नेता की शादी में
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नेता की शादी में
गरीब भी आये
पानी भरे -अंखियों से
लड्डू- मन में खाए !
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डांट खाए दुत्कार
कुत्ते के पीछे वे
गालियों का प्रसाद
झोली भर लाये !
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चकाचौंध फुलझड़ी
नींद में सताए
बिटिया जवान हुयी
कब तक छिपाए !
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बेटे ने देख लिया
नेता का डेरा
मोह हम से कम हुआ
छोरा-छिछोरा !
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तोते सा बोले वो
मन का मगरमच्छ है
आँखों में झांके तो
जान चली जाए !
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'इस' नेता 'उस' नेता
कितना फरक है
'जान' था हमारा 'वो'
'ये' तो 'जहर' है !
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सुरेन्द्र कुमार शुक्ल "भ्रमर' ५
८.१०-८.२५ पूर्वाह्न
कुल्लू एच पी ८.५.१२
Comment
बहुत सुन्दर रचना सर जी ..........बधाई हो
//'इस' नेता 'उस' नेता
कितना फरक है
'जान' था हमारा 'वो'
'ये' तो 'जहर' है ! //
वाह वाह वाह - आनंद आ गया भ्रमर जी। बधाई स्वीकार करें।
बहुत खूब भ्रमर जी, कम शब्दों में बड़ी बात कह दी, बधाई स्वीकार करें |
बात की बात में बात बनती गयी और क्या-क्या न कह दिया ! वाह !
बधाई हो, भ्रमरजी.
Surendra ji,
'इस' नेता 'उस' नेता
कितना फरक है
'जान' था हमारा 'वो'
'ये' तो 'जहर' है !
bahut badhdiya ,badhai
डांट खाए दुत्कार
कुत्ते के पीछे वे
गालियों का प्रसाद
झोली भर लाये !
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इस' नेता 'उस' नेता
कितना फरक है
'जान' था हमारा 'वो'
'ये' तो 'जहर' है !
सुरेन्द्र कुमार शुक्ल जी बहुत गहरे प्रहार कर रही हैं आपकी ये क्षणिकाएं दिल पर सभी एक से बढ़कर एक हैं
'इस' नेता 'उस' नेता
कितना फरक है
'जान' था हमारा 'वो'
'ये' तो 'जहर' है !
मत घबराओ भ्रमर भाई, यही तो शहर है!
सुरेन्द्र भाई यार आप तो कमाल की विधाएँ निकाल रहे हो ! इतनी बड़ी बड़ी बाते ...चंद शब्दों में कमाल है।
'इस' नेता 'उस' नेता
कितना फरक है
'जान' था हमारा 'वो'
'ये' तो 'जहर' है !
वाह क्या बात है ! बहुत बहुत बधाई !!
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