मैंने ख्वाबों में देखा है, कल आयेंगे घर सजना
आज सुबह से थिरक रहे हैं,चंचल चित,व्याकुल नयना
घनघोर घटा घर आंगन छाना,तुझमें ही छुप जाऊंगी
व्यथित ढूंढ जब होंगे प्रिय, तुरत सामने आ जाऊंगी
लग जाऊंगी जब सीने से, झूम बरसना तुम अंगना
मैंने ख्वाबों में देखा है, कल आयेंगे घर सजना
पी-कहाँ, पपीहे कहते थे तुम, कल तडके घर आ जाना
मेरे साथ ही तुझको भी है, गीत ख़ुशी के फिर गाना
द्वार मिलन पर पलक बिछाए ठुमक रहे मेरे कंगना
मैंने ख्वाबों में देखा है, कल आयेंगे घर सजना
कली-कली से कह दो भौंरे,खिलना होगा ठीक समय
चारों और सुगंध रहे जब द्वार खड़े हों सुमन तनय
प्रात समीर है तुझसे अनुनय,धीरे-धीरे तुम चलना
मैंने ख्वाबों में देखा है, कल आयेंगे घर सजना
आज सुबह से थिरके मेरे चंचल चित, व्याकुल नयना
मौलिक और प्रकाशित
Comment
चारों और सुगंध रहे, जब द्वार खड़े हों सुमन तनय
कली.कली से कह दो भौंरे,खिलना होगा सही समय
आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी, भाई साहेब
महबूब के इंतज़ार में दिल की गलियों को सजना होगा ...सुंदर प्रस्तुति है
सुन्दर गीत के लिए बधाई, आदरणीय ललित जी।
सादर,
विजय निकोर
इस मंच पर आपकी एक नयी रचना नयी शैली में आयी है, आदरणीय ललितजी. बधाई हो.
वैसे रचना के विन्दु सनातन हैं और कथ्य में भी वहीवहीपन है किन्तु विषय में अंतर्निहित सनातन उत्फुल्लता रोचकता बनाये रखती है.आपकी रचनाप्रक्रिया पर मेरी हार्दिक बधाइयाँ.
कली-कली से कह दो भौंरे,खिलना होगा ठीक समय .. इस पंक्ति में थोड़ी अस्पष्टता है, भाव खींच क्रर निकालना पड़ रहा है. इसे संयोजित किया जा सकता है.
आपकी इस नयी प्रस्तुति पर पुनः बधाइयाँ और शुभकामनाएँ
सादर
सुन्दर प्रणय गीत रचना के लिए हार्दिक बधाई स्वीकारे डॉ ललित कुमार सिंह जी | सादर
शब्द चयन भावभिव्यक्ति वंदनीय है.
बहुत सुन्दर गीत प्रस्तुत किया है आ० डॉ० ललित जी
प्रेयसी की बहुत कोमल भावनाएं... स्वागत की आकुलता
बहुत सुन्दर
सादर बधाई
आ0 ललित भाई जी, ‘कली.कली से कह दो भौंरे,खिलना होगा ठीक समय, चारों और सुगंध रहे जब द्वार खड़े हों सुमन तनय‘.... सुन्दर प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई। सादर,
सुन्दर चित्रण है आदरणीय-
शुभकामनायें-
कुछ शब्दों के हेर-फेर से गेयता और बढ़ जायेगी-
सादर
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