For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

राह आसां नहीं है उल्फत की

२१२२     १२१२     २२

जिंदगी और इम्तिहान न ले

कुछ भी ले ले मेरा गुमान न ले 

मशविरा है यही फकीरों का  
यूं कभी दी हुई ज़बान न ले  


राह आसां नहीं  है उल्फत की

नन्हे से दिल मे आसमान न ले

चल खिलोनों से खेलते हैं हम

तू अभी हाथ में कृपान न ले 

जो पड़ोसी है मुल्क उसको बता  
असलहों से भरी दुकान न ले

खुल के जी खुद भी, सब को दे जीने  

अपनी मुट्ठी मे तू जहान न ले  

जिन की झोली में बस दुआयें हों  

उन फकीरों से उन की आन न ले

मौलिक एवं अप्रकाशित 

डॉ आशुतोष मिश्र 

Views: 908

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by डॉ. सूर्या बाली "सूरज" on November 10, 2013 at 12:18pm

मिश्रा जी छोटे बहर मे अच्छी ग़ज़ल हुई है खास कर ये शेर तो बहुत उम्दा हुआ है॥

राह आसां नहीं  है उल्फत की

नन्हे से दिल मे आसमान न ले

दाद कुबूल हो ! 

Comment by Sushil.Joshi on October 24, 2013 at 8:34pm

सुंदर भावों का संप्रेषण है आदरणीय आशुतोष जी......  बधाई स्वीकारें....

Comment by वेदिका on October 24, 2013 at 8:47am

बहर दे दें तो हमे आसानी हो जाए गज़ल समझने में|

सादर!!

Comment by Nilesh Shevgaonkar on October 24, 2013 at 8:00am

बेहद प्रभावकारी ग़ज़ल ...बधाई,  

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on October 23, 2013 at 11:26pm

जिन की झोली में बस दुआयें हों  

उन फकीरों से उन की आन न ले......वाह! अति प्रभावशाली

हार्दिक बधाई स्वीकारें आदरणीय डा.आशुतोष जी

Comment by Meena Pathak on October 23, 2013 at 7:10pm

बहुत सुन्दर प्रस्तुति ... हार्दिक बधाई स्वीकारें | सादर 

Comment by annapurna bajpai on October 23, 2013 at 6:32pm

जो पड़ोसी है मुल्क उसको बता  
असलहों से भरी दुकान न ले

खुल के जी खुद भी, सब को दे जीने  

अपनी मुट्ठी मे तू जहान न ले ................. प्रभाव शाली पंक्तियाँ बहुत बधाई आपको । 

Comment by राजेश 'मृदु' on October 23, 2013 at 5:10pm

इस सुंदर प्रस्‍तुति पर आपको हार्दिक बधाई

Comment by ram shiromani pathak on October 23, 2013 at 4:11pm

आदरणीय आशुतोष जी बहुत ही सुन्दर ग़ज़ल //// //हार्दिक बधाई आपको 

Comment by विजय मिश्र on October 23, 2013 at 4:07pm
"जो पड़ोसी है मुल्क उसको बता
असलहों से भरी दुकान न ले
खुल के जी खुद भी, सब को दे जीने
अपनी मुट्ठी मे तू जहान न ले |" ---- बहुत सही फरमाया जनाब , शुक्रिया .

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"२१२२ २१२२ २१२२ २१२ अब तुम्हारी भी रगों में खूँ उबलना चाहिए ज़ुल्म करने वालों का सीना दहलना…"
47 minutes ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"इसमें एडमिन की सहायता लगेगी आपको।"
3 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय तिलकराज कपूर जी, आज लाइव तरही मुशायरा में मैने जो ग़ज़ल पोस्ट की है उसके काफिये में…"
5 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"ग़ज़ल आ गया है वक्त अब सबको बदलना चाहिये। मेहनत से जिन्दगी में रंग भरना चाहिये। -मेहनतकश की नहीं…"
13 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"अभी तो तात्कालिक सरल हल यही है कि इसी ग़ज़ल के किसी भी अन्य शेर की द्वितीय पंक्ति को गिरह के शेर…"
14 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आ. तिलकराज सर, मैंने ग़ज़ल की बारीकियां इसी मंच से और आप की कक्षा से ही सीखीं हैं। बहुत विनम्रता के…"
16 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post पूनम की रात (दोहा गज़ल )
"परम आदरणीय सौरभ पांडे जी व गिरिराज भंडारी जी आप लोगों का मार्गदर्शन मिलता रहे इसी आशा के…"
18 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आ. भाई तिलकराज जी, सादर अभिवादन। 'मिलना' को लेकर मेरे मन में भी प्रश्न था, आपके…"
19 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"2122 2122 2122 212 दोस्तों के वास्ते घर से निकलना चाहिए सिलसिला यूँ ही मुलाक़ातों का चलना चाहिए…"
19 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय तिलक जी नमस्कार  बहुत बहुत आभार आपका ,ये प्रश्न मेरे मन में भी थे  सादर "
20 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"इस बार के तरही मिसरे को लेकर एम प्रश्न यह आया कि ग़ज़ल के मत्ले को देखें तो क़ाफ़िया…"
21 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति औल स्ने के लिए आभार।"
22 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service