For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

समय पास आ रहा है

समय पास आ रहा है

बहता रहा है समय

घड़ी की बाहों में युग-युग से 

पुरानी परम्परा है 

घड़ी को चलने दो

समय को बहना है, बहने दो

हँसी और रुदन के बीच भटक-भटक

"यह" घड़ी अब पुरानी हो चुकी है

घड़ी की चकरदार

उभरती काँपती सूईयाँ

सुना है, यही सत्य हैं, प्रेरणा हैं यह

ज़िन्दगी जीने का सही स्वर हैं यह

मानो कठिन गणित का सवाल लिए

अपने ही गलत उत्तर से विक्षोभित

संकुचित 

कुछ पल धीरे  कुछ पल रुकती

सवाल का हल सोचती-सी

घड़ी पर अंकित अंकों के बीच बिछी

अज्ञात दूरी को समेटती

"यह" घड़ी अभी भी चल रही है

कब से सोच-विचार करती रुक जाती

"यह" घड़ी अब बहुत पुरानी

इसके अनगिनत पुर्ज़े भी अब वही नहीं रहे

चलते रहने का प्रयास करते-से

घुटनों में मानों अब हो रहा हो दर्द

घड़ी को हल्का-सा हिला देता हूँ

कोई आश्वासन खोज निकालता हूँ

घड़ी चल पड़ती है, समय हँस देता है

परन्तु मात्र हिला देने से

तेल का कतरा डाल देने से

कब तक ऐसे काम चलेगा

इसके पुर्ज़े आए-गए कुछ ज़ंग लगे-से

अब और आगे न चल पाने की ज़िद करते

नियमानुसार नहीं चलते

कुछ पुर्ज़ों को बदल देता हूँ

घड़ी कुछ देर फिर चल पड़ती है

"यह" बहुत पुरानी घड़ी

कभी खाँसी, ज़ुकाम, कभी आस्थमा

कभी बुख़ार की कंपकपी

आज सिर में दर्द, कल नज़र में कमी

पलकों पर पुरानी स्मृतियों की नमी 

कविता लिखती-सी ... कब, कहाँ, क्या हुआ

दर्द किसी ने  इ-त-ना  क्यूँ दिया

कुछ भी तो सपष्ट दिखाई नहीं देता

अब घड़ी के कई पुर्ज़े तक नहीं मिलते

रुक-रुक कर थम जाने से पहले

बर्फ़ीले मौन में

किन-किन स्मृतियों को परे करे

कोई पास आ रहा है, दूर जा रहा है, पास आ रहा है

गतिशील अनवस्थ हवा

ज़रूर कोई संदेश लिए है आज

शोर में भी है अजीब खामोशी 

"इस" घड़ी का शायद

समय आ रहा है

          --------

-- विजय निकोर

(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 590

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by vijay nikore on January 30, 2020 at 3:06am

सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार, मित्र नानक जी।

Comment by vijay nikore on January 29, 2020 at 1:52pm

सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार, भाई समर कबीर जी।

Comment by Samar kabeer on January 28, 2020 at 3:46pm

प्रिय भाई विजय निकोर जी आदाब,बहुत उम्द: रचना हुई है,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

Comment by vijay nikore on January 21, 2020 at 9:01am

सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार, मित्र सुरेन्द्र जी।

Comment by नाथ सोनांचली on January 21, 2020 at 7:43am

आद0 विजय निकोर जी सादर अभिवादन। बेहतरीन उम्दा भाव सम्प्रेषण लिए इस रचना पर आपको अनन्त बधाई निवेदित करता हूँ। सादर

Comment by vijay nikore on January 21, 2020 at 7:09am

आपका हार्दिक आभार, मित्र लक्ष्मण जी

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on January 21, 2020 at 6:44am

आ. भाई विजय निकोर जी, सादर अभिवादन। उत्तम रचना हुई है । हार्दिक बधाई ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on PHOOL SINGH's blog post यथार्थवाद और जीवन
"सुविचारित सुंदर आलेख "
11 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post घाव भले भर पीर न कोई मरने दे - लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"बहुत सुंदर ग़ज़ल ... सभी अशआर अच्छे हैं और रदीफ़ भी बेहद सुंदर  बधाई सृजन पर "
12 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (अलग-अलग अब छत्ते हैं)
"आ. भाई अजय जी, सादर अभिवादन। परिवर्तन के बाद गजल निखर गयी है हार्दिक बधाई।"
Thursday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल हुई है। सार्थक टिप्पणियों से भी बहुत कुछ जानने सीखने को…"
Thursday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन। सुंदर गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"आ. भाई बृजेश जी, सादर अभिवादन। गीत का प्रयास अच्छा हुआ है। पर भाई रवि जी की बातों से सहमत हूँ।…"
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

घाव भले भर पीर न कोई मरने दे - लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

अच्छा लगता है गम को तन्हाई मेंमिलना आकर तू हमको तन्हाई में।१।*दीप तले क्यों बैठ गया साथी आकर क्या…See More
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहते हो बात रोज ही आँखें तरेर कर-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और स्नेह के लिए आभार। यह रदीफ कई महीनो से दिमाग…"
Tuesday
PHOOL SINGH posted a blog post

यथार्थवाद और जीवन

यथार्थवाद और जीवनवास्तविक होना स्वाभाविक और प्रशंसनीय है, परंतु जरूरत से अधिक वास्तविकता अक्सर…See More
Tuesday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"शुक्रिया आदरणीय। कसावट हमेशा आवश्यक नहीं। अनावश्यक अथवा दोहराए गए शब्द या भाव या वाक्य या वाक्यांश…"
Monday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीया प्रतिभा पाण्डेय जी।"
Monday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"परिवार के विघटन  उसके कारणों और परिणामों पर आपकी कलम अच्छी चली है आदरणीया रक्षित सिंह जी…"
Monday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service