For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

साथ मेरे ज़िंदगी की …

साथ मेरे ज़िंदगी की …(एक रचना )

साथ  मेरे ज़िंदगी  की रूठी किताब रख देना
जलते चरागों में  बुझे  वो  लम्हात रख देना

रात भर सोती रही शबनम जिस आगोश में
रूठी बहारों में वो सूखा  इक गुलाब रख देना

कहते कहते रह गए  जो थरथराते से ये लब
साथ मेरी  धड़कनों  के वो जज़्बात रख देना

आज तक न दे सके जवाब जिन सवालों का
साथ मेरे  वो सिसकते कुछ जवाब रख देना

मिट गयी थी दूरियां  भीगी हुई जिस रात में
एक मुट्ठी  साथ  मेरे  वो  बरसात रख देना

तमाम शब  तन्हाई  में  जो  मेरे  करीब रहा
साथ मेरे वो  उदास  इक  माहताब रख देना

सुशील सरना
मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 579

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by somesh kumar on January 1, 2015 at 8:47pm

भावनाओं की नदी बहा दी आप ने आदरणीय ,आप का एक शेर आप के लिए  

मिट गयी थी दूरियां  भीगी हुई जिस रात में 
एक मुट्ठी  साथ  मेरे  वो  बरसात रख देना


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on January 1, 2015 at 7:54pm

बहुत सुंदर रचना आदरणीय सुशील सरना जी बधाई स्वीकार करें


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on January 1, 2015 at 7:45pm
इस सुन्दर प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई
Comment by Hari Prakash Dubey on January 1, 2015 at 7:43pm

मिट गयी थी दूरियां  भीगी हुई जिस रात में 
एक मुट्ठी  साथ  मेरे  वो  बरसात रख देना.......बहुत सुंदर प्रस्तुती आदरणीय  सरना जी ,सादर !

Comment by SHARAD SINGH "VINOD" on January 1, 2015 at 7:24pm

रात भर सोती रही शबनम जिस आगोश में
रूठी बहारों में वो सूखा  इक गुलाब रख देना... क्या सारगार्भित प्रतीकात्मक उक्ति है. हार्दिक बधाई हो आदरणीय..

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on January 1, 2015 at 7:21pm

सरना जी

बहुत उम्दा i काबिले  तारीफ i

Comment by Sushil Sarna on January 1, 2015 at 4:30pm

आदरणीय   Shyam Narain Verma  जी  रचना पर आपके स्नेह का हार्दिक आभार।

Comment by Shyam Narain Verma on January 1, 2015 at 4:09pm

बहुत  ही सुन्दर प्रस्तुति  //हार्दिक बधाई आपको 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Aazi Tamaam commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post शेष रखने कुटी हम तुले रात भर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"बहुत खूबसूरत ग़ज़ल हुई आदरणीय बधाई हो"
34 minutes ago
Aazi Tamaam commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post छन्न पकैया (सार छंद)
"अच्छी रचना हुई आदरणीय बधाई हो"
36 minutes ago
Aazi Tamaam commented on surender insan's blog post जो समझता रहा कि है रब वो।
"अच्छी ग़ज़ल हुई आदरणीय बधाई हो 3 बोझ भारी तले को सुधार की आवश्यकता है"
36 minutes ago
Aazi Tamaam commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"खूबसूरत ग़ज़ल हुई आदरणीय इस बह्र पर हार्दिक बधाई"
41 minutes ago
Aazi Tamaam commented on Aazi Tamaam's blog post तरही ग़ज़ल: इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्या
"बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय सुरेंद्र इंसान जी इस ज़र्रा नवाज़ी का"
42 minutes ago
Aazi Tamaam commented on Aazi Tamaam's blog post तरही ग़ज़ल: इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्या
"बहुत शुक्रिया आदरणीय भंडारी जी इस ज़र्रा नवाज़ी का"
43 minutes ago
surender insan commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post छन्न पकैया (सार छंद)
"आदरणीय सुरेश भाई जी  छन्न पकैया (सारछंद) में आपने शानदार और सार्थक रचना की है। बहुत बहुत बधाई…"
1 hour ago
surender insan commented on Aazi Tamaam's blog post तरही ग़ज़ल: इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्या
"आदरणीय आज़ी भाई आदाब। बहुत बढ़िया ग़ज़ल के लिए बधाई स्वीकार करे जी।"
2 hours ago
surender insan commented on surender insan's blog post जो समझता रहा कि है रब वो।
"आदरणीय सौरभ जी सादर नमस्कार जी। ग़ज़ल पर आने के लिए और अपना कीमती वक़्त देने के लिए आपका बहुत बहुत…"
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post छन्न पकैया (सार छंद)
"आदरणीय सुरेश भाई ,सुन्दर  , सार्थक  देश भक्ति  से पूर्ण सार छंद के लिए हार्दिक…"
6 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . विविध
"आदरणीय सुशिल भाई , अच्छी दोहा वली की रचना की है , हार्दिक बधाई "
6 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Aazi Tamaam's blog post तरही ग़ज़ल: इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्या
"आदरनीय आजी भाई , अच्छी ग़ज़ल कही है हार्दिक बधाई ग़ज़ल के लिए "
6 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service