(1)
जो ग़ालिब थे , मेरे जैसी ही उन पर भी गुज़रती थी,
अगर और जीते वो तो उनको क्या मिला होता....
डुबोया हम दोनों को अपने अपने जैसे होने ने,
वो न होते तो क्या होता , मैं न होती तो क्या होता....
जो बने हैं दोस्त नासेह, वही दोस्त बावफा हैं,
कहाँ हमें था अच्छा होना , जो वो चारासाज़ होता....
कोई फर्क अब नहीं है , शबे वस्ल हो या फुरकत,
ऐसे भी मर रहे हैं , वैसे भी मरना होता.....
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(2)
वो वफागर न हुआ इस में उस का दोष ही क्या,
मेरे ही प्यार में कुछ नुक्स पाए जाते हैं.....
मैं जिसे अपना कहूँ उसकी वफादारी को,
मेरी चाहत के जरासीम खा जाते हैं.....
जाने अहबाब थे मेरे वो या कि चूहे थे,
इधर हम डूबते हैं, उधर वो भागे जाते हैं.....
आप भी आइये सर फोड़ लीजिये अपना,
बुतों का शहर है, याँ पत्थर ही पाए जाते हैं.....
हम वो मेंहदी हैं , जिन नाखूनों के सर चढ़ जायें,
कट भी जायें तो मेरा रंग न छुड़ा पाते हैं.....
आज बस इतना ही, कुछ और भी है काम ज़रा,
रोज़-ओ-अय्याम की गर्दिश है, अभी आते हैं ..........
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बावफा……..वफादार, ** चारासाज़….चिकित्सक , ** वस्ल……….मिलन,* * फुरकत……..जुदाई, **जरासीम……रोगाणु, बैक्टीरिया, ** अहबाब……..दोस्त, ** रोज़-ओ-अय्याम की गर्दिश…..दिन और रात का चक्र.
Comment
आदरणीया सरिता सिन्हा जी जय श्री राधे ..अब आप ने उर्दू लफ्ज समझाना शुरू किया अब आएगा मजा ...भ्रमर ५
आदरणीया सरिता सिन्हा जी जय श्री राधे नाम तो आप का लिया है लेकिन सीमा जी कह दिया क्षमा करियेगा ...क्षमा बड़न को चाहिए हम बालक तो उत्पाती हैं ही . वर्तमान व्यवस्था व परिस्थिति पर पर बढ़िया कटाक्ष .. आभार आप का काश ये विषमताएं दूर हों सरिता जी ...भ्रमर ५
दोनों नज़्म खुबसूरत हैं, कहन बहुत ही उम्दा , बधाई स्वीकार करें |
परम स्नेही मित्रों, नमस्कार,
उर्दू शब्दों का हिंदी में अर्थ देने के लिए धन्यवाद सरिता सिन्हा जी।
बहुत सुन्दर सरिता सिन्हा जी, बधाई स्वीकार कीजिये. यदि आप कठिन उर्दू शब्दों का हिंदी में अर्थ भी साथ ही दे दें तो बहुत अच्छा होगा.
वो वफागर न हुआ इस में उस का दोष ही क्या,
मेरे ही प्यार में कुछ नुक्स पाए जाते हैं.....
sarita ji apne to kmaal kar diya ,badhaai
कोई फर्क अब नहीं है , शबे वस्ल हो या फुरकत,
ऐसे भी मर रहे हैं , वैसे भी मरना होता.....
ati sundr gazal,sarita ji badhai
सरिता जी
सादर,
वो वफागर न हुआ इस में उस का दोष ही क्या,
मेरे ही प्यार में कुछ नुक्स पाए जाते हैं.....
वाह! बहुत ही सुन्दर गजलें. बधाई.
वो वफागर न हुआ इस में उस का दोष ही क्या,
मेरे ही प्यार में कुछ नुक्स पाए जाते हैं.....
आप भी आइये सर फोड़ लीजिये अपना,
बुतों का शहर है, याँ पत्थर ही पाए जाते हैं.....
हम वो मेंहदी हैं , जिन नाखूनों के सर चढ़ जायें,
कट भी जायें तो मेरा रंग न छुड़ा पाते हैं...
सरिता जी बहुत सुन्दर रचनाएं ...उर्दू लफ्ज जो कठिन हैं अगर अर्थ उनका नीचे लिख सकें तो शेरो शायरी में आनंद और आये ..भ्रमर ५
वो वफागर न हुआ इस में उस का दोष ही क्या,
मेरे ही प्यार में कुछ नुक्स पाए जाते हैं.....
अपने अन्दर झांक कर देखना चाहिए था!
सरिता दीदी आप बहुत कठिन उर्दू लिखती हैं! फिर भी वाह! वाह! तो बनती ही है !!!!
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