एक और शुरुआती दौर की ग़ज़ल......
कच्चे अधपके ख्यालात.......
एक दो शेअर शायद आपने सुना हो, पूरी ग़ज़ल पहली बार मंज़रे आम पर आ रही है
बर्दाश्त करें ....
इतनी शिकायत बाप रे |
जीने की आफत बाप रे |
हम भी मरें तुम भी मरो,
ऐसी मुहब्बत बाप रे |
जो खौफ बाँटें उनके भी,
लब पर तिलावत बाप रे |
तिलावत - कुरआन पाठ
नेता दरोगा और क्लर्क,
इनकी शराफत बाप रे |
शब भर करें हैं जुल्म और,
दिन भर इबादत बाप रे |
ऐसी पडी है देश को,
लुटने की आदत बाप रे |
कुछ शर्म कर अह्.ले सुखन,
पल पल सियासत बाप रे |
घायल पड़ा है जब वतन,
फिर भी शराफत बाप रे |
२४/०४/२०१०
Comment
खुले दिल से मिली दाद ओ तनकीद और हौसला अफजाई के लिए आप सभी का तहे दिल से शुक्रगुजार हूँ
बाप रे बाप! अच्छे अश’आर हैं साहब। दाद कुबूल हो।
और भी हैं सुखनवर ओबिओ में
आप जैसा मगर बाप रे 1
कच्चे अधपके ख्यालात हैं ये ?
हर शेर में इतना असर बाप रे 2
छोटी बहर अच्छी ग़ज़ल,
इतनी कसावट बाप रे |
दाद कुबूल करें वीनस भाई |
वीनस तेरा ’हर बार मैं-
उम्दा कहूँ’ लत बाप रे !... .
अब और क्या कहूँ ?!! .. . बधाई-बधाई.. . बहुत-बहुत बधाई.
BAHOT KHOOB JEE
कच्चे-कोरे मन बड़े अच्छे होते हैं ठीक वैसी ही यह गजल भी है, सादर
क्या बात है वीनस सर जी जय हो
बेहतरीन ग़ज़ल कही है आपने
अब क्या कहूँ
चोरी से इनके घर चलें
पर शानो सौकत बाप रे
बहुत खूब सर जी
बधाईयां-बधाईयां ढेरों बधाईयां.. पुराने रत्न जगमगा रहे हैं..
नेता, दरोगा और क्लर्क,
इनकी शराफ़त बाप रे --> वादा करें यह लाख पर,
छूटे न आदत बाप रे;
शब भर करें हैं ज़ुल्म और,
दिन भर इबादत बाप रे! --> अल्लाह मेरे इनसे अब,
कर तू हिफ़ाज़त बाप रे;
पुनश्चः बधाई.. :-))
bahut sateek vyang he kesari ji aap badai ke hakdaar he
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