For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

Anjuman Mansury 'Arzoo''s Blog – December 2022 Archive (4)

ग़ज़ल - ये बर्फीली हवाएंँ तेज़ तूफ़ाँ ये मिज़ाजी ठंड

वज़्न -1222 1222 1222 1222

ये बर्फीली हवाएंँ तेज़ तूफ़ाँ ये मिज़ाजी ठंड

मुक़ाबिल तुमको पाकर हो गई कितनी गुलाबी ठंड

तुम्हारी याद की इक गुनगुनी सी धूप के दम पर

सुखाए कितने ग़म हमने बिताई कितनी भारी ठंड

अलावों की न थी कोई कमी उसको मगर फिर भी

ज़मीं ने देखकर सूरज को ही अपनी गुज़ारी ठंड

तुम्हारे प्यार के धागों की मैंने शॉल जब ओढ़ी

लगी है तब मुझे सारे हसीं मौसम से प्यारी ठंड

मैं अक्सर सोचती हूंँ काश फिर…

Continue

Added by Anjuman Mansury 'Arzoo' on December 11, 2022 at 9:41pm — 11 Comments

ग़ज़ल - मैं अँधेरी रात हूंँ और शम्स के अनवर-से आप

2122 2122 2122 212

मैं अँधेरी रात हूंँ और शम्स के अनवर-से आप

शाम-सी मुझ में उदासी, सुब्ह के मंज़र-से आप

जाने कैसे मिलना होगा अपना इक मे'यार पर

मैं ज़मीं की ख़ाक-सी हूंँ चर्ख़ के मिम्बर-से आप

जो भी आया चल दिया वो मुझ से हो कर आप तक

मैं अधूरी रहगुज़र हूँ और मुकम्मल घर-से आप

क्यों पसंद आये किसी को भी कभी होना मेरा

मैं कि अनचाही सी बेड़ी क़ीमती ज़ेवर-से आप

आपके बिन इस जहांँ में कुछ…

Continue

Added by Anjuman Mansury 'Arzoo' on December 8, 2022 at 6:00pm — 13 Comments

ग़ज़ल - अभी बस पर ही टूटे हैं अभी अंबर नहीं टूटा

1222 1222 1222 1222

अभी बस पर ही टूटे हैं अभी अंबर नहीं टूटा

परिंदा टूटा है बाहर अभी अंदर नहीं टूटा /1

सितारा यूंँ तो टूटा है मेरी तक़दीर का लेकिन

ख़ुदा का शुक्र है तदबीर का अख़्तर* नहीं टूटा /

हमारे ख़ैर ख़्वाहों ने बहुत चाहा मगर अब तक

हमारे दिल में है उम्मीद का जो घर नहीं टूटा /3

सियासत के सताने पर भी बोला जो हमेशा सच

वो जाने कैसी मिट्टी का है ज़र्रा भर नहीं टूटा /4

कई मख़्लूक़* की है ज़िंदगी…

Continue

Added by Anjuman Mansury 'Arzoo' on December 6, 2022 at 10:13pm — 3 Comments

ग़ज़ल - हैं ख़ाक फिर भी उठाकर जो सर खड़े हैं पहाड़

1212 1122 1212 22/112

हैं ख़ाक फिर भी उठाकर जो सर खड़े हैं पहाड़

तो हौसला रखो क्या हमसे भी बड़े हैं पहाड़ /1

है इनके दिल में नदी-सी बड़ी नमी लेकिन

मुग़ालता* है कि वालिद-से ही कड़े हैं पहाड़़/2 

पहाड़ कह के कोई तंज़ गर करे इन पर

तो आबशार बने अश्क से झड़े हैं पहाड़ /3

पहाड़ जैसी मुसीबत उठा के हम यूंँ चले

कि हम को देखते ही शर्म से गड़े हैं पहाड़ /4

हम अपने पैर गँवा कर भी चढ़ गए इन पर

हमारे जैसे…

Continue

Added by Anjuman Mansury 'Arzoo' on December 2, 2022 at 8:13pm — 6 Comments

Monthly Archives

2022

2021

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
yesterday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Sunday
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Sunday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Sunday
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Saturday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
Saturday
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Saturday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service