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Naveen Mani Tripathi's Blog – May 2017 Archive (6)

ग़ज़ल --कश्मीर हमारा है हमारा ही रहेगा

221 1221 1221 122

भारत की बुलन्दी का सितारा ही रहेगा ।

कश्मीर हमारा है हमारा ही रहेगा ।।



हालात बदलने में नहीं देर लगेगी ।

प्यारा है हमें मुल्क तो प्यारा ही रहेगा ।।



हम एक थे हम एक हैं हम एक रहेंगे ।

यह दर्द तुम्हारा है तुम्हारा ही रहेगा ।।



बरबाद नहीं होगी शहीदों की निशानी ।

इतिहास में हारा है तू हारा ही रहेगा ।।



ऐ पाक कहाँ साफ़ रहा है तेरा दामन ।

है तुझ से किनारा तो किनारा ही रहेगा ।।



यह ख्वाब न् पालो के कभी तोड़… Continue

Added by Naveen Mani Tripathi on May 31, 2017 at 8:30am — 10 Comments

बेबसी की किताब है यारोँ

2122 1212 22

वो दिखी बेनकाब है यारों।

सारा चेहरा गुलाब है यारोँ ।।



अच्छी सूरत भी क्या बुरी शय है ।

सबकी नीयत खराब है यारों ।।



है लबों पर अजीब सी जुम्बिश ।

कैसा छाया शबाब है यारों।।



होश खोया है देख कर उसको ।

वह पुरानी शराब है यारों ।।



एक मुद्दत के बाद देखा है ।

हुस्न का इंकलाब है यारों।।



पैरहन ख्वाब में वो आती है ।

कितनी आदत खराब है यारोँ ।।



मैं जिसे सुबहो शाम पढ़ता हूँ ।

वह ग़ज़ल लाजबाब है… Continue

Added by Naveen Mani Tripathi on May 27, 2017 at 1:24pm — 8 Comments

गज़ल

221 1221 1221 122



अब हम भी ज़माने का सुख़न देख रहे हैं ।।

बिकता है सुखनवर ये पतन देख रहे हैं ।।



बदनाम न् हो जाये कहीं देश का प्रहरी ।

नफरत का सियासत में चलन देख रहे हैं ।।



वो मुल्क मिटाने की दुआ मांग रहा है ।

सीने में बहुत आग जलन देख रहे हैं।।



सब भूंख मिटाते हैं वहां ख्वाब दिखा कर ।

रोटी की तमन्ना का हवन देख रहे हैं ।।



वादों पे यकीं कर के गुजारे हैं कई साल ।

मुद्दत से गुनाहों का चमन देख रहे हैं ।।



लाशों में… Continue

Added by Naveen Mani Tripathi on May 27, 2017 at 8:30am — No Comments

ग़ज़ल

वज़्न - 221 1222 221 1222

पिजरे से परिंदे को आज़ाद नहीं करते ।

कुछ लोग मुहब्बत को आबाद नहीं करते ।।



फ़ितरत है पतंगों की शम्मा पे मचलने की ।

ऐसे जुनूं पे आलिम इमदाद नहीं करते ।।



वह दर्द मिटाने का वादा किया था वरना ।

रह रह के मुकद्दर को हम याद नही करते ।।



ज़ालिम की अदालत में सच पर गिरी है बिजली।

मालूम अगर होता फरियाद नही करते ।।



वो साथ निभाएंगे कहना है बहुत मुश्किल ।

वो वक्त कभी हम पर बर्बाद नहीं करते ।।



हसरत ही… Continue

Added by Naveen Mani Tripathi on May 23, 2017 at 1:28am — 7 Comments

गज़ल

1222 1222 122

अना की बात में कुछ दम नहीं है ।

कहा किसने तेरा परचम नहीं है ।।



मिलेंगी कब तलक ये स्याह रातें ।

मेरी किस्मत में क्या पूनम नही है ।।



अभी तक मुन्तजिर है आंख उसकी ।

वफ़ा के नाम पर कुछ कम नहीं है ।।



चिरागे इश्क़ पर है नाज़ उसको ।

उजाला भी कहीं मध्यम नहीं है ।।



सजा देंगे हमे ये हुस्न वाले ।

हमारे हक़ का ये फोरम नहीँ है ।।



तेरी जुल्फों की मैं तश्वीर रख लूँ।

मगर मुद्दत से इक अल्बम नही है… Continue

Added by Naveen Mani Tripathi on May 21, 2017 at 6:06am — 3 Comments

ग़ज़ल

*221 1221 1221 122



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सबसे न बताओ के परेशान यही है ।

आशिक़ हूँ यकीनन मेरी पहचान यही है ।।



यूँ ही न् गले मिल तू जरा सोच समझ ले ।

इस शह्र के हालात पे फरमान यही है ।।



कहने लगी है आज से मुझको भी सरेआम ।

ठहरा है जो मुद्दत से वो मेहमान यही है ।।



बर्बाद गुलिस्तां को सितम गर ने किया जब।

लोगो ने कहा प्यार का तूफ़ान यही है ।



अक्सर ही नकाबों में छुपाते हैं ये चेहरा ।

बैठा जो तेरे हुस्न पे दरबान यही है… Continue

Added by Naveen Mani Tripathi on May 15, 2017 at 1:03pm — 10 Comments

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