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बहुत समय बाद ऐसी रचना पढने को मिली, कुछ कमियों के बाबजूद हार्दिक बधाई वर्मा जी
वीर छंद में ढालने का बहुत सुन्दर प्रयास किया है आपने शुरू से अंत तक रोचकता बनी रही बस विद्व जन आदरणीय सौरभ जी की बातों पर गौर करना। बहुत बहुत बधाई श्याम नारायण वर्मा जी |
भाई श्याम नारायणी, आपने आल्हा या वीर छंद में पद्यात्मक कथा कही है. बधाई.
वैसे गेयता के लिहाज से इस रचना को अभी बहुत सधना है. हाँ, व्याकरण सम्मत शुद्धियों पर भी दृष्टि रहे, आदरणीय. कई स्थानों पर शब्द के यथोचित लिंग आदि त्रुटिपूर्ण हो गये हैं.
सादर
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