For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

"जश्न पर जश्न" - (लघुकथा) 22 - शेख़ शहज़ाद उस्मानी

"जश्न पर जश्न" - (लघुकथा)

"आदरणीय, आज तुम मुझे बार-बार यूँ घूर-घूर कर क्यों देख रहे हो, अपनी इन उँगलियों से मुझे बार-बार यूँ क्यों छू रहे हो ?' - उसने कुछ इतराते हुए पूछा।

"प्रिये, आज तुम पहले से ज़्यादा ख़ूबसूरत लग रही हो, तुम्हारा प्रत्येक अंग, हर एक हिस्सा मुझे सुंदर और मुस्कराता सा लग रहा है !"

"और तुम, तुम भी तो बहुत दिनों बाद बहुत ख़ुश नज़र आ रहे हो, तभी तो तुम मेरे लिए नई श्रंगार सामग्री लाये हो, वरना कब जाते हो तुम बाज़ार। तुम्हें तुम्हारे तरीक़े से जश्न मनाते हुए देखकर मैं कितनी ख़ुश हूँ, तुम कभी नहीं समझ पाओगे । सच तो यह है न कि तुम्हारे जश्न में ही मेरा जश्न है !"

"तुम्हारे कहने का मतलब ?"

"जब से तुमने प्रतिक्रियायें और समीक्षायें पढ़ीं , तभी से तो तुम जश्न मना रहे थे, आज महीने के सर्वश्रेष्ठ रचनाकार चुने जाने पर तुमने नई डायरी, और नये पेन ख़रीदकर बाज़ार में जलेबी और रसमलाई खा कर जो उत्सव मनाया, उसे देखकर मैं भी तो बहुत प्रसन्न हूँ। यह सच है कि सबने मुझे पढ़ा, सराहा, पुरस्कृत किया लेकिन तुम्हारी कल्पना और शब्द-शिल्प संग तुम्हारी लेखनी से ढलने के बाद आज जब तुम सबको मेरे बारे में बता रहे थे, और फिर एकांत में एक बार पुनः मुझे देख रहे थे, पढ़ रहे थे, अपनी उँगलियाँ मुझ पर फेर रहे थे, यह मेरे लिये सबसे बड़ा उत्सव नहीं तो और क्या है ?" चहकते हुये उसने कहा ही था कि डायरी का पन्ना हवा में लहराने लगा।

"ओह, मेरी अनुपम, सार्थक, सटीक, उत्कृष्ट लघुकथा ! कम से कम तुमने तो मेरी खुशी में मेरा साथ दिया, वरना घर पर कौन है मेरा !"- कहकर लघु-कथाकार ने डायरी को सीने से लगा लिया ।

(मौलिक व अप्रकाशित)
शेख़ शहज़ाद उस्मानी
शिवपुरी म.प्र.
[29 अक्टूबर, 2015]

Views: 447

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on April 8, 2017 at 3:36am
मेरी इस ब्लोग-पोस्ट पर समय देने हेतु सभी पाठकों को तहे दिल से बहुत बहुत शुक्रिया।
Comment by Sheikh Shahzad Usmani on November 5, 2015 at 12:10pm
तहे दिल बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय अजय कुमार शर्मा जी व मोहतरमा राहिला साहिबा जी मेरी रचना पर उपस्थित हो कर मुझे प्रोत्साहित करने के लिए।
Comment by Rahila on October 29, 2015 at 4:45pm
बहुत ही खूबसूरत रचना आदरणीय उस्मानी जी !मेरे पास शब्द नही इस रचना की तारीफ के लिये । बहुत बधाई आपको ।
Comment by Ajay Kumar Sharma on October 29, 2015 at 3:59pm

वाह!! , उस्मानी साहब ।

अत्यंत सुंदर लघु कथा।

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on October 29, 2015 at 3:51pm
अपना बहुमूल्य समय देकर मेरी रचना को गहराई से समझ कर उसके मर्म तक पहुँचने और लेखनी को प्रोत्साहित करने के लिए हृदयतल से बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी तथा आदरणीय Tej Veer Singh जी।
Comment by TEJ VEER SINGH on October 29, 2015 at 3:22pm

हार्दिक बधाई आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी!आपने इस  लघुकथा में लघुकथाकार/साहित्यकार के अंतर्मन को खोल कर रख दिया!यह एक शाश्वत सत्य है कि रचनाकार के लिये उसकी रचनायें एक जीवनदायिनी की भूमिका निभाती हैं!बहुत सुंदर!


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on October 29, 2015 at 2:53pm

अनुपम 

अद्भुत 

लाजवाब 

कमाल 

अभिभूत हूँ आपकी रचना पढ़कर 

झूम गया आपकी सोच पर.... रचनाकार और रचना के बीच के सम्बन्ध को ऐसे सार्थक शब्द दिए है आपने कि बस मुग्ध हूँ पढ़कर 

बधाई बधाई बधाई 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
13 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"  क्या खोया क्या पाया हमने बीता  वर्ष  सहेजा  हमने ! बस इक चहरा खोया हमने चहरा…"
14 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
14 hours ago
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
yesterday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
Friday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Friday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Wednesday
anwar suhail updated their profile
Dec 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Dec 5
ajay sharma shared a profile on Facebook
Dec 4
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service