For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

प्रदीप देवीशरण भट्ट's Blog – July 2019 Archive (8)

शहर के हंकाई

लहू बुज़ुर्गो का मिट्टी में बहाने वालो

दागदारोँ को सरेआम बचाने वालो

बच्चोँ के हाथ में शमशीर थमाने वालो

बात फूलोँ की तुम्हारे मुँह से नहीं अच्छी लगती



खुदा के नाम पे दुकानों को चलाने वालो

धर्म् के नाम पर इंसा को बाँट्ने वालो…

Continue

Added by प्रदीप देवीशरण भट्ट on July 30, 2019 at 12:30pm — 3 Comments

बच्चा ज्यों-ज्यों होता बडा

बच्चा ज्यों-ज्यों होता बड़ा

हँसता कभी रोता ज़रा

उँगली थामे दौड़ रहा वह

गिरता कभी होता खड़ा
देखें बचपन तो जी ललचाए

काश हम भी बच्चे बन जाएँ

अट्खेली से सबै…
Continue

Added by प्रदीप देवीशरण भट्ट on July 29, 2019 at 2:00pm — 3 Comments

दिल का खाली कोना

दिल के बदले दिया सपना सलोना

नहीं खाली था शायद दिल में कोना

ये माना मैंने तुम सबसे हसीं हो

मगर सोना तो फ़िर भी होता सोना

ना  वादा तुम करो मिलने का कोई…

Continue

Added by प्रदीप देवीशरण भट्ट on July 19, 2019 at 1:30pm — 3 Comments

बेटी बचाओ बेटी पढाओ

बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ 

सिर्फ़ एक नारा भर नहीँ है

कुछ करके दिखाना भी है

एक क़दम मैंने बढाया है

एक क़दम तुम भी ढ़ा

झिझको मत ठहरो मत

आगे बढो और पढाओ…

Continue

Added by प्रदीप देवीशरण भट्ट on July 17, 2019 at 5:30pm — 1 Comment

गुरु पूर्णिमा

गुरु पूर्णिमा पर विशेष

 

गुरु कृपा हो जाए तो सफ़ल सिद्ध हों काम ।

कृपा हनू पर रखते हैं जैसे सियापति  राम॥

 

राम कहें शंकर गुरु ,भोले कहें श्रीराम।

दोनों ही सर्वज्ञ हैं, मैं जाऊं काकै…

Continue

Added by प्रदीप देवीशरण भट्ट on July 16, 2019 at 4:00pm — 1 Comment

अपने आप में

"यदि तुम्हें

उससे प्रेम है अनंत!

तो तुम स्वीकार

क्यूँ नहीं करते।

 

क्यूँ नहीं देख पाते

उसकी आंखों का सूनापन

जहाँ बरसों से नही बरसी…

Continue

Added by प्रदीप देवीशरण भट्ट on July 9, 2019 at 6:00pm — 2 Comments

नादान बशर

दर्दों गम से हर कोई बेजार है,

हादसों की हर तरफ़ दीवार है।

 

बिक रहे हैं वो भी जो अनमोल हैं,

 कैसे नादानों का ये बाज़ार हैं।

 

सब्र अब सबका चुका लगता मुझे,

हर बशर लड़ने को बस तैय्यार है।

 

पल में तोला पल में माशा मत बनो,

ये भी जीने का कोई आधार है।

 

मुफलिसी के मारे लगते हैं सभी,

फ़िर भी ये लगते नहीं लाचार हैं।

 

जिसके हाथों में हैं ज्यादा पुतलियाँ,

उनकी ही उतनी बड़ी सरकार…

Continue

Added by प्रदीप देवीशरण भट्ट on July 4, 2019 at 6:00pm — 2 Comments

ज़ीस्त

ज़ीस्त को मुझसे है गिला देखो

जी रहा हूँ मैं हौसला देखो

साथ रहते हैं एक छत के तले

दरम्याँ फिर भी फासला देखो

तुम जिधर जा रहे हो बेखुद से

वहीं आयेगा जलजला देखो

सँभाल ही लूँगा मरासिम…

Continue

Added by प्रदीप देवीशरण भट्ट on July 3, 2019 at 2:30pm — 4 Comments

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"तकनीकी कारणों से साइट खुलने में व्यवधान को देखते हुए आयोजन अवधि आज दिनांक 15.04.24 को रात्रि 12 बजे…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, बहुत बढ़िया प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"आदरणीय समर कबीर जी हार्दिक धन्यवाद आपका। बहुत बहुत आभार।"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"जय- पराजय ः गीतिका छंद जय पराजय कुछ नहीं बस, आँकड़ो का मेल है । आड़ ..लेकर ..दूसरों.. की़, जीतने…"
yesterday
Samar kabeer replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"जनाब मिथिलेश वामनकर जी आदाब, उम्द: रचना हुई है, बधाई स्वीकार करें ।"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर posted a blog post

ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना

याद कर इतना न दिल कमजोर करनाआऊंगा तब खूब जी भर बोर करना।मुख्तसर सी बात है लेकिन जरूरीकह दूं मैं, बस…See More
Saturday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"मन की तख्ती पर सदा, खींचो सत्य सुरेख। जय की होगी शृंखला  एक पराजय देख। - आयेंगे कुछ मौन…"
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"स्वागतम"
Saturday
PHOOL SINGH added a discussion to the group धार्मिक साहित्य
Thumbnail

महर्षि वाल्मीकि

महर्षि वाल्मीकिमहर्षि वाल्मीकि का जन्ममहर्षि वाल्मीकि के जन्म के बारे में बहुत भ्रांतियाँ मिलती है…See More
Wednesday
Aazi Tamaam posted a blog post

ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी

२१२२ २१२२ग़मज़दा आँखों का पानीबोलता है बे-ज़बानीमार ही डालेगी हमकोआज उनकी सरगिरानीआपकी हर बात…See More
Wednesday
Chetan Prakash commented on Samar kabeer's blog post "ओबीओ की 14वीं सालगिरह का तुहफ़ा"
"आदाब,  समर कबीर साहब ! ओ.बी.ओ की सालगिरह पर , आपकी ग़ज़ल-प्रस्तुति, आदरणीय ,  मंच के…"
Apr 10
Ashok Kumar Raktale commented on Ashok Kumar Raktale's blog post कैसे खैर मनाएँ
"आदरणीय सुशील सरना साहब सादर, प्रस्तूत रचना पर उत्साहवर्धन के लिये आपका बहुत-बहुत आभार। सादर "
Apr 9

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service