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दिल मेरा फिर से सितमगर तलाश करता है।

दिल मेरा फिर से सितमगर तलाश करता है।

आईना जैसे के पत्थर तलाश करता है॥

एक दो क़तरे से ये प्यास बुझ नहीं सकती,

दिल मेरा अब तो समंदर तलाश करता है॥

तेरी धड़कन तेरी हर सांस में छुपा है वो,

आजकल जिसको तू बाहर तलाश करता है॥

जाने किस बात से नाराज़ है मेरा दिलबर,

लेके पत्थर जो मेरा सर तलाश करता है॥

छोडकर मुझको तड़पता हुआ अकेले में,

वो किसी और का बिस्तर तलाश करता है॥

चैन जो दिन का चुराता है नींद रातों की,

दिल उसे ख़्वाबों में अक्सर तलाश करता है॥

अपने हाथों की लकीरों को देखकर मुफ़लिस,

रात दिन अपना मुकद्दर तलाश करता है॥

हरसू मिलती है बहुत भूक बेबसी तंगी,

जब ग़रीबों का कोई घर तलाश करता है॥

खिड़कियाँ खोल के बाहर नहीं देखा “सूरज”

धूप को कमरे के अंदर तलाश करता है॥

                        डॉ. सूर्या बाली “सूरज”

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Comment by MAHIMA SHREE on May 16, 2012 at 8:43pm
आदरणीय डॉ सूरज जी , नमस्कार  , आपकी ये गजल ने तो निशब्द कर दिया ... वाह वाह वाह !!
हार्दिक बधाई आपको
Comment by Shayar Raj Bajpai on May 16, 2012 at 8:20pm

अपने हाथों की लकीरों को देखकर मुफ़लिस,

रात दिन अपना मुकद्दर तलाश करता है॥

जाने किस बात से नाराज़ है मेरा दिलबर,

लेके पत्थर जो मेरा सर तलाश करता है॥

इन शेरो के लिए विशेष बधाइयां स्वीकार करें जनाब..... बहुत उत्तम.... और आपका मक्ता तो सुभानल्लाह....क्या कहने.... :)

Comment by Raj Tomar on May 16, 2012 at 7:42pm

बहुत खूब.

जाने किस बात से नाराज़ है मेरा दिलबर,

लेके पत्थर जो मेरा सर तलाश करता है॥
मतलब.. हद हो गई.:)

 

Comment by Rekha Joshi on May 16, 2012 at 4:30pm

खिड़कियाँ खोल के बाहर नहीं देखा “सूरज”

धूप को कमरे के अंदर तलाश करता है॥beautiful lines,badhaai

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on May 16, 2012 at 3:24pm

waah waah kya..................baat hai ....................aur prabhakar sir ki pratkriya ke baad ham alfaaj talash karte hain ....................badhai ho sir ji...


प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on May 16, 2012 at 2:57pm

//दिल मेरा फिर से सितमगर तलाश करता है।
आईना जैसे के पत्थर तलाश करता है॥ // आहा हा हा हा हा हा !!!! क्या रिबायती रंगत का मतला कहा है - बहुत खूब.

//एक दो क़तरे से ये प्यास बुझ नहीं सकती,
दिल मेरा अब तो समंदर तलाश करता है॥ // वाह वाह वाह !

//तेरी धड़कन तेरी हर सांस में छुपा है वो,
आजकल जिसको तू बाहर तलाश करता है॥ // बहुत आला दर्जे की आध्यात्मिक बात कही है - आफरीन.

//जाने किस बात से नाराज़ है मेरा दिलबर,
लेके पत्थर जो मेरा सर तलाश करता है॥ // बहुत खूब.

//छोडकर मुझको तड़पता हुआ अकेले में,
वो किसी और का बिस्तर तलाश करता है॥ // बेहतरीन ख्याल - लाजवाब शेअर.

//चैन जो दिन का चुराता है नींद रातों की,
दिल उसे ख़्वाबों में अक्सर तलाश करता है॥ // अति सुन्दर.

//अपने हाथों की लकीरों को देखकर मुफ़लिस,
रात दिन अपना मुकद्दर तलाश करता है॥ // हासिल-ए-ग़ज़ल शेअर, हकीकत बयां करता हुआ. आनंद आ गया. 

//हरसू मिलती है बहुत भूक बेबसी तंगी,
जब ग़रीबों का कोई घर तलाश करता है॥ // बहुत खूब.

//खिड़कियाँ खोल के बाहर नहीं देखा “सूरज”
धूप को कमरे के अंदर तलाश करता है॥// मकता भी बेहद खूबसूरत कहा है. इस खूबसूरत कलाम के लिए मेरी दिली बधाई कबूल फरमाएँ डॉ सूर्या बाली "सूर्य" साहिब.

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