For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल : हमारा प्यार आँखों से अयाँ हो जायगा एक दिन

हमारा  प्यार आँखों से अयाँ हो जाएगा इक  दिन 

छुपाना लाख चाहोगे बयाँ हो जाएगा इक दिन 

ये सब वहशत-ज़दा रातें इसी उम्मीद में गुज़रीं 

कि तुम आओगे , रौशन ये  समां हो जाएगा इक दिन 

न टूटे दिल  , न तन्हा रात , न भीगी  हुई पलकें 

मगर सब छीन कर बचपन,जवां हो जाएगा इक दिन 

तुम्हारे सुर्ख होठों की महक में ऐसा जादू है 

कि भवरों को भी फूलों का गुमाँ हो जाएगा इक दिन 

लिखो बस  गीत उल्फ़त के और नग्मे प्यार के गाओ 

 हमारा मुल्क  सपनों का जहाँ हो जाएगा इक दिन 

''मौलिक एवं अप्रकाशित'' 

Views: 787

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on July 21, 2015 at 11:44pm

आदरणीय सलीम भाई जी मेरे कहे के अनुमोदन हेतु आभार. ग़ज़ल ने परंपरा अनुसार ना का प्रयोग उचित नहीं माना जाता और इसका वज्न न के समान 1 (लघु) ही होता है. जिन बड़े शायरों की आप चर्चा कर रहे है, वास्तव में ये उनकी नहीं बल्कि ऑनलाइन प्रकाशित या टंकित करने वालों की भी त्रुटी हो सकती है. खैर जब ग़ज़ल विधा में ही सर्जना करनी है तो उसके नियमों और परंपरा का पालन ही उचित है. ये मेरा विचार है. 

अब संशोधित ग़ज़ल पर चर्चा कर रहा हूँ- 

न टूटे दिल  , न तन्हा शब , न ये भीगी  हुई पलकें // न टूटे दिल (१२२२)/ न तन्हा शब (१२२२) /न ये भीगी(१२२२)/  हुई पलकें (१२२२)//

लिखो बस  गीत उल्फ़त के और नग्मे प्यार के गाओ / लिखो बस  गीत उल्फ़त के कि नग्मे प्यार के गाओ

यदि इस मिसरे में 'और' रखना है तो 'उल्फत के' का 'के' हटाना होगा या फिर 'और' के स्थान पर 'कि' लिखना होगा तभी मिसरा बह्र में होगा.

सादर 

Comment by saalim sheikh on July 21, 2015 at 11:33pm

आदरणीय Sushil Sarna जी , डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव जी , और Sushil Sarna जी , मेरी ख़ुशनसीबी कि ग़ज़ल आप सब को पसंद आई , बहुत बहुत शुक्रिया हौसला अफज़ाई के लिए 

Comment by saalim sheikh on July 21, 2015 at 11:31pm

आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी , तहे दिल से शुक्रिया , आपके सुझाव पर अमल कर के मैंने रचना दोबारा पोस्ट कर दी है , 

बहुत शुक्रिया 
अगर आप 'न' और 'ना' भी  पर प्रकाश डाल सकें तो  बहुत मेहरबानी होगी ,सादर!

Comment by saalim sheikh on July 21, 2015 at 11:27pm

आदरणीय  Rahul Dangi जी , बेहद शुक्रिया , जी मैंने आखिर वाले 'न' को 'ना' की जगह ही लिखा था , और मैंने कई बड़े शायरों को ऐसा करते देखा है , अगर बात सिर्फ ग़ज़ल की है तो मुमकिन है कि ऐसा हो 

अगर कोई सज्जन इस पर प्रकाश डाल सकें तो बड़ी मेहरबानी होगी 

Comment by saalim sheikh on July 21, 2015 at 11:18pm

बहुत शुक्रिया Pari M Shlok जी 

Comment by saalim sheikh on July 21, 2015 at 11:17pm

इनायत! महर्षि त्रिपाठी जी , शुक्रिया 

Comment by saalim sheikh on July 21, 2015 at 11:17pm

बेहद शुक्रिया MAHIMA SHREE जी 

Comment by saalim sheikh on July 21, 2015 at 11:16pm

बहुत बहुत शुक्रिया जनाब वीनस केसरी जी , आप को ग़ज़ल पसंद आई ये मेरी खुशनसीबी है , मैं कोशिश कर हा हूँ और इस मंच से बहुत कुछ सीखने को मिल रहा है, आपके सुझाव का बेहद शुक्रिया , मैं आइन्दा ख्याल रखूँगा इस बात का 

Comment by saalim sheikh on July 21, 2015 at 11:12pm

धन्यवाद आदरणीय Saurabh Pandey जी , मैंने कई जगह 'और' को 'औ'  की तरह पढ़ते हुए सुना था इसलिए ये ग़लतफ़हमी हुई 

आपकी  कीमती इस्लाह के लिए बेहद  शुक्रिया !


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on July 8, 2015 at 7:17pm

बढिया प्रयास हुआ है. दाद कुबूल किजीये.

और को एक मात्रिक करने के लिए लिखा जा सकता है.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"खुद ही अपनी ज़िन्दगी दुश्वार भी करते रहे दोस्तों से गैर सा व्यवहार भी करते रहे धर्म-संकट से बचाना…"
3 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"आपकी ग़ज़ल में रदीफ़, काफ़िया और बह्र की दृष्टि से प्रयास सधा हुआ है। इसे प्रशंसनीय अभ्यास माना जा…"
7 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"सादर , अभिवादन आदरणीय।"
9 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"नफ़रतों की आँधियों में प्यार भी करते रहे।शांति का हर ओर से आधार भी करते रहे।१। *दुश्मनों के काल को…"
9 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"जय-जय"
9 hours ago
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"स्वागतम"
9 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Saurabh Pandey's blog post गजल - जा तुझे इश्क हो // -- सौरभ
"आ. सौरभ सर श्राप है या दुआ जा तुझे इश्क़ हो मुझ को तो हो गया जा तुझे इश्क़ हो..इस ग़ज़ल के…"
14 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की- लगती हैं बेरंग सारी तितलियाँ तेरे बिना
"धन्यवाद आ. नाथ जी "
14 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की- लगती हैं बेरंग सारी तितलियाँ तेरे बिना
"धन्यवाद आ. विजय जी "
14 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की- लगती हैं बेरंग सारी तितलियाँ तेरे बिना
"धन्यवाद आ. अजय जी "
14 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की- लगती हैं बेरंग सारी तितलियाँ तेरे बिना
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण जी "
14 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की- लगती हैं बेरंग सारी तितलियाँ तेरे बिना
"धन्यवाद आ. समर सर. पता नहीं मैं इस ग़ज़ल पर आई टिप्पणियाँ पढ़ ही नहीं पाया "
14 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service