क्या तुम्हारा जमीर ना जागता
क्यों घायल किसी को करते हो
पुलिस वाले भी अपने भाई-बंधु
पत्थर उनको क्यूँ मारते हो ||
विरोध करना, विरोध करो तुम
संविधान अधिकार ये देता है
उपद्रव ना मचाने की
हिदायत भी संविधान हमारा देता है ||
उपद्रव का ना मार्ग चुनो
शांति से विरोध करो
पुलिस करती रखवाली हमारी
उस पर बेवजह ना वार करो ||
दिन रात करती हमारी…
ContinueAdded by PHOOL SINGH on December 26, 2019 at 3:21pm — 4 Comments
जाने कैसी विडम्बना जीवन की
जो इस दशा आ गिरी
ना कोई हमदर्द अपना
ना ही मेरा साथी कोई, ना किसी ने वेदना सुनी ||
आते-जाते सब देखते
मिलता ना अब तक बिरला कोई
मेरी सुने कभी अपनी सुनाये
आत्मीयता से मिले कभी ||
ना क्षुधा मुझे किसी के धन की
ना लोभ भी मन में कोई
कहीं पड़ा मिल जाता पाथेय
उससे अपना पेट भरी ||
आमूल तक मै टूट चुकी
महि मुझको कोष रही
व्रजपात…
ContinueAdded by PHOOL SINGH on December 24, 2019 at 12:56pm — 1 Comment
दुनियाँ कहे मै पागल हूँ
मै कहता पागल नहीं, बस घायल हूँ
कभी व्यंग्य, कभी आक्षेप को
खुद पर रोज मैं सहता, अपनी व्यथा किसे सुनाऊ
कितनी चोटों से घायल हूँ
जीने की मै कोशिश करता, मै इस समाज की रंगत हूँ ||
क्यूँ पागल मै कैसे हुआ
पुंछने वाला ना हमदर्द मिला, जो मिला वो ताने कसता
देख उसे अब मै हँसता हूँ
पल भर में ये वक़्त बदलता
कौन जाने, तेरा आने वाला कल मै ही हूँ
कितनी चोटों से घायल हूँ ||
कोई प्रेम…
ContinueAdded by PHOOL SINGH on December 6, 2019 at 4:30pm — 2 Comments
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