For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मनहरण घनाक्षरी /होली

होली के शुभ कामनाओं और बधाई सहित 

रंग की उमंग में है या है भंग की....... तरंग,
मौसम की चाल में है लहरें...........गज़ब की
सोच कुछ और रहा और कुछ.... .बोल रहा, 
सुन कुछ रहा और करे कुछ... ........ढब की 
झूम झूम घूम घूम गली गली.... डोल डोल, 
घर घर बाँट रहा बातें................बेअदब की 
झांझ लिए ढोल लिए मंजीरों का शोर लिए,
नाच रहा भूल पीर सारी .........तब अब की 

होली में गुलाल हुए गाल लाल लाल हुए,

देखिये कमाल आज सब एक ......रंग हैं
गोपी लग रहीं गोप, गोप लग रहे. गोपी, 
भंग की तरंग में यूँ आखें भी... अपंग हैं 
छननन घुँघरू छनक रहे बिन...... बांधे, 
बिन हाथों देखो आज बज रहीं.... .चंग हैं
एक भाव बिक रहे राजा-रंक,मूढ़-ज्ञानी,
अजब-गज़ब सब फागुन के.... .... .ढंग हैं 

Views: 1149

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on March 30, 2013 at 11:00pm

वाह रंगबिरंगे भाव और खुशनुमा माहौल का सुन्दर संयोजन हुआ है इस घनाक्षरी में.

बहुत-बहुत बधाइयाँ और होली की शुभकामनाएँ.

खेद है, आपके पोस्ट पर विलंब से पहुँच पाया.

Comment by seema agrawal on March 30, 2013 at 10:37pm

अजय जी  हार्दिक धन्यवाद
राजेश मृदु जी यह जान कर कि आपको घनाक्षरी ने प्रभावित किया बावजूद इसके कि आप घनाक्षरी पसंद नहीं करते ...सच कहूं मन प्रसन्न  हो गया 

Comment by seema agrawal on March 30, 2013 at 10:33pm

आदरणीय लक्ष्मण जी आपकी  इस स्नेहिल बधाई एवं शुभकामनाओं के लिए प्रणाम ...
पर एक निवेदन आप मुझे आदरणीय मत कहिये :-))

Comment by seema agrawal on March 30, 2013 at 10:31pm

राम शिरोमणि जी एवं केवल प्रसाद जी छंद पसंद  करने के लिए आप का हार्दिक आभार 

Comment by seema agrawal on March 30, 2013 at 10:28pm

हार्दिक धन्यवाद अशोक जी ..........

Comment by राजेश 'मृदु' on March 25, 2013 at 12:34pm

झक्‍कास---- सॉलिड घनाक्षरी । आदरेया, मुझे घनाक्षरी बिल्‍कुल पसंद नहीं है किंतु आपकी घनाक्षरी ने तो इतने मंजीरे बजाए कि रग-रग झूम उठा, सादर

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on March 24, 2013 at 12:47pm

आदरणीया,  सीमा अग्रवाल जी,  बहुत - बहुत सुन्दर! आपने मुझे  ‘जारे हट नट खट...‘ याद दिला दिया!   हार्दिक बधाई स्वीकार करें।

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on March 23, 2013 at 3:39pm

एक भाव बिक रहे राजा-रंक, मूढ़-ग्यानी 

सच्चे अर्थों में तो समाजवाद का ही ढंग है |

भूले सारे भेद भाव बजाते डफली और चंग है 

झूम झूम गाते रहे सीमा जी के सुन्दर छंद है | - आपको भी होली की प्यार भरी शुभ कामनाएँ एवं बधाई आद सीमा जी 

Comment by Dr.Ajay Khare on March 23, 2013 at 12:26pm

seema ji rang birangi rachana se aapne man bhav bibhor kar diya 

Comment by ram shiromani pathak on March 23, 2013 at 12:15pm

आदरेया सीमा जी सादर, बहुत सुन्दर झांकी प्रस्तुत की है होली की. हार्दिक बधाई स्वीकारें.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 168 in the group चित्र से काव्य तक
"योग ****    छोटी छोटी बच्चियाँ, हैं भविष्य की आस  शिक्षा लेतीं आधुनिक, करतीं…"
6 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 168 in the group चित्र से काव्य तक
"जय-जय"
16 hours ago
Admin replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 168 in the group चित्र से काव्य तक
"स्वागतम"
17 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"आदरणीय  निलेश जी अच्छी ग़ज़ल हुई है, सादर बधाई इस ग़ज़ल के लिए।  "
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" commented on Ravi Shukla's blog post तरही ग़ज़ल
"आदरणीय रवि शुक्ल भैया,आपका अलग सा लहजा बहुत खूब है, सादर बधाई आपको। अच्छी ग़ज़ल हुई है।"
yesterday
अजय गुप्ता 'अजेय commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"ब्रजेश जी, आप जो कह रहें हैं सब ठीक है।    पर मुद्दा "कृष्ण" या…"
Tuesday
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on Ravi Shukla's blog post तरही ग़ज़ल
"क्या ही शानदार ग़ज़ल कही है आदरणीय शुक्ला जी... लाभ एवं हानि का था लक्ष्य उन के प्रेम मेंअस्तु…"
Monday
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"उचित है आदरणीय अजय जी ,अतिरंजित तो लग रहा है हालाँकि असंभव सा नहीं है....मेरा तात्पर्य कि…"
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Ravi Shukla's blog post तरही ग़ज़ल
"आदरणीय रवि भाईजी, इस प्रस्तुति के मोहपाश में तो हम एक अरसे बँधे थे. हमने अपनी एक यात्रा के दौरान…"
Monday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"आ. चेतन प्रकाश जी,//आदरणीय 'नूर'साहब,  मेरे अल्प ज्ञान के अनुसार ग़ज़ल का प्रत्येक…"
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - यहाँ अनबन नहीं है ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय गिरिराज भाईजी, आपकी प्रस्तुति पर आने में मुझे विलम्ब हुआ है. कारण कि, मेरा निवास ही बदल रहा…"
Monday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण धामी जी "
Monday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service