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इस्लाह के बाद ग़ज़ल
1
है ये इश्क़ की डगर तू ज़रा रख क़दम सँभल के
चला जाएगा वगरना तेरा चैन इस प चल के
2
न…
ContinueAdded by Rachna Bhatia on December 12, 2021 at 11:00am — 6 Comments
122 122 122 122
कहो तो सुना दूँ फ़साना किसी का
वो इज़हार-ए-उल्फ़त जताना किसी का
सुधार
नज़र से महब्बत जताना किसी का
हँसाना किसी का रुलाना किसी का
भुलाओगे कैसे सताना किसी का
नहीं रोक पाई कभी चाहकर मैं
दबे पा ख़यालों में आना किसी का
है यह भी महब्बत का दस्तूर यारो
न दिल भूले जो दिल से जाना किसी का
बहुत कोशिशें कीं मनाने की फ़िर भी
न मुमकिन हुआ लौट आना किसी का
दिल ए…
ContinueAdded by Rachna Bhatia on December 9, 2021 at 11:30am — 19 Comments
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