लघु कथा

'स्नेहा....स्नेहा ....' भैय्या  की कड़क आवाज़ सुन स्नेहा रसोई से सीधे उनके कमरे में पहुंची .स्नेहा से चार साल बड़े आदित्य  की आँखें  छत  पर घूमते पंखें पर थी और हाथ में एक चिट्ठी थी .स्नेहा के वहां पहुँचते ही आदित्य ने घूरते हुए कहा -''ये क्या है ?' स्नेहा समझ गयी मयंक की चिट्ठी भैय्या के हाथ लग गयी है .स्नेहा ज़मीन की ओर देखते हुए बोली -'भैय्या मयंक बहुत अच्छा ....'' वाक्य पूरा कर भी न पायी थी  कि   आदित्य ने  जोरदार तमाचा उसके गाल पर जड़ दिया और स्नेहा चीख पड़ी ''…

Continue

Added by shikha kaushik on November 24, 2012 at 10:30pm — 7 Comments

शौहर की मैं गुलाम हूँ बहुत खूब बहुत खूब

 stock photo : Portrait of a cute young woman Saudi Arabian stock photo : Beautiful brunette portrait with traditionl costume. Indian style

 

शौहर की मैं गुलाम हूँ  बहुत खूब बहुत खूब ,

दोयम दर्जे की इन्सान हूँ  बहुत खूब बहुत खूब .

 

कर  सकूं उनसे बहस बीवी को इतना हक कहाँ !

रखती बंद जुबान हूँ  बहुत खूब बहुत खूब !

 

उनकी नज़र में है यही औकात इस नाचीज़ की ,

तफरीह का मैं सामान…

Continue

Added by shikha kaushik on November 23, 2012 at 12:30pm — 16 Comments

अपमानों के अंधड़ झेले ; छल तूफानों से टकराए

अपमानों के अंधड़ झेले ;

छल तूफानों से टकराए ,

कंटक पथ पर चले नग्न पग

तब हासिल हम कुछ कर पाए !



आरोपों की कड़ी धूप में

खड़े रहे हम नंगे सिर ,

लगी झुलसने आस त्वचा थी

किंचित न पर हम घबराये !



व्यंग्य-छुरी दिल को चुभती थी ;

चुप रहकर सह जाते थे ,

रो लेते थे सबसे छिपकर ;

सच्ची बात तुम्हे बतलाएं !



कई चेहरों से हटे मखौटे ;

मुश्किल वक्त में साथ जो छोड़ा ,

नए मिले कई हमें हितैषी

जो जीवन में खुशियाँ लाये… Continue

Added by shikha kaushik on November 21, 2012 at 11:19pm — 9 Comments

मुझे ऐसे न खामोश करें

 

 

आज मुंह खोलूंगी मुझे ऐसे न खामोश करें ,

मैं भी इन्सान हूँ मुझे ऐसे न खामोश करें !

तेरे हर जुल्म को रखा है छिपाकर दिल में ,

फट न जाये ये दिल कुछ तो आप होश करें !…

Continue

Added by shikha kaushik on November 15, 2012 at 7:02pm — 3 Comments

'' हुज़ूर इस नाचीज़ की गुस्ताखी माफ़ हो ''

हुज़ूर इस नाचीज़ की गुस्ताखी माफ़ हो ,

आज मुंह खोलूँगी हर गुस्ताखी माफ़ हो !



दूँगी सबूत आपको पाकीज़गी का मैं ,

पर पहले करें साबित आप पाक़-साफ़ हो !



मुझ पर लगायें बंदिशें जितनी भी आप चाहें ,

खुद पर लगाये जाने के भी ना खिलाफ हो !



मुझको सिखाना इल्म लियाकत का शबोरोज़ ,

पर पहले याद इसका खुद अलिफ़-काफ़ हो !



खुद को खुदा बनना 'नूतन' का छोड़ दो ,

जल्द दूर आपकी जाबिर ये जाफ़ हो !

            …

Continue

Added by shikha kaushik on November 7, 2012 at 1:00pm — 5 Comments

वैदेही सोच रही मन में यदि प्रभु यहाँ मेरे होते !!

वैदेही सोच रही मन में यदि प्रभु यहाँ मेरे होते 

लव-कुश की बाल -लीलाओं का आनंद प्रभु संग में लेते .



जब प्रभु बुलाते लव -कुश को आओ पुत्रों समीप जरा ,

घुटने के बल चलकर जाते हर्षित हो जाता ह्रदय मेरा ,

फैलाकर बांहों का घेरा लव-कुश को गोद उठा लेते !

वैदेही सोच रही मन में यदि प्रभु यहाँ मेरे होते !!



ले पकड़ प्रभु की ऊँगली जब लव-कुश चलते धीरे -धीरे ,

किलकारी दोनों…

Continue

Added by shikha kaushik on November 3, 2012 at 11:30pm — 9 Comments

नादानों मैं हूँ ' भगत सिंह '- बस इतना कहने आया था !!!

कैप्शन जोड़ें

इससे शर्मनाक कुछ नहीं हो सकता है .शहीद…

Continue

Added by shikha kaushik on November 1, 2012 at 2:00pm — 4 Comments

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण भाई अच्छी ग़ज़ल हुई है , बधाई स्वीकार करें "
6 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post पूनम की रात (दोहा गज़ल )
"आदरणीय सुरेश भाई , बढ़िया दोहा ग़ज़ल कही , बहुत बधाई आपको "
6 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीया प्राची जी , ग़ज़ल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका हार्दिक आभार "
6 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"सभी अशआर बहुत अच्छे हुए हैं बहुत सुंदर ग़ज़ल "
Wednesday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

पूनम की रात (दोहा गज़ल )

धरा चाँद गल मिल रहे, करते मन की बात।जगमग है कण-कण यहाँ, शुभ पूनम की रात।जर्रा - जर्रा नींद में ,…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी

वहाँ  मैं भी  पहुंचा  मगर  धीरे धीरे १२२    १२२     १२२     १२२    बढी भी तो थी ये उमर धीरे…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , उत्साह वर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार "
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"आ.प्राची बहन, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार।"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"कहें अमावस पूर्णिमा, जिनके मन में प्रीत लिए प्रेम की चाँदनी, लिखें मिलन के गीतपूनम की रातें…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"दोहावली***आती पूनम रात जब, मन में उमगे प्रीतकरे पूर्ण तब चाँदनी, मधुर मिलन की रीत।१।*चाहे…"
Jul 12
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"स्वागतम 🎉"
Jul 12
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

१२२/१२२/१२२/१२२ * कथा निर्धनों की कभी बोल सिक्के सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के।१। * महल…See More
Jul 10

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service