For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

नेताओं देश शर्मसार है तुम पर

जवान होते ही हैं

शहीद होने के लिए

और नेता

वह तो शासक है

सोना उनका हक है

जवान जब गोली खा रहा होता है

नेता पार्टी कर रहे होते हैं

जवानों की चिता को

मुखाग्नि भी

राजनीति का अवसर देती है

उन्हें,

शहीदों की

माओं के चाक सीने पर भी

नमक छिड़कने से भी

बाज नही आते

विलाप, क्रंदन भी

अवसर हैं वोट की तिजारत के।

नेताओं

देश शर्मसार है तुम पर।

 

मीना पाठक
 
मौलिक/अप्रकाशित 

Views: 698

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by coontee mukerji on October 20, 2013 at 1:34am

तीखे व्यंग्य से ओत प्रोत आप की कविता आज की सामाजिक , राजनीतिक पर करारी चोट है.

जवान होते ही हैं

शहीद होने के लिए

और नेता

वह तो शासक है.......सादर /कुंती.


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on October 19, 2013 at 10:24pm

आपकी संवेदना और इस रचनाकर्म के प्रति साधुवाद.

एक बात :

सम्बोधन के रूप में प्रयुक्त संज्ञाओं के अंतिम ओकार में अनुस्वार नहीं होता.

सादर


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on October 19, 2013 at 9:54pm

बहुत संवेदनशील प्रस्तुति आदरणीय मीना जी

जवानों की शहादत पर वोटों की राजनीति करने वाले नेताओं पर देश ही नहीं इंसानियत भी शर्मसार है 

ह्रदय में शूल से चुभती ऐसी सच्चाइयों के प्रति पाठकों को चेताना लेखन की सार्थकता है.

इस सार्थक प्रस्तुति के लिए साधुवाद!

Comment by विजय मिश्र on October 19, 2013 at 5:37pm
बहुत कम शब्दों में इनके घटियापन को समेटने की चेष्टा कियी आपने न तो एक नेतायन लिखा चला जाएँ इनके कुत्सित कर्मों पर . साधुवाद मीनाजी .

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on October 19, 2013 at 3:36pm
वाह वा , आदरणीता मीना जी , आज की कुत्सित राजनीति का कड़वा सच आपने बयान कर दिया !!!! बहुत वधाई !!!!
Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on October 19, 2013 at 1:40pm

बहुत ही सुन्दर रचना आपकी आदरणीया

ह्रदय से बधाई स्वीकारें

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on October 19, 2013 at 10:12am
आज की स्वार्थ से परिपूर्ण नेताओं की राजनीति को बहुत ही बढ़िया रचना द्वारा आपने प्रस्तुत किया, बहुत बहुत बधाई आदरणीया मीना दीदी

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on October 19, 2013 at 9:18am

देश अगर शर्मसार होता तो राजनीति से गंदगी ही साफ़ हो जाती, ५ साल हम गलियाते हैं और फिर नाकाबिलों और बाहुबलियों को वोट दे के आते हैं, क्योंकि वो हमारे धर्म के होते हैं, वो हमारी जाति के होते हैं और क्योंकि उनसे हमें कही न कही व्यक्तिगत फायदा होने की उम्मीद होती है । 

हम सुधर जाएँ तो उनको तो कुत्ता भी न पूछे । 

सुन्दर और भावप्रधान रचना हेतु बहुत बहुत बधाई आदरणीया मीना पाठक जी । 

Comment by शकील समर on October 19, 2013 at 9:18am

बहुत सहीह चित्रण किया आपने आ. Meena Pathak  जी। भावुक हो गया। बधाई स्वीकार करें।


इसे सिलसिले में जनाब मुनव्वर राना का एक शेअर याद आ रहा है, सुनाने का मन कर रहा है—

सिपाही मोर्चे से उम्र भर पीछे नहीं हटता
सियासतदां जुबां देकर बआसानी पलटता है

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं।हार्दिक बधाई। भाई रामबली जी का कथन उचित है।…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय रामबली जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । बात  आपकी सही है रिद्म में…"
Tuesday
रामबली गुप्ता commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"बड़े ही सुंदर दोहे हुए हैं भाई जी लेकिन चावल और भात दोनों एक ही बात है। सम्भव हो तो भात की जगह दाल…"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई चेतन प्रकाश जी"
Monday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय, सुशील सरना जी,नमस्कार, पहली बार आपकी पोस्ट किसी ओ. बी. ओ. के किसी आयोजन में दृष्टिगोचर हुई।…"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . रिश्ते
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार "
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . संबंध
"आदरणीय रामबली जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार ।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"रोला छंद . . . . हृदय न माने बात, कभी वो काम न करना ।सदा सत्य के साथ , राह  पर …"
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service