जिसे देख के नाचूँ झूमूँ गाऊं ख़ुशी से
मुझे इश्क हुआ है उसी से, उसी से
मेरी रूह वही है, मेरा जिस्म वही है
मेरी आह वही है, मेरी राह वही है
मेरा रोग वही है, औ दवा भी वही है
मेरा साया पीछे छूटे भला कैसे मुझी से
मुझे इश्क हुआ है उसी से, उसी से
जिसे देख के नाचूँ झूमूँ गाऊं ख़ुशी से
मुझे इश्क हुआ है उसी से, उसी से
मेरी यार वही है , दिलदार भी वही है
वो ही सावन है , औ फुहार भी वही है
वो ही खिलता गुलाब बहार भी वही है
मैं तो डरता हूँ उसे न हो इश्क किसी से
मुझे इश्क हुआ है उसी से, उसी से
जिसे देख के नाचूँ झूमूँ गाऊं ख़ुशी से
मुझे इश्क हुआ है उसी से, उसी से
वो है हार मेरी, मेरी जीत भी वही है
वो प्रीत और प्रीत की रीत भी वही है
वो ही मेरी खुदा मनमीत भी वही है
मैं हूँ वो, वो है मैं, क्यूँ मैं रूठा खुदी से
मुझे इश्क हुआ है उसी से, उसी से
जिसे देख के नाचूँ झूमूँ गाऊं ख़ुशी से
मुझे इश्क हुआ है उसी से, उसी से
संदीप पटेल "दीप"
Comment
आपका बहुत बहुत आभार आदरणीय महाजन सर
स्नेह बनाये रखिये
"मेरा यार वही है, दिलदार भी वही है "....वाह ....
बहुत ही सुंदर गीत संदीप पटेल जी
आदरणीय सौरभ सर जी
गीत लिखते समय दो लयों का संयोजन करना होता है
तब मुखड़े को अंतरों के साथ मिलाना धीरे धीरे सीख रहा हूँ
फिर भी कुछ कमी रह जाती है
जैसे मेरे पिछले गीत मैं भी यही कमी रह गयी थी
मुझे कुछ मार्गदर्शन दे कर मेरा मार्ग प्रसस्त करें
ताकि रचनाओं के साथ समुचित न्याय हो सके
आप सभी को ये गीत पसंद आया मेरा लिखना सार्थक हो गया
गुरुजन की बातों का ध्यान मेरे अगले गीत में रखने का पूरा पूरा ख़याल रखूँगा
भाई अरुण जी ये सब आपकी मोहब्बतों का पर्याय है जो मैं लिख रहा हूँ और आप सुधीजनों की प्रसंसा मिल रही है
मन प्रफुल्लित हो जाता है और एक नयी ऊर्जा मिल जाती है आपकी इन प्रतिक्रियाओं से
अपना ये स्नेह बनाये रखिये मुझ पर
आप सभी का ह्रदय की गहराइयों से सादर आभार
मेरी रूह वही है, मेरा जिस्म वही है
मेरी आह वही है, मेरी राह वही है
मेरा रोग वही है, औ दवा भी वही है
मैं हूँ वो, वो है मैं, क्यूँ मैं रूठा खुदी से
मुझे इश्क हुआ है उसी से, उसी से
प्रिय संदीप जी बिलकुल मत रूठिए स्व से ...आप को आप की दवाई की हर दुआ लग जाए बात बन जाए ...बधाई
बढ़िया गीत पर बधाई स्वीकारें।
अच्छा गीत है.. . मुखड़े ने बस मोह लिया. उस हिसाब से अंतरा कमतर लगे. इन्हें कुछ बेहतर ढंग से शाब्दिक किया जा सकता था.
बहरहाल बधाई.
सुन्दर गीत मित्रवर ! आपकी बहुमुखी प्रतिभा का कायल हूँ !
मेरी रूह वही है, मेरा जिस्म वही है
मेरी आह वही है, मेरी राह वही है
वाह क्या बात है प्रेम का एक अप्रतिम गीत लिखने पर आपको हार्दिक बधाई
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति...
मैं हूँ वो, वो है मैं, क्यूँ मैं रूठा खुदी से
मुझे इश्क हुआ है उसी से, उसी से
मिठास भरी, कोमलतम भावों युक्त, मानवी प्रेम के एकत्व भाव को दर्शाते सुन्दर गीत के लिए बधाई संदीप पटेल जी
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