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1222 - 1222 - 1222 - 1222

फ़क़त रिश्ते जताने को यहाँ मेरी ज़रूरत है 

अज़ीज़ों को सिवा इसके कहाँ मेरी ज़रूरत है 

मुझे ग़म देने वाले आज मेरी राह देखेंगे 

मुझे मालूम है उन को जहाँ मेरी ज़रूरत है 

मेरे अपने मेरे बनकर दग़ा देते रहे मुझको 

सभी को ग़ैर से रग़्बत कहाँ मेरी ज़रूरत है 

लिये उम्मीद बैठे हैं वो मेरी सादा-लौही पर 

चला आता हूँ मैं अक्सर जहाँ मेरी ज़रूरत है

कभी इतराते हैं ख़ुद पर कभी सहमे हुए से वो

बहुत घबरा के कहते हैं कि हाँ मेरी ज़रूरत है 

ज़रूरत कब रही मेरी तुम्हें ख़ुशियों के मौक़े पर 

मगर.. रखने को सर काँधे पे हाँ मेरी ज़रूरत है 

मेरे हाथों फ़ना मुझको ही कर डाला है जब तुम ने 

बचा ही क्या है अब क्यों नागहाँ मेरी ज़रूरत है 

'अमीर' अब भर चुका दिल भी तमाशा क्यों उन्हें भी तो 

वही ग़ैरों की चाहत है कहाँ मेरी ज़रूरत है 

"मौलिक व अप्रकाशित" 

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Comment by अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी on December 9, 2021 at 3:38pm

मुहतरमा रचना भाटिया जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद, ज़र्रा नवाज़ी और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया। सादर।

Comment by अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी on December 9, 2021 at 3:37pm

मुहतरम श्याम नारायण वर्मा जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद, ज़र्रा नवाज़ी और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।  सादर 

Comment by Rachna Bhatia on December 9, 2021 at 11:33am

आदरणीय अमीरुद्दीन "अमीर" जी बेहतरीन ग़ज़ल हुई बधाई स्वीकार करें।

Comment by Shyam Narain Verma on December 9, 2021 at 11:07am
नमस्ते जी, बहुत ही उम्दा प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर
Comment by अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी on December 5, 2021 at 3:48pm

मुहतरम सुशील सरना जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद सुख़न नवाज़ी और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया। सादर।

Comment by अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी on December 5, 2021 at 3:46pm

मुहतरम तेजवीर सिंह जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद सुख़न नवाज़ी और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया। सादर।

Comment by Sushil Sarna on December 5, 2021 at 3:34pm
वाह आदरणीय खूबसूरत अश'आर खूबसूरत अन्दाज की शानदार गजल । दिल से मुबारक कबूल करें सर ।
Comment by TEJ VEER SINGH on December 5, 2021 at 12:13pm

हार्दिक बधाई आदरणीय अमीरुददीन 'अमीर' साहब जी। लाजवाब ग़ज़ल।

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"हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय."
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"सादर"
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