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Atul kushwah's Blog – December 2013 Archive (3)

''अक्सर''

समृद्ध अतीत के माथे पर
अक्सर खिंच जाती हैं लकीरें

चिंतित भविष्य की

फैसलों की फर्श पर

क्यूं अक्सर

बिखर जाते हैं

बदलाव के मोती

खुशियों के आंगन में

टंगे मुस्कुराते गुब्बारों

पर अक्सर कोई चलाता है

गमों की गोलियां

बेवक्त पर काम आने वाला वक्त

अक्सर बदल जाता है आदमी की तरह

जब मौज मौसम की लेने निकलें तो

थम जाती हैं सुहानी हवाएं अक्सर

समझ आती है जब तलक…
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Added by atul kushwah on December 16, 2013 at 10:30pm — 9 Comments

मेरी मां ने मुझे रोते हुए हंसना सिखाया है

मेरी दादी बताती थी कि ये सब मोह माया है,

कोई परियों की रानी है ये नानी ने बताया है।।



शिवपुरीवासियों दुगनी मोहब्बत से सुनो मुझको,

कटे हैं पंख पंछी के ये अब तक उड न पाया है।।



नहीं जब मानता था बात थप्पड मार देती थी,

मेरी मां ने मुझे रोते हुए हंसना सिखाया है।।



घमंडी मत बनो दौलत का पीछा मत करो इतना

जो अपने पास होता है वो भी सब कुछ पराया…

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Added by atul kushwah on December 14, 2013 at 9:30pm — 9 Comments

तुम्हारी मुस्कुराहट को गजल हमने बनाया है

मोहब्बत में तुम्हारा ही लबों पर नाम आया है,

भ्रमर की गुनगुनाहट का कली पर रंग आया है।

यहां हर बज्म तेरे नाम से गुलजार होती है,

तुम्हारी मुस्कुराहट को गजल हमने बनाया है।।

---------------------------------

दिवाली लब से बोलो तो अली का नाम आता है

जनम भर सिर झुकाने का सलीका काम आता है,

मुल्क में धर्म को लेकर उपद्रव पालने वालों

लिखो और ​फिर पढो रमजान में भी राम आता है।।

---------------------------------------

कली जब फूल बन जाए, भ्रमर तब…

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Added by atul kushwah on December 14, 2013 at 9:30pm — 6 Comments

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