Comment
bahut umda bhaav aur behtreen sandesh deti hui ghazal.
तारीकियों में नूर लुटता है कौन आज|
कुछ फिक्रो जिक्र कीजे,मगजमारी कीजिये|.....यह शेर बहुत ही पसंद आया|सादर वंदे
वाह! आदरणीय रविन्द्र जी, सादर! बहुत खूब, दाद कुबूल करें.
आदरणीय रविन्द्र जी, आपकी ग़ज़ल के भाव बहुत अच्छे है जिसके लिए आपको सादर साधुवाद. लेकिन शेअर नंबर ३ से शेअर नंबर ५ तक काफिये का निर्वहन सही नहीं हुआ है. जैसा की भाई वीनस केसरी जी ने कहा है, शिल्प पर ध्यान देने की बहुत ज्यादा आवश्यकता है.
adarniya prabhat ji sadar abhivadan, sundar bhav ki gajal. badhai.
रवीन्द्र जी सुन्दर भावाभिव्यक्ति है,
आपके पास गज़ब के भाव हैं जिनको आप मोहक ढंग से रचना में उतार देते हैं
बधाई
शिल्पगत कसाव से आपकी रचना और निखरेगी आशा करता हूँ आप शिल्प पर और ध्यान देंगे
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