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नारी दिवस के दोहे - लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

माता भगिनी  संगिनी, सुता  रूप  में नार
विपदा दुख पीड़ा सहे, बाँटे लेकिन प्यार।१।


रही जन्म से नार तो, सदा शक्ति का रूप
समझे कैसे खुद रहा, मर्द हवस का कूप।२।


जो नारी का नित करें, पगपग पर सम्मान
संतो सा उनका रहा, सचमुच चरित महान।३।


नारी को जो  कह गये, यहाँ  नरक का द्वार
सब जन उनको जानिए, इस भू पर थे भार।४।


मुझ मूरख का है नहीं, गीता का यह ज्ञान
देवों से बढ़  नार का, कर  मानव सम्मान।५।


बन जायेगा सच कहूँ, मन्दिर सा हर गेह
अगर मानना छोड़ दें, नारी को बस देह।६।

मौलिक अप्रकाशित

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Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on March 13, 2018 at 3:13pm

आ. भाई विजय जी, सादर अभिवादन । उपस्थिति से दोहों का मान बढ़ाने के लिए आभार ।

Comment by vijay nikore on March 12, 2018 at 1:59pm

दोहे उत्तम हैं।हार्दिक बधाई।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on March 12, 2018 at 11:54am

आ. भाई नीलेश जी, हार्दिक आभार ।

Comment by Nilesh Shevgaonkar on March 12, 2018 at 7:37am

बहुत अच्छे दोहे कहे हैं आ लक्ष्मण भाई ..
बधाई 

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on March 11, 2018 at 2:34pm

आ. भाई सुरेंद्र जी, उपस्थिति और उत्साहवर्धन क लिए आभार ।

Comment by नाथ सोनांचली on March 11, 2018 at 6:09am

आद0 लक्ष्मण धामी जी सादर अभिवादन। बढिया नारी को समर्पित दोहे रचे आपने। बहुत बहुत बधाई

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on March 9, 2018 at 11:14pm

आ. भाई समर जी, सादर अभिवादन । दोहों पर उपस्थिति और प्रशंसा के लिए आभार ।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on March 9, 2018 at 11:12pm

आ. भाई सलीम जी, उत्साहवर्धन के लिए अभार ।

Comment by Samar kabeer on March 8, 2018 at 10:13pm

जनाब लक्ष्मण धामी जी आदाब,नारी दिवस पर बहुत उम्दा दोहे,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

Comment by SALIM RAZA REWA on March 8, 2018 at 9:57pm
आ. लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' जी,
वह वाह आपने नारी दिवस पर
हमारी माँ बेटियों पर क्या दोहे कहे है... वाह हर दोहा ख़ूबसूरत.. मुबारक़बाद क़ुबूल करें.

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