For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

सब की प्यारी माँ.

छहः साल  का नन्हा सा बच्चा था रोहन, लेकिन बड़ा होशियार.मम्मी पापा सब की आँखों का तारा . पढने में जितना होशियार उतना ही बड़ा खिलाडी.हमेशा कोई न कोई नयी हरकत कर के माँ को चौंका देता था. एक दिन  शाम  को काफी अँधेरा हो चला  लेकिन रोहन खेल कर घर नहीं लौटा. माँ की डर के मारे  हालत ख़राब होने लगी. उलटे सीधे विचार मन में आने लगे..बेहाल हो कर ढूंढने  निकली तो देखा की जनाब शर्ट को पेट पर आधा  मोड़े हुए उस में कोई  चीज़ बटोरे लिए चले आ रहे हैं. ख़ुशी से चेहरा लाल हुआ है. मुस्कान है कि रोके नहीं रुक रही..माँ डांटना  वाटना  भूल कर   आश्चर्य में पड़   गयी कि आखिर कौन सा खज़ाना मिल गया ..रोहन ने पास आ कर माँ को  खुशी ख़ुशी  बताया कि आज उन्हों ने एक गिलहरी के नन्हे से बच्चे को कैसे पकड़ा और  कैसे गोद में उठा कर   ले  आये  हैं , अब इसे पालतू बनाएंगे और अपने रूम में रखेंगे.......

माँ के गुस्से का ठिकाना न रहा..कहने लगी .." तुम्हारी खुराफातें दिन पर दिन बढती ही जा रही हैं, गिलहरी का  बच्चा माँ से अलग हो कर कैसे रहेगा ?"
रोहन की आँखों से टप टप आंसू  गिरने लगे .."तुम्हे क्या पता माँ, मैं ने कितनी मेहनत की है इस को यहाँ  तक  लाने में.. "
"लेकिन ..ये खायेगा क्या?"
रोहन को कुछ आशा बंधी. बोला "बिस्किट,अमरुद, रोटी, .....कुछ भी खा लेगा..."
"और रहेगा कहाँ?..तुम्हारी शर्ट में?" 
अब सोचने की बारी रोहन की थी......बोला .."माँ, तुम  किचेन    वाली वो बास्केट दो न...जिस में टमाटर रखती हो."
जल्दी जल्दी उसके रहने के लिए पुरानी कॉपी के पन्नों का बिस्तर लगाया गया , उस में रोहन ने बिस्किट और मूंगफली के दाने रख कर, टोकरी का ढक्कन लगा दिया , और जम कर वहीँ बैठ  गया..गिलहरी का बच्चा दहशत में था...उस ने कोई भी चीज़ नहीं छुई.केवल चीं, चीं करता रहा...
रोहन की माँ बोली..."देखो तुम ने उसे उस की माँ से दूर कर दिया , वो इसी लिए दुखी है."
रोहन को बात  पसंद नही आयी....विरोध के स्वर में बोला ..."इतना अच्छा खाना कहीं उस की माँ खिलाती होगी..."
रात हो गयी ...रोहन ने होम वर्क भी कर लिया, खाना भी खा लिया , सोने चला , लेकिन गिलहरी का बच्चा वैसे ही गुमसुम एक किनारे बैठा रहा .रोहन ने मूंगफली के दाने गिने...जितने उस ने डाले थे , सब पूरे  के पूरे  मौजूद थे...माँ भी देखने आयी...दुखी हो कर बोली..."वो नहीं  खायेगा, उसे अपनी माँ की याद आ रही है."   बच्चा वैसे ही गुमसुम सा एक किनारे    बैठा चीं चीं करता रहा.....
रोहन अन्दर ही अन्दर सहम गया, अब क्या करे? पता नहीं इस की माँ अब कहीं मिलेगी या नहीं? कहीं ये बेचारा भूखा न मर जाये...लेकिन क्या कर सकता था..रात काफी हो गयी थी...उस ने चुप चाप टोकरी उठाई और उसे  खिड़की की चौड़ी सतह पर रख कर सोने चला गया...
रात भर उसे अजीब अजीब सपने आते रहे, देखा कि  वो माँ का हाथ पकडे घूम रहा है तभी एक  राक्षस उसे  छीन कर भागा  और ले जा कर पहाड़  की चोटी  पर बैठा दिया ...वो चीख कर उठ बैठा...माँ ने उसे  और चिपका  कर सुला लिया लेकिन फिर भी उसे ठीक से नींद न आयी...
सुबह होते ही वो सब से पहले भाग कर अपने  नन्हे मेहमान के पास पहुंचा, और वहां का दृश्य देख कर हतप्रभ रह गया.........
खिड़की के उस पार उस नन्हे बच्चे की माँ सीखचों से चिपक कर बैठी थी और इधर वो बच्चा टोकरी की जाली से.... माँ के पंजों में एक छोटा सा कच्चा अमरुद था, जिसे वो बीच में रखे हुए थी और उस का बच्चा बड़े मज़े से , टोकरी के  के अन्दर से ही कुतर कुतर के अमरुद खा  रहा था.
इतने में रोहन की मम्मी भी  पीछे से आ गयी...
रोहन को अपना रात वाला सपना याद आ  गया.....वो माँ  सेलिपट गया..
माँ ने कहा......."देखा....मैं ने कहा था न, वो माँ के बिना  खाना नही खायेगा.. तुम खाते हो कहीं, मेरे बिना..?"
अब जा के रोहन को बात समझ में आई..लेकिन तब तक गिलहरी इन लोगों को  देख कर भाग गयी थी और बच्चा बड़े जोर से चीं चीं चिल्ला  रहा था मानो माँ  को देख कर उसे संजीवनी शक्ति मिल गयी हो...
माँ ने रोहन को समझाया "वो कही गयी नहीं होगी, वहीँ बाहर कहीं बैठी होगी.तुम इस बच्चे को टोकरी से निकाल कर गार्डेन में ले जाओ , देखना वो खुद ही आ जाएगी.."
रोहन ने दुखी मन से डरे हुए बच्चे को टोकरी से निकाला.. फिर से अपनी शर्ट में सम्हाल कर रखा ,और भारी क़दमों से गार्डेन में आ गया, बच्चे को हौले से घास पर रख कर वापस घर के  दरवाज़े तक आया तो देखता क्या है कि एक पेड़  के पीछे से निकलकर माँ गिलहरी सर्र से आई  और उतनी ही तेज़ी से बच्चे के साथ सामने वाले पेड़  पर चढ़ कर गायब हो गयी....
देखते ही देखते रोहन का रात का मेहमान विदा हो  गया......रोहन उस खाली टोकरी के पास वापस आया और मूंगफली के दाने गिनने लगा.....सारे के सारे  दाने वैसे ही पड़े थे........

Views: 1051

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Rekha Joshi on May 17, 2012 at 10:56pm

सरिता जी माँ बच्चे का अटूट रिश्ता होता है ,बहुत अच्छी प्रस्तुति ,बधाई |

Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on May 11, 2012 at 10:06pm

माँ ने कहा......."देखा....मैं ने कहा था न, वो माँ के बिना  खाना नही खायेगा.. तुम खाते हो कहीं, मेरे बिना..?"

माँ की ममता का जितना भी बखान किया जाए कम है ..कोई उसका सानी नहीं ..सुन्दर प्रवाह ..मन को छू गयी ये कहानी  ...आभार  --भ्रमर ५ 


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on May 11, 2012 at 8:56pm

माँ का स्थान दुनिया में कोई नहीं ले सकता , माँ शब्द की पवित्रता शब्दों से बयां करना मुमकिन नहीं है , गिल्लू के बहाने बहुत ही सार्थक सन्देश यह कहानी दे रही है | बधाई स्वीकार करें |

Comment by AVINASH S BAGDE on May 11, 2012 at 5:09pm

......रोहन उस खाली टोकरी के पास वापस आया और मूंगफली के दाने गिनने लगा.....सारे के सारे  दाने वैसे ही पड़े थे....umda kahani...Sarita ji..

Comment by Sarita Sinha on May 11, 2012 at 1:51pm

आदरणीय राजेश कुमारी जी, नमस्कार,

जी हाँ, जीवों में भी संवेदनाएं होती हैं, बच्चों,  बड़ो , सब  को   ये बात समझनी चाहिए..आपको भाव अच्छे लगे इस के लिए धन्यवाद...
Comment by Sarita Sinha on May 11, 2012 at 1:48pm

जवाहर भाई, नमस्कार,

कहानी का सन्देश आपको अच्छा लगा, इस के  लिए धन्यवाद..
Comment by Sarita Sinha on May 11, 2012 at 1:46pm

मान्यवर अशोक जी, नमस्कार,

कहानी का मर्म समझने के  लिए आप का धन्यवाद  ,... 

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on May 9, 2012 at 5:29pm

सरिता जी आपकी यह कहानी भाव विव्हल कर गई छोटे बच्चों का इन नन्हेजानवरों  से बड़ा लगाव होता है  आपने कहानी के माध्यम से बहुत सुन्दर सन्देश दिया है 

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on May 9, 2012 at 5:22am

आदरणीय सरिता बहन, नमस्कार!

इतनी अच्छी सन्देश परक, 'मदर'स डे' (मातृ दिवस) के उपलक्ष्य पर यह कहानी और भी महत्वपूर्ण हो जाती है! बधाई!

Comment by Ashok Kumar Raktale on May 8, 2012 at 10:04pm

सरिता जी सादर,
                         इतनी सुन्दर संदेशात्मक और  भावुक कर देने वाली कहानी बधाई स्वीकार करें.    

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

अजय गुप्ता 'अजेय commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"ब्रजेश जी, आप जो कह रहें हैं सब ठीक है।    पर मुद्दा "कृष्ण" या…"
15 hours ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on Ravi Shukla's blog post तरही ग़ज़ल
"क्या ही शानदार ग़ज़ल कही है आदरणीय शुक्ला जी... लाभ एवं हानि का था लक्ष्य उन के प्रेम मेंअस्तु…"
yesterday
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"उचित है आदरणीय अजय जी ,अतिरंजित तो लग रहा है हालाँकि असंभव सा नहीं है....मेरा तात्पर्य कि…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Ravi Shukla's blog post तरही ग़ज़ल
"आदरणीय रवि भाईजी, इस प्रस्तुति के मोहपाश में तो हम एक अरसे बँधे थे. हमने अपनी एक यात्रा के दौरान…"
yesterday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"आ. चेतन प्रकाश जी,//आदरणीय 'नूर'साहब,  मेरे अल्प ज्ञान के अनुसार ग़ज़ल का प्रत्येक…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - यहाँ अनबन नहीं है ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय गिरिराज भाईजी, आपकी प्रस्तुति पर आने में मुझे विलम्ब हुआ है. कारण कि, मेरा निवास ही बदल रहा…"
yesterday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण धामी जी "
yesterday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"धन्यवाद आ. अजय गुप्ता जी "
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-175
"आदरणीय अजय अजेय जी,  मेरी चाचीजी के गोलोकवासी हो जाने से मैं अपने पैत्रिक गाँव पर हूँ।…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-175
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी,   विश्वासघात के विभिन्न आयामों को आपने शब्द दिये हैं।  आपके…"
Sunday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 180 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
Sunday
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-175
"विस्तृत मार्गदर्शन और इतना समय लगाकर सभी विषयवस्तु स्पष्ट करने हेतू हार्दिक आभार आदरणीय सौरभ जी।…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service