ये पेट की आग भी
क्या क्या न कराती है ...
चैन नहीं दिन में
रातें भी घबराती हैं ...
जीवन जीने की इच्छा
मन को ललचाती है ...
आगे बढ़ने की ख्वाइश
मेहनत खूब कराती है ...
न गर्मी से तपता है तन
न ठण्ड डरा पाती है .....
ये पेट की आग भी
क्या क्या न कराती है ...
Added by Anita Maurya on December 22, 2010 at 1:30pm — 7 Comments
"मैं"
इक भावुक, बहुत ही भावुक लड़की
किसी ने कहा
भावुकता निश्छलता का प्रतीक है
तो किसी ने कहा पवित्रता का ..
'ना' भावुकता न तो निश्छलता का प्रतीक है
और न ही पवित्रता का ..
ये तो प्रतीक है
हर पल छले जाने की तत्परता का ..
'हाँ'
छली जाती हूँ मैं , हर दम, हर कदम
कभी अपनों के हाथों, तो कभी गैरों के
कभी साहिलों से, तो कभी लहरों से,
कई बार…
Added by Anita Maurya on December 16, 2010 at 7:30pm — 5 Comments
आँखों में तुम बसे हो ऐसे ..
कोई अधुरा ख्वाब हो जैसे !
वो तुम्हारा कुछ पलों का साथ
और उन पलों में तुम्हारा असीमित प्यार
तमाम उम्र के लिए अपनी पलकों में
कैद कर के रख लिया ...
वो हसीन से लम्हे
शरीर से लम्हे .
जिन लम्हों को तुम संग जिया
सम्हाल के उनको रख लिया ...
न जाने क्या बात हुई
खफा हो गए मुझसे तुम
यूँ मुंह फेरे बैठे हो
'जैसे'
मैं 'हूँ' , कोई बीता हुआ पल
कोई गुजरा…
ContinueAdded by Anita Maurya on December 11, 2010 at 4:25pm — 4 Comments
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |