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हाइकु (सिर मुंडाते ही,हास्य )

हाइकु (सिर मुंडाते ही,हास्य  )

(1) 
सिर मुंडाया 
दुकान से निकले 
ओले बरसे 
(२)
पहली बार 
वो छतरी में आई 
बारिश थमी 
(३)
इम्तहान था 
लिखना शुरू किया 
कलम टूटी 
(४)
भागते हुए 
प्लेटफार्म पंहुचा 
ट्रेन निकली 
(५)
श्रृंगार हेतु 
ज्यों घूंघट पलटा
शीशा चटका 
(६)
मिन्नतों बाद 
बाईक पे लिफ्ट दी 
टायर फुस्स
(७)
गिरा आँचल 
लपक के उठाया 
थप्पड़ पड़ा 
(८)
जल्दी पंहुची 
पहला साक्षात्कार 
जबान सूखी 
(९)
पहली बार 
बाग़ में आम आये 
बन्दर घुसे 
(१०)
पहली बार 
चुनाव मैदान में 
जमानत टें
****** 

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Comment

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सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on May 21, 2012 at 3:40pm

प्रदीप कुमार जी आभार हँसते हंसाते रहो 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on May 21, 2012 at 3:38pm

 योगराज जी हार्दिक आभार यही तो जिंदगी है हँसते हंसाते रहो

Comment by Sarita Sinha on May 21, 2012 at 3:27pm

आदरणीय राजेश कुमारी जी, नमस्कार, 

हाइकू लिखने वाले मुझे जादूगर से कम नहीं लगते...छोटे से पिटारे में फूल, रुमाल, कबूतर, खरगोश न जाने क्या क्या भरा रहता है फिर भी  खाली का ख़ाली दीखता है...कमाल है बिलकुल..

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on May 21, 2012 at 3:21pm
 हा हा  हा हा हा हा  आहा हा हा हा .... मज़ा आ गया हास्य हाइकू पढ़ कर
आज का दिन कितना प्यारा है.. सुबह सुबह आदरणीय शन्नो जी नें शरबत पिलाया और अब आपने इतना हंसाया...  unexpected surprises
...इस हास्यमय प्रयोग के लिए हार्दिक बधाई आदरणीय राजेश कुमारी जी
Comment by AVINASH S BAGDE on May 21, 2012 at 3:00pm
पहली बार
वो छतरी में आई
बारिश थमी .....hard luck...
sabhi khaiku hansate-hasate huye...
Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on May 21, 2012 at 2:10pm

 आदरणीय राजेश  कुमारी  जी, सादर 

sare बढ़िया पर भय ये , badhai 
पहली बार 
वो छतरी में आई 
बारिश थमी 

प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on May 21, 2012 at 1:31pm

यह रंग भी ?
आनंद ही आनंद
थोडा दंग भी .

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