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कुण्डलिया (बीवी बनाम् शेरनी)

जंगल भागी शेरनी, ख़बर छपी अखबार।

फौरन फोन घुमाइए, नज़र पड़े जो यार।।

नज़र पड़े जो यार, पड़े हम भी चक्कर में,

कर डाला झट फोन, उसी पल चिड़ियाघर में।

यहाँ शेरनी एक, करे जो मुझसे दंगल,

'उसे' ढूँढने जाय, इसे तब छोड़ो जंगल।

----------------------------------- सुशील जोशी

"मौलिक व अप्रकाशित"

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Comment by Sushil.Joshi on October 4, 2013 at 6:24am

आपका हार्दिक धन्यवाद आदरणीया गीतिका जी..

Comment by Sushil.Joshi on October 4, 2013 at 6:23am

स्नेहिल टिप्पणी के लिए बहुत बहुत आभार आपका डॉ. प्राची...

Comment by Sushil.Joshi on October 4, 2013 at 6:21am

बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय सौरभ जी....

Comment by Sushil.Joshi on October 4, 2013 at 6:20am

बहुत बहुत आभार आपका आदरणीय लक्ष्मण प्रसाद जी...

Comment by Sushil.Joshi on October 4, 2013 at 6:19am

हार्दिक धन्यवाद आपका आदरणीय केवल भाई....

Comment by वेदिका on October 3, 2013 at 5:06pm

वाह! वाह! वाह!

बहुत खूब हास्य का उत्पादन हुआ है|

बहुत बहुत बधाई !!


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on October 3, 2013 at 5:00pm

हाहाहा हाहाहा 

हाहाहा हाहाहा 

...क्या कहा जाए.... गज़ब का हास्य 

बहुत बहुत बधाई 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on October 3, 2013 at 4:27pm

हा हा हा हा.........

बहुत खूब !   बधाई आदरणीय

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on October 3, 2013 at 9:17am

वाह क्या कुंडली मारी है शेरनी पर | बहुत सुन्दर छंद के लिए हार्दिक बधाई भाई श्री शुशील जोशी जी 

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on October 3, 2013 at 9:00am

भार्इ जी!  बढि़यां है........। हार्दिक बधाइयां।  सादर,

कृपया ध्यान दे...

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