जी उठा मन” - गीतिका
जी उठा मन आज फिर से रात चंदा देखकर |
थक गई थी प्रीत जग की रीत भाषा देखकर |
इक किरण शीतल सरल सी जब बढ़ी मेरी तरफ ,
झनझनाते तार मन उज्वल हुआ सा देखकर |
छू लिया फिर शीश मेरा संग बैठी देर तक ,
खूब बातें कर रही थी मुस्कुराता देखकर |
प्यार से बोली किरण फिर संग तुम मेरे चलो ,
राह रोशन कर रही थी साथ भाया देखकर |
चांदनी का चीर…
Added by Chhaya Shukla on November 1, 2014 at 10:00am — 19 Comments
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