For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

स्वर में अमृत घोलो जी
फिर अधरों को खोलो जी |


नहीं खर्च कुछ होने का
मीठा – मीठा बोलो जी |.


देने वाला कैसे दे ?
हाथ मलिन हैं धो लो जी |


मन से पश्चाताप करो
प्रायश्चित कर रो लो जी |


नाव सम्हल ना पाएगी
इतना भी मत डोलो जी |


मान सहित घर पहुँचा दे
साथ उसी के हो लो जी |


जीवन में क्या दिया-लिया
मन को जरा टटोलो जी |


अधिक जागरण ठीक नहीं
चादर तानो सो लो जी |


अरुण कुमार निगम
आदित्य नगर , दुर्ग (छत्तीसगढ़)
विजय नगर, जबलपुर (म.प्र.)

Views: 789

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by अरुण कुमार निगम on September 6, 2012 at 8:38pm

आदरणीय बागी जी,सौरभ पाण्डेय जी,सतीश मपतपुरी जी, वीनस केसरी जी,कुमार गौरव जी,लडीवाला जी,संदीप द्विवेदी जी,फूल सिंह जी,प्राची जी, अशोक रक्ताले जी,संदीप पटेल दीप जी,योगराज प्रभाकर जी,विन्ध्येश्वरी प्रसाद जी और रेखा जी आप सभी का आभार.वर्तमान में गुडगाँव में हूँ. अपने स्वभाव के विपरीत एक ही साथ सभी को आभार प्रकट कर रहा हूँ.किसी अन्य के सिस्टम में दिल खोल कर बात भी तो नहीं हो पाती.१० सितम्बर को जबलपुर लौटूंगा,तब विस्तार से बातें होंगी.क्षमा याचना के साथ.

Comment by Rekha Joshi on September 5, 2012 at 12:23pm

नहीं खर्च कुछ होने का
मीठा – मीठा बोलो जी |.,अति सुंदर भाव अरुण जी ,बधाई 

Comment by विन्ध्येश्वरी प्रसाद त्रिपाठी on September 4, 2012 at 6:24pm
एकाध स्थानों पर मेहनत की कमी को छोड़कर बाकी पूरी गजल रसगुल्ला है साहब।मुलायम+मजेदार+मौजू।और इसी बात पर मैं आपको 10 में 11 नम्बर देता हूं।आप भी क्या याद करोगे।

प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on September 4, 2012 at 2:16pm

//नाव सम्हल ना पाएगी
इतना भी मत डोलो जी |//

वाह वाह वह !! बहुत खूब !!

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on September 4, 2012 at 12:34pm

वाह वाह वाह क्या बात है आदरणीय अरुण सर जी क्या सुन्दर प्रवाहमयी सहज शब्दों की ग़ज़ल है
दाद क़ुबूल कीजिये इस मुसलसल ग़ज़ल के लिए

Comment by Ashok Kumar Raktale on September 4, 2012 at 12:29pm

जीवन में क्या दिया-लिया
मन को जरा टटोलो जी |

बहुत सुन्दर भाव आ. निगम साहब बधाई.


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on September 4, 2012 at 11:06am

सरल सहज सुन्दर सुमधुर ग़ज़ल हेतु हार्दिक बधाई आदरणीय अरुण निगम जी 

Comment by PHOOL SINGH on September 4, 2012 at 10:40am

अरुण जी नमस्कार

बहुत ही भावपूर्ण रचना.....बधाई....

फूल सिंह

Comment by संदीप द्विवेदी 'वाहिद काशीवासी' on September 4, 2012 at 10:20am

नहीं खर्च कुछ होने का
मीठा – मीठा बोलो जी;

अधिक जागरण ठीक नहीं
चादर तानो सो लो जी;

सरल शब्दों में गहन भाव! वाह! बधाईयां श्रीमान!

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on September 4, 2012 at 9:55am

बहुत भाती बच्चो को भी सुहाती रचना बधाई अरुण कुमार निगम भाई 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विरह शृंगार
"आदरणीय चेतन जी सृजन के भावों को मान और सुझाव देने का दिल से आभार आदरणीय जी"
2 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विरह शृंगार
"आदरणीय गिरिराज जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभारी है सर"
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। दोहों पर आपकी प्रतिक्रिया से उत्साहवर्धन हुआ। स्नेह के लिए आभार।"
19 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और प्रशंसा के लिए आभार।"
20 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आदरनीय लक्ष्मण भाई  , रिश्तों पर सार्थक दोहों की रचना के लिए बधाई "
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विरह शृंगार
"आ. सुशील  भाई  , विरह पर रचे आपके दोहे अच्छे  लगे ,  रचना  के लिए आपको…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आ. भाई चेतन जी सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति के लिए हार्दिक धन्यवाद।  मतले के उला के बारे में…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति के लिए आभार।"
yesterday
Chetan Prakash commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विरह शृंगार
"आ. सुशील  सरना साहब,  दोहा छंद में अच्छा विरह वर्णन किया, आपने, किन्तु  कुछ …"
yesterday
Chetan Prakash commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आ.आ आ. भाई लक्ष्मण धामी मुसाफिर.आपकी ग़ज़ल के मतला का ऊला, बेबह्र है, देखिएगा !"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , ग़ज़ल के लिए आपको हार्दिक बधाई "
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी and Mayank Kumar Dwivedi are now friends
Monday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service