नर्स ने कोविड मरीज को ऑक्सीमीटर से चेक किया I उसका ऑक्सीजन लेवल 85 और पल्स रेट 60 था I पिछले बारह घंटे से वह ऑक्सीजन पर थाI
‘दादा, कोई तकलीफ ?’- नर्स ने पूछा I
‘हाँ, सूखी खाँसी आती है I गला सूखता है I’- मरीज ने दुर्बल स्वर में कहा I
‘खाँसी जाने में अभी महीना भर लगेगा I साँस लेने में तो कोई परेशानी नहीं है?
‘नहीं, ऑक्सीजन लगने से आराम है I’
‘पर दादा, यह मास्क केवल खाना खाने और पानी पीने के समय ही हटाना I मैंने पानी में ओ.आर.एस. मिला दिया है I धीरे-धीरे उसे सिप करना I गले में आराम मिलेगा I’पर दादा आपका इलाज कौन कर रहा है ?’
‘आप फाइल देख लो, शायद कोई बाजपेयी सर हैं I’- मरीज ने कमजोर स्वर में कहा i
‘यह कैसे हो सकता है?
‘क्यों, कोई दिक्कत है या फिर वह डॉक्टर नहीं हैं I‘
‘दादा, सर तो बहुत बड़े डॉक्टर हैं, वे इस हॉस्पिटल के इंचार्ज हैं I उनके पास बहुत से प्रशासनिक काम होते हैं, इसलिए अमूमन वह मरीज को नही देखते I’
‘क्या सचमुच ?’- मरीज के चेहरे पर चमक आ गयी –‘मुझे यही नाम बताया गया था I‘
नर्स ने अनुभव किया, इस बार मरीज के स्वर में दुर्बलता नही थी I उसके चेहरे पर हठात एक मुस्कान उभरी और बिकर लुप्त हो गयी I
‘दादा, आप सचमुच बड़े भाग्यवान है ?’
‘वह कैसे बेटी ?’
‘इसलिए कि सर आपका इलाज कर रहे हैं I वे डायग्नोसिस करने में बेस्ट हैं I अब तक उनके सारे पेशेंट यहाँ से हँसते हुए अपने घर गए हैं I’
‘क्या यह सच है बेटी ?- मरीज के शरीर में एक अजानी सी स्फूर्ति लौट आयी I
‘मैं गलत क्यों कहूँगी? आप भी जल्द ही ठीक हो जायेंगे I अगर आपके हाथ ने वीवो लगा है तो मैं झटपट आपको एक इंजेक्शन दे दूँ I फिर आप चैन से सो जायेगे I’
‘हाँ, वीवो लगा है I’ – मरीज ने अपना हाथ बढ़ा दिया I नर्स ने इन्जेक्शन लगाकर दूसरे वार्ड में चली गयी I रास्ते में उसने मोबाइल पर बात की- ‘हेलो डॉ, बाजपेयी I मैं डॉ. सुषमा I’
‘वेलकम मैम ’-दूसरी तरफ से आवाज आयी I
‘मैंने अपना काम कर दिया है I मेरे प्रयास से मरीज की आँखों में उम्मीद की चमक आयी थी और उसकी बॉडी लैंग्वेज भी बदली थी I पर उसका भ्रम बना रहे कि आप ही इस हॉस्पिटल के इंचार्ज और सबसे बड़े डॉक्टर है I बाकी मैं फिर देख लूँगी I’
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(मौलिक/ अप्रकाशित )
Comment
आदरणीय डॉ गोपाल नारायण श्रीवास्तव जी,
आपकी सार्थक लघुकथा पढ़कर बहुत ख़ुशी हुई | वर्तमान में इस प्रकार के लेखन की जरूरत है ताकि लोगों का गिरा हुआ मनोबल उठाया जा सके |
- शून्य आकांक्षी
आभार धामी जी
आ. भाई गोपाल नारायण जी, सादर अभिवादन । अच्छी कथा हुई है । हार्दिक बधाई।
आभार आदरणीय I
सादर नमस्कार। मनोवैज्ञानिक पहलुओं पर.बेहतरीन लघुकथा। हार्दिक बधाई आदरणीय गोपाल नारायण श्रीवास्तव सर जी।
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