For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

२२ २२ २२ २२ २२ २

आओगे जब भी तुम मेरे ख्वाबों में
उन लम्हो को रख लूँगी मैं यादों में

और नही कुछ चाहूँ तुमसे मेरी जां

दम टूटे मेरा बस तेरी बाहों में

मेरा जीवन इस गुलशन के फूलों जैसा

घिरा हुआ है मगर बहुत से काँटों में


तुमको में रूदाद सुनाऊं क्या अपनी
मेरा हर लम्हा बीता है आहों में

देख रही हो मुझको तुम जैसे "रौनक"
जी चाहे मैं डूब मरूँ इन आँखों में



मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 1080

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by राज़ नवादवी on October 11, 2017 at 10:21pm

आदरणीया कल्पना भट्ट जी, सुन्दर ग़ज़ल की प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें. सादर 

Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on October 11, 2017 at 9:44pm

धन्यवाद आदरणीय सतविन्द्र भैया |

Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on October 11, 2017 at 9:43pm

धन्यवाद आदरणीय अफरोज जी 

Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on October 11, 2017 at 8:22pm
आदरणीयया कल्पना दीदी,बहुत बहुत बहुत सुंदर। हार्दिक बधाई स्वीकारें
Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on October 11, 2017 at 8:22pm
आदरणीयया कल्पना दीदी,बहुत बहुत बहुत सुंदर। हार्दिक बधाई स्वीकारें
Comment by Afroz 'sahr' on September 25, 2017 at 3:32pm
आदरणीया कल्पना रौनक़ जी सुंदर रचना के लिए बधाईआपको ।सादर
Comment by Samar kabeer on September 25, 2017 at 3:19pm
मोहतरमा सुनन्दा झा साहिबा आदाब,'तुकाबले रदीफ' नहीं "तक़ाबुल-ए-रदीफ़"
Comment by Samar kabeer on September 25, 2017 at 3:16pm
बहना कल्पना भट्ट'रौनक़'जी आदाब,बहुत उम्दा ग़ज़ल हुई है,दाद के साथ मुबारकबाद पेश करता हूँ ।
गुणीजनों की बातों का संज्ञान लें ।
Comment by Tasdiq Ahmed Khan on September 25, 2017 at 2:20pm
मुहतर्मा कल्पना रौनक़ साहिबा ,अच्छी ग़ज़ल हुई है ,मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं ।
शेर2 उला मिसरे में तुमको की जगह तुझको और जान की जगह जाँ कर लीजिए ,शेर3 उला मिसरा यूँ करलें --फूलों जैसा जीवन गुलशन में मेरा , सादर
Comment by Mahendra Kumar on September 25, 2017 at 1:36pm

आ. कल्पना मैम अच्छी ग़ज़ल हुई. हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए. 

//और नही कुछ चाहूँ तुमसे मेरी जान// इस शेर को ऐसे कर लीजिए रवानी और बढ़ जाएगी. "और नहीं कुछ चाहूँ तुमसे जान मेरी"

आ. सुनन्दा जी की बात से मैं सहमत हूँ. आप इस शेर को इस तरह कर सकती हैं :

मेरा जीवन इस गुलशन के फूलों जैसा

घिरा हुआ है मगर बहुत से काँटों में

मक्ता एक बार और देख लीजिएगा. सादर.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

सालिक गणवीर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"भाई साहब, न दुआ न सलाम! ऐसे कौन टिप्पणी करता है जी.?"
4 minutes ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"आभार आ. शिज्जू भाई "
6 minutes ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"आभार आ. अमित जी "
7 minutes ago
Samar kabeer replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"दोस्तो आदाब, तबीअत ख़राब होने के कारण इस आयोजन में शिर्कत नहीं  कर पा रहा हूँ, माज़रत  ।"
12 minutes ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"२१२२ १२१२ २२ यूँ ख़ुमारी के सँग बला भी थी आँख में नींद थी निशा भी थी /१ ये जो चूके हैं हम निशाने…"
20 minutes ago
Samar kabeer replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"साइट में कुछ तकनीकी समस्या के कारण 'सुरेन्द्र इंसान' अपनी ग़ज़ल मंच पर पोस्ट नहीं कर पा रहे…"
24 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"बहुत खूब आदरणीय निलेश भाईअच्छे अशआर हुए हैं, हार्दिक बधाई आपको। गिरह खूब लगी है। मित्रता…"
40 minutes ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"आदरणीय Chetan Prakash जी आदाब  ग़ज़ल के प्रयास पर बधाई स्वीकार करें। 2122 1212…"
2 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"शुक्रिया अमित भाई "
2 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"2122    1212    22/112 दास्ताँ प्यार फ़लसफ़ा भी थी  और फ़साना वफ़ा दुआ भी…"
3 hours ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"आदरणीय Nilesh Shevgaonkar जी आदाब  अच्छी ग़ज़ल कही आपने बधाई स्वीकार करें।"
3 hours ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"आदरणीय अजय गुप्ता 'अजेय जी आदाब, ग़ज़ल के अच्छे प्रयास पर बधाई स्वीकार करें।"
3 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service