रिटायरमेंट ( लघु कथा )
Comment
आदरणीय बागी जी,
सादर अभिवादन
सब इसी विद्यालय की देन है.
आभार.
आदरणीय लड़ीवाला जी
सादर अभिवादन
प्रोत्साहन हेतु आभार.
आपकी इस कहानी को पढ़ कर कुछ देर चुपचाप बैठ गई हाथ की बोर्ड पर भी चल नहीं रहे थे इसी बात से आप अंदाजा लगा सकते हैं की आपकी ये कथा दिल को किस तरह झकझोर देती है सामयिक है हर तीसरे घर में यह सीन मिल जाएगा बहुत कुछ गंभीरता से सोचने वाली स्थिति है बहरहाल बहुत बहुत बधाई आपको इस लघु कथा के लिए
सोचने पर मजबूर करती हुयी कथा जो शायद कई घरों का सत्य है
आदरणीय प्रदीप कुमार जी नमस्कार
अत्यंत मार्मिक कहानी लगी मन में कहानी के
संदर्भ से जुड़े अनेक चित्र प्रस्तुत किये
बहुत बढ़िया है
आपके उत्तम स्वस्थ की कामना
एवं दशहरे की हार्दिक बधाई
//शर्मा जी आप कब रिटायर हुए? //
एक प्रश्न और पूरी लघुकथा का निहितार्थ सामने, वाह आदरणीय वाह, सचमुच इस लघुकथा में जान है, इस अभिव्यक्ति पर बधाई और दशहरा पर्व की हार्दिक बधाई स्वीकार हो |
परम आदरणीय गुरुदेव सौरभ जी,
सादर अभिवादन.
मुझे हार्दिक प्रसन्नता है, गुरुदेव के आशीर्वचन प्राप्त हुए. शिल्प भी आजायेगा आप की कृपा से .
कथा का सार यही है आदमी कितना असहाय हो जाता है, जीवन के अंतिम समय में.
ये सत्य कथा है. मूल पात्र शर्मा जी न हो कर एक ईमानदार लेखाधिकारी दीक्षित जी थे. उनके जीवन में ये अँधेरा नहीं आया. अंत में शर्मा जी की व्यथा वास्तविक है.
और ये भी हो सकता है की कलमकार की क्या स्थिति वर्तमान में है.
आभार.
आदरणीय प्रदीपजी, आपकी लघुकथा समाज/ परिवार के जिस रूप को दिखाती है वह संवेदना को झकझोर कर रख देती है. समय विशेष में एक उत्फुल्ल व्यक्तित्व भी कितना निरीह हो जाता है, यह देख-पढ़ कर आँखें भर आयीं. हर जगह तो नहीं परन्तु, कई-कई परिवारों की यह दुखती हुई सचाई है. यह कथा ऊपर से तो सामान्य सी दिखती है, लेकिन द्रुत प्रवेग लिये इस कथा की आखिरी पंक्ति झन्नाटेदार माहौल पैदा कर देती है. बहुत बढिया ताना-बाना बुना है आपने, आदरणीय.
शिल्प के तौर पर तो कुछ न कुछ होता रहेगा. और वह एक सतत प्रक्रिया है. लेकिन कथ्य के हिसाब से और कथ्य-संप्रेषण के हिसाब से यह बहुत सम्यक कथा बन पड़ी है. आपका स्वस्थ हो कर मंच पर पुनः सक्रिय होना बड़ा भला लग रहा है.
इस संवेदनशील कथा के लिये हृदय आपको बार-बार सादर आभार कह रहा है, आदरणीय प्रदीपजी.
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