सभी सहह्रदयी सदस्यों को नव वर्ष की हार्दिक मंगल कामनाएँ
Added by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on December 31, 2013 at 2:30pm — 21 Comments
गाली देते लोग जो , बोलें कभी सटीक,
गाली या अपशब्द क्या, लगते प्रेम प्रतीक ?
लगते प्रेम प्रतीक, कूल क्या उन्हें समझना
उनका ही उपहास, समझते जिनको अपना ||
यह तो है अपवाद, कहें सब प्रिय को साली.
स्नेह-प्रीति संवाद, न समझें इसको गाली ||
.
(2)
तू तू मै मै में करे, आपस में जो बात,
समझें इसको सभ्यता, या उनकी औकात |
या उनकी औकात, स्नेह की कहाँ निशानी
निखर सके व्यक्तित्व, अगर दिल हो इन्सानी |
कहे…
ContinueAdded by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on December 10, 2013 at 7:00pm — 11 Comments
नीरसता में बदलता, नाशवान सुख-भाग,
सुख दुख में सम भाव रह,भौतिक सुख है रोग |
भौतिक सुख है रोग, अर्थ जीवन का जाने
खुद का हो उद्देश्य, कृपा हम प्रभु की माने |
कह लक्ष्मण कविराय, भरे मन में समरसता,
स्वच्छ करे मन भाव, तब न होगी नीरसता ||
(मौलिक व् अप्रकाशित)
Added by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on December 4, 2013 at 9:30am — 11 Comments
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