बह्र:-1222-1222-1222-1222
अमासी रात मेरे घर के तारे छीन लेती है।।
तूफानी रात आये तो गुजारे छीन लेती है।।
मैं आँखें बन्द रखता हूँ मेरी यादें छुपा कर के।
खुला पाती है जब भी वो नज़ारे छीन लेती है।।
मेरी किस्मत को ऐ मालिक कभी उम्दा भी लिख्खा कर।
ये हसरत जिन्दगानी के सहारे छीन लेती है।।
नशा जिनको है दौलत का उन्हें कोई ये समझाए।
ये लत हमसे जरुरत में हमारे छीन लेती है।।
नहीं है हमजुबां कोई मेरा इस दौर हाजिर में।
कसक इतनी मेरे…
Continue
Added by amod shrivastav (bindouri) on March 27, 2016 at 3:58pm —
10 Comments
दो बहरी गजल:-
1बह्र:-2122-1122-1122-112
2बह्र:-2122-2122-2122-212
बेसबब रिश्ते -ओ-नातों के लिए बिफरे मिले।।
जब मिले मुझको मेरे सपने बहुत उलझे मिले।।
ज़िन्दगी जिनसे मिला सब ही बड़े नम से मिले।।
मैं उसे समझू मसीहा जो जरा हँस के मिले।।
रुक जरा पूछे इन्हे कैसी कठिन राहें रही।
ये मुसाफिर हैं पुराने आज हम जिनसे मिले।।
उस नदी का है समर्पण जो सदा बहती रहे।
राह जीवन की चले चलते हुए सब से मिले।।
जिंदगी जिनसे गुलाबी है…
Continue
Added by amod shrivastav (bindouri) on March 20, 2016 at 7:18am —
1 Comment
बह्र- 122-122-122-122
बिटिया को अपनी अगर देखते है।।
खुदा का करम अपने घर देखते है।।
वो नीली परी है खिलौना है घर का।
उसे जब भी देखूँ समर देखते है।।
जो सज धज के बेटी की डोली उठी तो।
पड़ोसी भी भर के नजर देखते है।।
अभी तक पिता की दुआ का असर था।
ये बेटे तो अक्सर ही जर देखते है।।
वो पुरखों ने सींचा कभी प्यार से जो।
वही आज सूखा शजर देखते हैं।।
मौलिक/अप्रकाशित
आमोद बिन्दौरी
Added by amod shrivastav (bindouri) on March 10, 2016 at 9:32pm —
3 Comments
बहर 122/122/122/122
निगाहे नशा बेख़बर देखते है।
तुम्हे आज कल आँख भर देखते है।।
तुम्हारी अदा से जिधर देखते है।
मुहब्बत का अपने नगर देखते है।।
रूमानी है आबो हवा यार तेरी।
भरी बज्म में भी हुनर देखते है।।
जो सीखें हैं पेंचों के हमने करीने।
चलो आज उनका असर देखते है।।
तुम्ही गांव हो और* गालियाँ हमारी।।
तुम्ही से ये सारा बसर देखते है।।
मौलिक ,अप्रकाशित
Added by amod shrivastav (bindouri) on March 10, 2016 at 9:28pm —
4 Comments
बहर 1222/1222/1222/1222
मेरे महबूब की आमद का जलवा खूब सूरत है//
जहाँ में रंग है जितने वो उतना खूब सूरत है//
मजे की बात है यारों कोई तारा नही वैसा/
फलक पर आज का महताब जितना खूब सूरत है/1/
चलो अब चाँद तुम अपनी मुहब्बत की सुनाओ कुछ/
सुना है चादनी मांझी का रिश्ता खूब सूरत है /2/
कोई हिंदी में लिखता है , कोई उर्दू में लिखता है/
लिखा जो भी गया है वो तराना खूब सूरत है/3/
कभी तुमसे गिरा था जो बरेली की बजारोमे /
तेरी…
Continue
Added by amod shrivastav (bindouri) on February 18, 2016 at 9:36am —
3 Comments
बहर :- 122/122/122/122
हमें प्यार पहलू तू फिर से पढ़ा दे
न चुप बैठ ऐसे हदें सब मिटा दे
तकिया नकूशी रिवाजे बुझा के
तू मजहब भुला प्यार दीपक जला दे
मेरे गांव की तंग गलियों में उनसे
मेरा आमना सामना ही करा दे
बनाये मेरे साथ माटी खिलौने
वो बचपन वो घोड़े वो हांथी दिला दे
वो कश्ती वो बादल वो सावन वो झूले
मुझे आज सारे के सारे हि ला दे
समय तोड़ हद और दे फिर जवानी
मुहब्बत अता कर वो मैकश अदा दे
मेरे…
Continue
Added by amod shrivastav (bindouri) on February 15, 2016 at 3:33pm —
3 Comments
212 212 212 212
दर्द खामोशियों में लिखूंगा तुम्हे
गर मुनासिब हुआ तो सिउँगा तुम्हे
याद हर एक पन्ना किताबां बना
मैं जिगर में हमेशा रखूँगा तुम्हे
मैंकदों से नहीं है मेरा वास्ता
पर जरूरी हुआ तो पिऊंगा तुम्हे
हौसलों इस कदर टूट बिखरे अगर
तुम ही बोलो तो कैसे जिऊंगा तुम्हे
जिंदगी शक न कर तू मेरे वादे पर
मुस्कुराता हुआ ही मिलूँगा तुम्हे
Added by amod shrivastav (bindouri) on February 14, 2016 at 6:03pm —
1 Comment
बहर 2122/1122/1122/22
वो मेरा दिल है शिकायत से पता लिखता है।
मेरे खातिर वो इबादत -ओ- दुआ लिखता है।।
कोरे कागज में सरारत से खता लिखता है।
जब भी लिखता है मुहब्बत है जता लिखता है।।
उसकी रंगत में छिपा चाँद है वो शहजादी।
ख्वाब हर रात को उसकी ही अदा लिखता है।।
कौन शायर है शहर का युँ तिजारत वाला ।
शोख नजरों के इशारों को दगा(बिका) लिखता है।।
वो किसानों के घरों में हैं पकी फसलों सी।
उनकी खुश्बू से खलिहान छठा लिखता…
Continue
Added by amod shrivastav (bindouri) on November 29, 2015 at 11:00am —
4 Comments
बड़ा डिजटल जमाना हो गया है
1222/1222/122
बड़ा डिजटल जमाना हो गया है
कठिन इज्जत बचाना हो गया है
पला माँ बाप की छाया जो बेटा
वही बेटा बेगाना हो गया है
खुला अस्मत लुटा आई है बेटी
मुहब्बत है बहाना हो गया है
सियासी हो गयी रिश्तों की दुनियां
जटिल रिश्ता निभाना हो गया है
गरीबों का हितैशी हूँ ये जुमला
चुनावी वोट पाना हो गया है
वो क्या जो देख बाबा रो पड़े हैं
कहा की घर पुराना हो गया…
Continue
Added by amod shrivastav (bindouri) on November 23, 2015 at 2:28pm —
6 Comments
चलो आज रिश्ते निभा लें
122/122/122/122
चलो आज रिश्ते बनाकर निभालें.
खयालों को अपना नया घर बनालें.
बढ़ाओ मुलायम हथेली ये प्यारी
पिसाई हिना है इसे संग रचालें
बनोगी गुड़िया तो गुड्डा बनूगां
चलो साथ बैठो की शादी मनालेँ
लगे कुछ बुरा तो मुझें माफ़ करना
मुहब्बत है ऐसी की पागल बना ले
तेरी आँख भीगी न प्यारी लगेगी
तू नजरों में मोती ख़ुशी के सजा ले
न रश्में रिवाजे न मजहब पाबन्दी
मिटा के सभी जद दुनियाँ बसा…
Continue
Added by amod shrivastav (bindouri) on November 23, 2015 at 2:24pm —
5 Comments
हम गरीबों को भी अपना ...
2122-2122-2122-212
धर्म मजहब लीक कैसी सब मिटा दे ऐ खुदा/
हम गरीबों को भी अपना कुछ पता दे ऐ खुदा//
मुद्दतें बीती नही आया कोई तेरा फ़ैसला/
निर्धनों के घर को आ के कुछ सज़ा दे ऐ खुदा //
रोज दानें बुन के लौटी माँ मेरी कहती तुझे/
जनता है वो खुदा है कुछ सदा दे ऐ खुदा//
रौशनीं भी इस धरा की खो गई जानें कहाँ/
अब बुझे सारे चिरागों को जला दे ऐ खुदा//
हो दिवाली गाँव घर-घर रौशनीं हो प्यार की/
भूख से…
Continue
Added by amod shrivastav (bindouri) on November 8, 2015 at 11:41am —
3 Comments
22/122/22
बेशक ये न्यारा होगा
यह देश हमारा होगा
मिट जाएगा जब मजहब
सब का गुजारा होगा
सिद्दत से कितनी इसको
सब ने संवारा होगा
दुश्मन के काफिलों को
चुन-चुन के मारा होगा
वादी हवा ये गुलशन
सब कुछ ही प्यारा होगा
मौलिक/ अप्रकाशित
आमोद बिंदौरी
Added by amod shrivastav (bindouri) on November 6, 2015 at 6:11pm —
7 Comments
22 /122/ 22
प्यासा किनारा होगा
सच बे-सहारा होगा
नित गीत बुनता रहता
बेसक कुँवारा होगा!!!!
करता है सजदा मस्जिद
क्या प्रीत हारा होगा???
निकला सुबह है घर से
घर बे -सहारा होगा
निकला है अपने घर से
कुछ तो सहारा होगा..!!!
आई है बरखा रानी
मौसम भी प्यारा होगा...
मौलिक/अप्रकाशित
आमोद बिंदौरी
Added by amod shrivastav (bindouri) on November 6, 2015 at 4:18pm —
3 Comments
वो कहते हैं तू कट्टर (पत्थर) है
बहर:-1222-1222-1222-1222
नहीं मिलती तबीयत तो ,वो कहते हैं तू पत्थर है
मगर जाना नही उसने, की कितना मन समंदर है
हुई हरकत बुरी हमसे ,बदलने की जो कोशिस की
तभी मालुम हुआ हमको, खिलाड़ी तो सितमगर है
सिला अपनी मुहब्बत का,लिखा पन्ने पे जब मैंने
खुदा भी रो पड़ा बोला, धरा का तू सिकंदर है
जो मुंसिफ घर गया उनके, उधारी में दिया लेने
चिरागां हंस के बोला तब,अँधेरा तेरे अंदर है
बताओ रास्ता मुझको…
Continue
Added by amod shrivastav (bindouri) on November 2, 2015 at 1:30pm —
11 Comments
मुहब्बत का शहर हूँ मैं
बहर :- 1222-1222-1222-1222
मुहब्बत का शहर हूँ मै मुझे बस प्यार होता है
मगर तनहा वही होता है जो खुद्दार होता है
शिकायत है मुहब्बत की की जो रूठा नहीं लौटा
सियासत है कि फितरत है नही ऐतबार होता है
कभी मिटता नहीं दिल से मुहब्बत का वो पहला गम
के दिल में बस गया कुछ भी नही उपचार होता है
अगर पतझड़ जो आया है तो हिस्से में बहारे हैं
ये किस्मत तब पलटती है जहाँ मजधार होता है
बदलता रुख हवाओं का जरा…
Continue
Added by amod shrivastav (bindouri) on November 1, 2015 at 2:57pm —
6 Comments
है हरा पीपल
बहर:- 2122-2122-2122-212
है हरा पीपल अभी जो जिंदगी है आप की
कुछ कही कुछ अनकही बातें लिखी है आप की
प्रेम की तब छांव लेने को जहा थे बैठते
वो तसब्बुर वो अदाये कीमती है आप की
लोक नजरों से बचा कर जो भिजाये थे कभी
उन गुलाबों में अभी खुसबू वही है आप की
वो दुपट्टे का झटकना वो सदाये प्यार की
लफ्ज का ठिठकाव् न्यारा सादगी है आप की
(है पुरानी गर्त लिपटी कुछ किताबे वही)
कुछ पुरानी गर्त लिपटी उन किताबों में…
Continue
Added by amod shrivastav (bindouri) on November 1, 2015 at 11:37am —
9 Comments
हमदर्द हो कितने बड़े..
2212-2212-2212-22
हो जो सियासत प्यार में रब भूल जाता हूँ
हमदर्द हो कितने बड़े तब भूल जाता हूँ
उम्दा है जबतक एक हैं कोई न हो मजहब
मैं प्यार में रब सारे मजहब भूल जाता हूँ
समशीर हाथो से हटा सजदा किया मैंने
हाँ मातृभूमी के लिए सब भूल जाता हूँ
रणभूमि में उतरूँ जो मैं सब भूल जाता हूँ
वादी हवा में मिल रहा अब अक्स है उनका
मैंख्वार मेरा मन सब सबब भूल जाता हूँ
हाँ तू वफ़ा है जिंदगी तेरी इनायत सब
तू…
Continue
Added by amod shrivastav (bindouri) on October 27, 2015 at 8:30am —
9 Comments
हमें एक बार फिर से मुस्कुराना चाहिए----
1222-1222-1222-12
हमें एक बार फिर से मुस्कुराना चाहिए
उसी टूटे ह्रदय से गीत गाना चाहिए
लगी ठोकर मुहब्बत की गिरे जो राह में
हमें तो दिल से दिल को फिर मिलाना चाहिए
जमीं से चाँद तारों तक सजाया प्यार है
सजा में मौत भी हो तो निभाना चाहिए
सफर अपना भले ही साहिले गर्दिश में हो
दिया हो पास में तो फिर जलाना चाहिए
यूँ हिम्मत हार कर ना बैठ मेरे हम सफर
बहरों को हमें फिर से बुलाना…
Continue
Added by amod shrivastav (bindouri) on October 25, 2015 at 9:42pm —
8 Comments
1-अंध विस्वास
चलो ख़त्म कर दे
एक होकर..
2- निभा रहा हूँ
प्रेमी जीवन रीत
साथ तुम्हारे---
3-वाह रे वाह
सब सुख मिलगा
मिली जो खाट---
4-शरद की रात
रजाई मेरे साथ
औ टूटी खाट
5-अहंकार है
अजब धरोहर
मानुष मन
मौलिक/अप्रकाशित
----आमोद बिन्दौरी
Added by amod shrivastav (bindouri) on September 21, 2015 at 3:08pm —
No Comments
बहर
1222/1222/1222/1222
अचानक आज ये कैसा ज़ुल्म पहरा गया मुझ पर।
सितम इतने कहा से वो लेकर ढा गया मुझ पर।।
न बारिश है न सावन है हवा का भी नही झोंका।
ये कैसे गम के बादल हैं कहा से छा गया मुझ पर।।
चलो अब चाँद तारों तुम मेरी हालत पे हँस भी लो।
तुम्हे अच्छा स मौका है अमावस आ गया मुझ पर।।
इजाजत दे गए अपने चिरागों घर जलाने की।
जला दो उनकी यादें जो चुभा भाला गया मुझ पर।।
लगे है जख्मकुछ ऐसे दुआ का भी असर न हो।
के वो…
Continue
Added by amod shrivastav (bindouri) on September 17, 2015 at 11:22pm —
22 Comments