ओबीओ परिवार सम, शारद के सब भक्त
’सीख-सिखाना’-अर्चना, भाव गहन हों व्यक्त
भाव गहन हों व्यक्त, आज का दिन पावन है
नदिया धारे धार, जिये नित परिवर्तन है
तट-बंधन दृढ़ युगल, अगर कुछ बेतुक भी हो--
बहती नदिया मौन, कहे सबसे ओबीओ.. .
ओबीओ के प्रादुर्भाव का पावन दिवस सभी सदस्यों और शुभचिंतकों के लिए मंगलमय हो.. . हम समवेत सीखें .. ..
Comment
भाई बृजेश जी, भावानुमोदन हेतु हार्दिक धन्यवाद.
भाई राजेश झा जी, उन्मुक्त कुंडलिया किस तरह की कुण्डलिया छंद है इसका मुझे पता ही नहीं था. हमने तो मात्र एक छंद विशेष ही लिखा है. यदि आप उन्मुक्त कुण्डलिया की विधा को स्पष्ट कर सकें तो सभी के साथ मुझे भी लाभ होगा.
भावानुमोदन हेतु हार्दिक धन्यवाद.
साधु-साधु, बहुत ही उन्मुक्त कुंडलियां लिखी हैं आदरणीय और संदेश तो सर्वव्याप्त है ही, सादर
श्रद्धेय श्री सौरभ पाण्डेय जी, सादर अभिवादन!
ओ बी ओ की स्थापना दिवस पर आपके उदगार सभी सदस्यों में नए उत्साह का संचार करती है!
खासकर यह उद्गार -
तट-बंधन दृढ़ युगल, अगर कुछ बेतुक भी हो --
बहती नदिया मौन, कहे सबसे ओबीओ.....
आदरणीय, सौरभ पाण्डे जी, जी गुरूजी! आप सभी माननीय पदाधिकारियों एवं समस्त गणमान्य सदस्यों को भी ओ0बी0ओ0 की वर्षगांठ पर हार्दिक शुभकामनाएं एवं बहुत बहुत बधाई
तट-बंधन दृढ़ युगल, अगर कुछ बेतुक भी हो --
बहती नदिया मौन, कहे सबसे ओबीओ .. यही आत्मीय भाव सदस्यों विशेषतः विद्वजनों में होने के कारण obo की निरंतर
सदाशय संख्या में इजाफा हो रहा है | सदस्य खुलकर अपनी जिज्ञाषा शांत कर पाते है और सीखने को मिलता है | सुन्दर
कुंडलिया छंद के लिए हार्दिक बधाई आदरणीय सौरभ जी, और सभी सदस्यों को हार्दिक शुभ कामनाए
ओबीओ मंच के प्रादुर्भाव दिवस पर ओबीओ के अंतर-चिंतन, अविचलित सतत प्रवाह और सुदृढ़ तटबंधों के दोनों स्तंभों को सबके समक्ष प्रस्तुत करते इस विशष्ट कुण्डलिया छंद के लिए साधुवाद.
प्रादुर्भाव दिवस की आपको व सभी सदस्यों को हार्दिक शुभकामनाएँ
सादर.
" सुंदर प्रस्तुति ... बहुत-बहुत बधाई"
यह पावन दिवस सबको मंगलमय हो। आप सभी को बहुत बधाई!
आदरणीय सौरभ सर सही कहा आपने मुझे जो भी ज्ञान मिला सब ओ बी ओ की ही देन है ..नहीं तो मुझे साहित्य की ए बी सी डी भी नहीं आती थी! आपके सुझाव स्नेह के लिए मै जीवन भर आभारी रहूँगा//////सादर प्रणाम
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