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ग़ज़ल (2)

२२ २२ २२ २२ २२ २

आओगे जब भी तुम मेरे ख्वाबों में
उन लम्हो को रख लूँगी मैं यादों में

और नही कुछ चाहूँ तुमसे मेरी जां

दम टूटे मेरा बस तेरी बाहों में

मेरा जीवन इस गुलशन के फूलों जैसा

घिरा हुआ है मगर बहुत से काँटों में


तुमको में रूदाद सुनाऊं क्या अपनी
मेरा हर लम्हा बीता है आहों में

देख रही हो मुझको तुम जैसे "रौनक"
जी चाहे मैं डूब मरूँ इन आँखों में



मौलिक एवं अप्रकाशित

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Comment by राज़ नवादवी on October 11, 2017 at 10:21pm

आदरणीया कल्पना भट्ट जी, सुन्दर ग़ज़ल की प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें. सादर 

Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on October 11, 2017 at 9:44pm

धन्यवाद आदरणीय सतविन्द्र भैया |

Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on October 11, 2017 at 9:43pm

धन्यवाद आदरणीय अफरोज जी 

Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on October 11, 2017 at 8:22pm
आदरणीयया कल्पना दीदी,बहुत बहुत बहुत सुंदर। हार्दिक बधाई स्वीकारें
Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on October 11, 2017 at 8:22pm
आदरणीयया कल्पना दीदी,बहुत बहुत बहुत सुंदर। हार्दिक बधाई स्वीकारें
Comment by Afroz 'sahr' on September 25, 2017 at 3:32pm
आदरणीया कल्पना रौनक़ जी सुंदर रचना के लिए बधाईआपको ।सादर
Comment by Samar kabeer on September 25, 2017 at 3:19pm
मोहतरमा सुनन्दा झा साहिबा आदाब,'तुकाबले रदीफ' नहीं "तक़ाबुल-ए-रदीफ़"
Comment by Samar kabeer on September 25, 2017 at 3:16pm
बहना कल्पना भट्ट'रौनक़'जी आदाब,बहुत उम्दा ग़ज़ल हुई है,दाद के साथ मुबारकबाद पेश करता हूँ ।
गुणीजनों की बातों का संज्ञान लें ।
Comment by Tasdiq Ahmed Khan on September 25, 2017 at 2:20pm
मुहतर्मा कल्पना रौनक़ साहिबा ,अच्छी ग़ज़ल हुई है ,मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं ।
शेर2 उला मिसरे में तुमको की जगह तुझको और जान की जगह जाँ कर लीजिए ,शेर3 उला मिसरा यूँ करलें --फूलों जैसा जीवन गुलशन में मेरा , सादर
Comment by Mahendra Kumar on September 25, 2017 at 1:36pm

आ. कल्पना मैम अच्छी ग़ज़ल हुई. हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए. 

//और नही कुछ चाहूँ तुमसे मेरी जान// इस शेर को ऐसे कर लीजिए रवानी और बढ़ जाएगी. "और नहीं कुछ चाहूँ तुमसे जान मेरी"

आ. सुनन्दा जी की बात से मैं सहमत हूँ. आप इस शेर को इस तरह कर सकती हैं :

मेरा जीवन इस गुलशन के फूलों जैसा

घिरा हुआ है मगर बहुत से काँटों में

मक्ता एक बार और देख लीजिएगा. सादर.

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