For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

इश्क में बरबाद होते जा रहे हैं

इश्क में बरबाद होते जा रहे हैं
अन सुनी फ़रियाद होते जा रहे हैं

प्यार का हमको सलीका क्यूँ न आया
क्यूँ दिले-नाशाद होते जा रहे हैं

जख्म अब गहरे छुपा के मुस्कुराते
दिन-ब-दिन हम शाद होते जा रहे हैं

कैद उनकी जुल्फ में आशिक परिंदे
और वो सैयाद होते जा रहे हैं


नफरतों के फूल जिनसे चुन लिए थे
वो चमन आबाद होते जा रहे हैं

जुल्फ से देकर रिहाई दीप हमको
वो खुदी आज़ाद होते जा रहे हैं

Views: 506

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Bishwajit yadav on June 3, 2012 at 11:09pm
वाह! वाह! बहुत सुंदर संदीप जा आपने ने शब्दो को बहुत सुंदर ढंग से सजाया है

ये दो पक्तियाँ तो टच माई दिल
जख्म अब गहरे छुपा के मुस्कुराते
दिन-ब-दिन हम शाद होते जा रहे हैं
Comment by MAHIMA SHREE on June 3, 2012 at 9:58pm

जख्म अब गहरे छुपा के मुस्कुराते
दिन-ब-दिन हम शाद होते जा रहे हैं

कैद उनकी जुल्फ में आशिक परिंदे
और वो सैयाद होते जा रहे हैं

आदरणीय संदीप जी

बहुत खूब .. बधाई स्वीकार करें

Comment by Rekha Joshi on June 3, 2012 at 5:53pm

Sandip ji ,bahut badhiya gazal ,

नफरतों के फूल जिनसे चुन लिए थे 
वो चमन आबाद होते जा रहे हैं,badhai 

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on June 3, 2012 at 4:43pm
अच्छे भावो के अभिव्यक्ति है, बधाई 
किन्तु इश्क के दूसरे अर्थो में -
इश्क में बर्बाद होते जा रहे है, 
इश्क से ही आबाद होते है 
इश्क कोई जुल्म नहीं, बंधन नहीं, प्यार में  
राधा औ कृष्ण का इश्क समझ,   
धनात्मक सोच के सच्चे इश्क के-
 सलीके को नमन करते है 
 |-लक्ष्मण प्रसाद लडीवाला
Comment by chandan rai on June 3, 2012 at 3:45pm
नफरतों के फूल जिनसे चुन लिए थे
वो चमन आबाद होते जा रहे हैं

वाह मित्र ! कमाल का ग़ज़ल लिखा
Comment by UMASHANKER MISHRA on June 3, 2012 at 10:18am

नफरतों के फूल जिनसे चुन लिए थे
वो चमन आबाद होते जा रहे हैं

क्या बात है बहुत बढिया

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on June 2, 2012 at 8:26pm
आदरणीय Ganesh Jee "Bagi" सर जी सादर नमन

मैंने जो ग़ज़ल आज लिखी है वो आपको पसंद आई इससे मेरा लिखना सफल हो गया

और अगली बार मैं ऐसी त्रुटियाँ नहीं करूँगा आप निश्चिन्त रहें

आप अपने स्नेह बनाये रखिये हम छोटों पर

आपका बहुत बहुत आभार

सादर नमन

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on June 2, 2012 at 8:24pm

आपका बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय अलबेला सर जी
आपकी वाह वाही से मन प्रसन्न हो उठा है आपका सादर आभार
क्षमा चाहता हूँ सर जी मैंने ये शेर अभी अलग कर दिया है
ये दूसरी ग़ज़ल में आयेंगे


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on June 2, 2012 at 4:44pm

संदीप जी, अच्छी ग़ज़ल कही है, ख्याल भी खुबसूरत हैं , एक सुझाव है कि कोई भी पोस्ट करने से पहले एक दो बार अवश्य पढ़ लिया करें, टंकण त्रुटी या अन्य अशुद्धियाँ पकड़ में आ जाती हैं |

बे-बहर ग़ज़लें लिखी जिसने यहाँ वो
साहिबे ईजाद होते जा रहे हैं

बहुत बहुत बधाई इस अभिव्यक्ति पर |

Comment by Albela Khatri on June 2, 2012 at 1:13pm

kya baat hai

bahut khoob sandeep patel deep saheb


शारदा ने है दिया वरदान जिसको
"दीप" वो उस्ताद होते जा रहें हैं

jiyo jiyo...kya baat hai...badhaai

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया
"रजाई को सौड़ कहाँ, अर्थात, किस क्षेत्र में, बोला जाता है ? "
4 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post पूनम की रात (दोहा गज़ल )
"मार्गदर्शन के लिए हार्दिक आभार आदरणीय "
4 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया
"बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय  सौड़ का अर्थ मुख्यतः रजाई लिया जाता है श्रीमान "
4 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post अस्थिपिंजर (लघुकविता)
"हृदयतल से आभार आदरणीय 🙏"
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय सौरभ भाई , दिल  से से कही ग़ज़ल को आपने उतनी ही गहराई से समझ कर और अपना कर मेरी मेनहत सफल…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय सौरभ भाई , गज़ाल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका ह्रदय से आभार | दो शेरों का आपको…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"इस प्रस्तुति के अश’आर हमने बार-बार देखे और पढ़े. जो वाकई इस वक्त सोच के करीब लगे उन्हें रख रह…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय गिरिराज भाईजी, बहरे कामिल पर कोई कोशिश कठिन होती है. आपने जो कोशिश की है वह वस्तुतः श्लाघनीय…"
yesterday
Aazi Tamaam replied to Ajay Tiwari's discussion मिर्ज़ा ग़ालिब द्वारा इस्तेमाल की गईं बह्रें और उनके उदहारण in the group ग़ज़ल की कक्षा
"बेहद खूबसूरत जानकारी साझा करने के लिए तहे दिल से शुक्रिया आदरणीय ग़ालिब साहब का लेखन मुझे बहुत पसंद…"
yesterday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-177

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post पूनम की रात (दोहा गज़ल )
"धरा चाँद गल मिल रहे, करते मन की बात।   ........   धरा चाँद जो मिल रहे, करते मन…"
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया
"आम तौर पर भाषाओं में शब्दों का आदान-प्रदान एक सतत चलने वाली प्रक्रिया है। कुण्डलिया छंद में…"
Monday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service