For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

गजल: चांदनी आज तेरे छत पे अकेली होगी/शकील जमशेदपुरी

 बह्र: 2122 1122 1122 22

________________________________

जिंदगी और न अब कोई पहेली होगी
फिर से हाथों में मेरे तेरी हथेली होगी

प्यार में ताने सुनाने लगी दुनिया अब तो
क्या पता था मुझे नाम उसके हवेली होगी

कान किसने भरे उसके वो खफा है मुझसे
वो कोई और नहीं उसकी सहेली होगी

इश्क करती है किसी से वो इबादत की तरह
वो मुहब्बत के शहर में तो नवेली होगी

है खबर आज शहर में तू नहीं है शायद
चांदनी आज तेरे छत पे अकेली होगी

-शकील जमशेदपुरी

________________________

*मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 837

Facebook

You Might Be Interested In ...

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sushil.Joshi on October 24, 2013 at 7:23pm

बहुत खूब आ0 शकील भाई जी....

Comment by Nilesh Shevgaonkar on October 22, 2013 at 5:52pm

वाह व्वा .. बहुत खूब 

है खबर आज शहर में तू नहीं है शायद
चांदनी आज तेरे छत पे अकेली होगी.... क्या कहनें 

Comment by डॉ. अनुराग सैनी on October 21, 2013 at 11:26pm

मजा आ गया आखिरी शेर पर दिली दाद आपको |

Comment by annapurna bajpai on October 21, 2013 at 6:47pm

आदरणीय शकील जमशेद पूरी जी बहुत ही उम्दा भावों मे पगी हुई गजल , बहुत बधाई आपको । 

Comment by विजय मिश्र on October 21, 2013 at 5:55pm
काबिलेतारीफ .
Comment by Saarthi Baidyanath on October 21, 2013 at 12:52pm

वाह जी जनाब ...क्या शेर पढ़ा आपने 

है खबर आज शहर में तू नहीं है शायद
चांदनी आज तेरे छत पे अकेली होगी.....लाजवाब :)

Comment by Dr Ashutosh Mishra on October 21, 2013 at 12:20pm

 आदरणीय शकील जी ..आपका यह शेर इस ग़ज़ल की जान हैं

है खबर आज शहर में तू नहीं है शायद
चांदनी आज तेरे छत पे अकेली होगी....तकनीकी पक्ष मेरा भी उतना सुद्रढ़ नहीं है ..भाव बहुत अच्छे लगे ..आपको हार्दिक बधाई के साथ 

Comment by वीनस केसरी on October 21, 2013 at 1:50am

आख़िरी शेर पसंद आया

दूसरा शेर भर्ती का लगा

Comment by शकील समर on October 20, 2013 at 11:08am

आरदणीय Saurabh Pandey जी
आपके आशीर्वाद के साये में निरंतर बेहतर करने का प्रयास जारी है।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on October 20, 2013 at 10:21am

एक के बाद एक बढ़िया ग़ज़ल पेश कर जनाब शकील साहब आपने महफ़िल में चार चाँद लगा दिया है इस ग़ज़ल के भी सभी अशआर बेहतरीन है दिली दाद कुबूल करें

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"स्वागतम"
10 hours ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
10 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विरह शृंगार
"आदरणीय चेतन जी सृजन के भावों को मान और सुझाव देने का दिल से आभार आदरणीय जी"
19 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विरह शृंगार
"आदरणीय गिरिराज जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभारी है सर"
19 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। दोहों पर आपकी प्रतिक्रिया से उत्साहवर्धन हुआ। स्नेह के लिए आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और प्रशंसा के लिए आभार।"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आदरनीय लक्ष्मण भाई  , रिश्तों पर सार्थक दोहों की रचना के लिए बधाई "
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विरह शृंगार
"आ. सुशील  भाई  , विरह पर रचे आपके दोहे अच्छे  लगे ,  रचना  के लिए आपको…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आ. भाई चेतन जी सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति के लिए हार्दिक धन्यवाद।  मतले के उला के बारे में…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति के लिए आभार।"
yesterday
Chetan Prakash commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विरह शृंगार
"आ. सुशील  सरना साहब,  दोहा छंद में अच्छा विरह वर्णन किया, आपने, किन्तु  कुछ …"
yesterday
Chetan Prakash commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आ.आ आ. भाई लक्ष्मण धामी मुसाफिर.आपकी ग़ज़ल के मतला का ऊला, बेबह्र है, देखिएगा !"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service