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ग़ज़ल _ घर की बर्बादी के हालात नज़र आते हैं |0

(फाइ ला तुन _फ इ लातुन _फ इ लातुन _फे लुन)

घर की बर्बादी के हालात नज़र आते हैं |
उनके तब्दील खयालात नज़र आ ते हैं |

सिर्फ़ मेरी ही नहीं उनसे तलब मिलने की
वो भी मुश्ताक़े मुलाकात नज़र आ ते हैं |

जिनके वादों ने हसीं ख्वाब दिखाए मुझको
उफ़ बदलते हुए वो बात नज़र आ ते हैं |

उनकी यादों को भुलाऊँ तो भुलाऊँ कैसे
वो तसव्वुर में भी दिन रात नज़र आ ते हैं |

बे असर यूँ न हुईं मेरी वफाएँ यारो
उनके सोए हुए जज़्बात नज़र आ ते हैं |

ख़ास जो दोस्त हैं मिलती है यह उन में खसलत
वक्ते मुश्किल वो सदा साथ नज़र आ ते हैं |

ज़ख़मे नौ देता है तस्दीक वो हर दिन फ़िर भी
तुम को आसारे इना यात नज़र आ ते हैं |

(मौलिक व अप्रकाशित)

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Comment by Ravi Shukla on August 6, 2018 at 11:31pm

वाह वाह आदरणीय तस्दीक साहब बढिया गजल हुई है मुबारक बाद पेश करता हूँ

उनकी यादों को भुलाऊँ तो भुलाऊँ कैसे 
वो तसव्वुर में भी दिन रात नज़र आ ते हैं |  रवायती अंदाज का शेर बहुुत पंसद आया पुनः बघाई

Comment by Naveen Mani Tripathi on August 6, 2018 at 10:36pm

वाह बहुत खूब ग़ज़ल हुई ।जनाब तस्दीक अहमद खान साहब बधाई आपको ।

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on August 6, 2018 at 9:26pm

जनाब भाई लक्ष्मण धामी साहिब , ग़ज़ल में आपकी शिर्कत और हौसला अफज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया I 

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on August 6, 2018 at 9:24pm

मुह तरमा बबिता साहिबा, ग़ज़ल पर आपकी सुंदर प्रतिक्रिया और हौसला अफज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया I 

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on August 6, 2018 at 9:24pm

मुहतरम जनाब समर साहिब आ दाब , ग़ज़ल पर आपकी खूबसूरत प्रतिक्रिया और हौसला अफज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया I 

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on August 6, 2018 at 9:23pm

जनाब किशोर साहिब , ग़ज़ल में आपकी शिर्कत और हौसला अफज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया I 

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on August 6, 2018 at 7:11pm

आ. भाई तस्दीक अहमद जी, सुंदर गजल हुयी है । हार्दिक बधाई ।

Comment by babitagupta on August 6, 2018 at 6:17pm

बेहतरीन गजल,हार्दिक बधाई स्वीकार कीजियेगा,आदरणीय सरजी। 

Comment by Samar kabeer on August 6, 2018 at 6:15pm

जनाब तस्दीक़ अहमद साहिब आदाब,अच्छी ग़ज़ल हुई है, दाद के साथ मुबारकबाद पेश करता हूँ ।

Comment by Kishorekant on August 6, 2018 at 6:07pm

बेहतरीन ग़ज़ल केलिये मुबारकवाद स्विकार करें आदरणीय तस्दिक अहमद खाए साहब 

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