For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

एक तवील ख़ामोशी
ज़हन के दरीचे में
ख़ामोशी ज़बाँ की नहीं
ख़ामोशी ख्यालों की
ज़हन में जो उठते थे
उन सभी सवालों की

सवाल कुछ हैं दुनिया से
जवाब जिनके मिलने की
उम्मीद छोड़ दी मैंने
सवाल कुछ है अपनों से
जवाब जिनके मालुम हैं
पर उन्ही से सुनने हैं

सवाल कुछ हैं खुद से भी
सवाल हर एक लम्हे का
ज़िन्दगी के सफ्हे पर
जो गुज़र गया पहले
या गुजरने वाला है
क्या वो दे गया मुझको
बजुज़ चंद और सवालों के

जवाब जिनके मिलने तक
सवालों की नई दुनिया
आबाद होंगी ज़हनों में
सवाल जो न सुलझेंगे
ज़िन्दगी की उलझन में

सवाल जो कि खुशियों पर
पहरे लगा के बैठेंगे
हर सुबह झिन्झोड़ेंगे
नींद से जगाएंगे
और रात तक हर एक
लम्हे को मुझ से छीनेंगे

और एक दिन जब मैं
मौत के मुहाने पर
ज़िन्दगी के हासिल को
जोड़ने जो बैठूँगा

तो चंद सवालों के सिवा
और कुछ भी जीने का
हासिल जो न नज़र आया

उस वक़्त जो उठ्ठेगा
सवाल एक और कि जिसका
जवाब भी ना सूझेगा

कि क्या मेरे जीने का
हासिल बस एक सवाल ही है ?
उसी सवाल के डर से
ओढ़ ली है ख़ामोशी

ख़ामोशी ज़बां की नहीं
ख़ामोशी ख्यालों की
ज़हन में जो उठते हैं
उन सभी सवालों की

-सालिम शेख 

''मौलिक व अप्रकाशित ''

Views: 575

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by saalim sheikh on June 14, 2015 at 12:07pm

शुक्रिया आदरणीय Saurabh Pandey जी ,कुछ निजी कारणों से पिछले दिनों काफ़ी व्यस्त रहने के कारण यहाँ हाज़िर नहीं हो सका था ,

देरी के लिए कृपया क्षमा करें 

Comment by saalim sheikh on June 14, 2015 at 12:03pm

आप सभी का तहे दिल से शुक्रिया हौसला अफज़ाई के लिए , जनाब maharshi tripathi जी , krishna mishra 'jaan'gorakhpuri भाई ,

Manoj kumar Ahsaas भाई , narendrasinh chauhan भाई और जनाब डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव साहब 

Comment by saalim sheikh on June 14, 2015 at 12:01pm

बहुत बहुत शुक्रिया जनाब Mohan Sethi 'इंतज़ार' साहब 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on June 10, 2015 at 1:00am

आपकी अपनी ही पोस्ट पर वापसी नहीं हुई है, भाई..  बहरहाल बधाइयाँ इस प्रस्तुति केलिए..

Comment by maharshi tripathi on June 5, 2015 at 8:19pm

सुन्दर ,,आपको  हार्दिक बधाई आ. saalim sheikh जी |

Comment by Samar kabeer on June 5, 2015 at 3:54pm
जनाब सालिम शेख़ जी,आदाब,बहुत शानदार नज़्म कही है आपने, दाद के साथ मुबारकबाद क़ुबूल फ़रमाऐं ।
Comment by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on June 4, 2015 at 9:20pm

बहुत सुन्दर! हार्दिक बधाई!भाई सालिम शेख  जी.

Comment by मनोज अहसास on June 4, 2015 at 9:15pm
खूब
Comment by narendrasinh chauhan on June 4, 2015 at 6:28pm

बहुत बढ़िया

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on June 4, 2015 at 5:39pm

बहुत बढ़िया , आपका स्वागत है , सादर .

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-168
"वाक़िफ़ हैं नाज़नीनों की नीची-नज़र से हम दामन जला के बैठे हैं रक़्स-ए-शरर से हम सीना-सिपर हैं…"
1 minute ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-168
"जी आदरणीय अमित जी, कॉपी पेस्ट हो गए थे। फिलहाल एडिट कर तीन शेर अलग से कमेंट बॉक्स में पोस्ट कर दिए…"
20 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-168
"तीन बोनस शेर  कितना भी दिल कहे यही बोले नजर से हम। बिल्कुल नहीं कहेंगे यूं कुछ भी अधर से…"
23 minutes ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-168
"रे हैं आज सुब्ह ख़ुद अपनी नज़र से हम दुबके रहे थे कल जो डकैतों के डर से हम /1 मय्यत पे जो भी आए वो…"
34 minutes ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-168
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी आदाब  आपने १४ अश'आर पोस्ट किए हैं। कृपया एडिट करके इन्हें ११ कर…"
40 minutes ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-168
"२२१ २१२१ १२२१ २१२ वाक़िफ़ हुए हैं जब से जहाँ के हुनर से हम डरने लगे हैं अपने ही दीवार-ओ-दर से हम…"
44 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-168
"मजाहिया ग़ज़ल हालात वो नहीं हैं कि निकले भी घर से हम।आते दिखे जो यार तो निकले इधर से हम। कितना भी…"
47 minutes ago
धर्मेन्द्र कुमार सिंह posted a blog post

जो कहता है मज़ा है मुफ़्लिसी में (ग़ज़ल)

1222 1222 122-------------------------------जो कहता है मज़ा है मुफ़्लिसी मेंवो फ़्यूचर खोजता है लॉटरी…See More
Monday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . सच-झूठ

दोहे सप्तक . . . . . सच-झूठअभिव्यक्ति सच की लगे, जैसे नंगा तार ।सफल वही जो झूठ का, करता है व्यापार…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर posted a blog post

बालगीत : मिथिलेश वामनकर

बुआ का रिबनबुआ बांधे रिबन गुलाबीलगता वही अकल की चाबीरिबन बुआ ने बांधी कालीकरती बालों की रखवालीरिबन…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक ..रिश्ते
"आदरणीय सुशील सरना जी, बहुत बढ़िया दोहावली। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर रिश्तों के प्रसून…"
Monday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156 in the group चित्र से काव्य तक
"  आदरणीय सौरभ जी सादर प्रणाम, प्रस्तुति की सराहना के लिए आपका हृदय से आभार. यहाँ नियमित उत्सव…"
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service