For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

कुण्डलिया (एक प्रयास)
 
 
आँखों में सपने सजा, होंठों पर मुस्कान
साजन औ सजनी चले, प्रेम डगर अंजान
प्रेम डगर अंजान, संग हों जीवन साथी
रौशन हर इक राह, बने जो दीपक बाती    
नैया होती पार, भले हो तूफाँ लाखों
निष्ठा और कर्तव्य, बसे हों जिनकी आँखों....

Views: 839

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on May 17, 2012 at 7:17pm

प्राची पढने में थोड़ी  लेट हो गई बाहर गई थी ...बहुत ही सुन्दर कथ्य और शिल्प से कसी हुई सुन्दर भावों से सुसज्जित कुंडली के लिए ढेरों बधाई 

Comment by Bhawesh Rajpal on May 17, 2012 at 6:52pm
आँखों में सपने सजा, होंठों पर मुस्कान
साजन औ सजनी चले, प्रेम डगर अंजान
प्रेम डगर अंजान, संग हों जीवन साथी
रौशन हर इक राह, बने जो दीपक बाती    
नैया होती पार, भले हो तूफाँ लाखों
निष्ठा और कर्तव्य, बसे हों जिनकी आँखों....
 
बहुत सुन्दर  पंक्तियाँ  !  हृदयस्पर्शी  पंक्तियों के  लिए  आपको बहुत-बहुत बधाई प्राची जी  !

              - भवेश राजपाल  ! 
Comment by आशीष यादव on May 17, 2012 at 6:47pm
बहुत सुन्दर कुण्डलिया। भाव कथ्य एवँ शिल्प सबकुछ दुरूस्त।

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on May 17, 2012 at 6:29pm
आदरणीय प्रदीप कुमार कुशवाहा जी
आपकी क्रिकेट समृद्ध टिपण्णी के लिए हार्दिक आभार.

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on May 17, 2012 at 6:24pm
हार्दिक आभार आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी..
आप ज्ञानी अग्रजों द्वारा रचना का अनुमोदन व सराहना, सदैव कथ्य-भाव समृद्ध लेखन के लिए प्रेरित करता है.
पुनः आभार. सादर.
प्राची

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on May 17, 2012 at 6:21pm
हार्दिक आभार आदरणीय रेखा जी, आपने इस रचना के भाव पक्ष को सराह कर मेरी लेखनी को बल दिया है.

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on May 17, 2012 at 6:16pm
बहुत बहुत आभार आदरणीय योगराज प्रभाकर जी..
कुण्डलिया छंद लिखना सीख कर मै बहुत प्रसन्न हूँ , और आप सब अग्रजों , गुणीजनों , समृद्ध साहित्यकारों से ज्ञान पा कर कृतज्ञ हूँ ..
इस प्रयास को सराहने के लिए हार्दिक आभार. सादर.
प्राची
Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on May 17, 2012 at 6:04pm

aadarniy prachi ji, sadar.

bhagyshali hain aap ki dono umpiron ne aapko out karar nahi diya. bauhmat hai to third umpire kya kare.

bahut sundar shot 

you are not out 

kriket.. hiq kaesa laga. 

badhai 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on May 17, 2012 at 5:19pm

कुण्डलियों पर आपका प्रयास, डा. प्राची, निखरा हुआ है. कथ्य और भाव दोनों से समृद्ध इस कुण्डलिया के लिये आपको बहुत-बहुत बधाइयाँ.

Comment by Rekha Joshi on May 17, 2012 at 4:36pm

आँखों में सपने सजा, होंठों पर मुस्कान
साजन औ सजनी चले, प्रेम डगर अंजान|

प्राची जी अति सुंदर भाव ,बधाई 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छंद  ______ जगमग दीपों वाला उत्सव,उत्साहित बाजार। जेब सोच में पड़ी हुई है,कैसे पाऊँ…"
24 minutes ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"चार पदों का छंद अनोखा, और चरण हैं आठ  चौपाई औ’ दोहा की है, मिली जुली यह ठाठ  विषम…"
56 minutes ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छंद * बम बन्दूकें और तमंचे, बिना छिड़े ही वार। आए  लेने  नन्हे-मुन्ने,…"
10 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
" प्रात: वंदन,  आदरणीय  !"
15 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छंद : रौनक  लौट बाजार आयी, जी   एस   टी  भरमार । वस्तुएं …"
15 hours ago
Admin replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"स्वागतम..."
22 hours ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 184 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post "मुसाफ़िर" हूँ मैं तो ठहर जाऊँ कैसे - लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। विस्तृत टिप्पणी से उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार।"
Monday
Chetan Prakash and Dayaram Methani are now friends
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
""ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179 को सफल बनाने के लिए सभी सहभागियों का हार्दिक धन्यवाद।…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
""ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179 को सफल बनाने के लिए सभी सहभागियों का हार्दिक धन्यवाद।…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय जयहिंद रायपुरी जी, प्रदत्त विषय पर आपने बहुत बढ़िया प्रस्तुति का प्रयास किया है। इस…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service