2122-1212-22
1
आदमी कब ख़ुदा से डरता है
अपनी हर बात से मुकरता है
2
जब सर-ए-शाम ग़म सँवरता है
आइना टूटकर बिखरता है
3
आज का काम आज ख़त्म करें
वक़्त किसके लिए ठहरता है
4
ताबिश-ए-ख़्वाब के लिए दिलबर
रंग मेरे लहू से भरता…
ContinueAdded by Rachna Bhatia on November 20, 2020 at 12:00pm — 4 Comments
212 212 212 212
1
दोस्तों के बिना ज़िन्दगी दोस्तो
इक कहानी उदासी भरी दोस्तो
2
बीच में फ़ासले ला के दौलत के क्यों
आज़माने लगी दोस्ती दोस्तो
3
हाथ में हाथ डाले खड़ी दोस्ती
गर्दिश-ए-दौराँ से लड़ के भी दोस्तो
4
कारवाँ अज़्म का रोके रुकता नहीं
राह चाहे हो मुश्किल भरी दोस्तो
5
हार बैठे हैं दिल कू-ए-उल्फ़त में हम
अब न खेलेंगे बाजी नई दोस्तो
6
सुब्ह होते ही बेहिस जहाँ के सितम
ढूँढ लेंगे हमारी गली…
Added by Rachna Bhatia on November 9, 2020 at 1:00pm — 7 Comments
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