दो पल की है ज़िन्दगी,हँस के जी लो यार !
कटुता को अब भूलकर ,बाटो थोड़ा प्यार!!
देने से मिलता सदा,खुद को भी सम्मान !
इस निवेश की गूढ़गति ,ध्यान रखें श्रीमान !!
रोम रोम पुलकित हुआ ,कितना कोमल वार !
अधरों पर मुसकान है ,तिरछे नैन कटार!!
मधुर कंठ की स्वामिनी,कोमल मृदु बर्ताव !
कष्टों पर औषधि सदृश ,भर जाती है घाव !!
घर घर में दिखते मुझे,दुस्शासन लंकेश !
फिर कैसे बँधते भला,द्रुपद सुता के केश!!
गिरते पत्ते कह रहे,छोटी सी यह बात!
सब मिट्टी का है बना,उसमें मिलना तात!!
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राम शिरोमणि पाठक"दीपक"
मौलिक/अप्रकाशित
Comment
दोहा दर दोहा अनुमोदन व् अमूल्य सुझाव के लिए बहुत बहुत आभार आदरणीय सौरभ जी,सुधारने का प्रयास करता हूँ ............ सादर
दो पल की है ज़िन्दगी,हँस के जी लो यार !
कटुता को अब भूलकर ,बाटो थोड़ा प्यार!!.......... बाटो या बाँटो ? वैसे संदेश सार्थक है.
देने से मिलता सदा, खुद को भी सम्मान !
इस निवेश की गूढ़गति ,ध्यान रखें श्रीमान !!.. ...वाह ! संयत शब्दावलि और सुगढ़ प्रयास हुआ है.
रोम रोम पुलकित हुआ ,कितना कोमल वार !
अधरों पर मुसकान है ,तिरछे नैन कटार!!......... :-)))))
मधुर कंठ की स्वामिनी,कोमल मृदु बर्ताव !
कष्टों पर औषधि सदृश ,भर जाती है घाव !!.... . क्या.. क्या भर जाती है ?
मृदु बर्ताव और मधुर कंठ की स्वामिनी कष्टों पर औषधि सदृश क्या भर जाती है ? घाव !
मुझे तो पल्ले यही पड़ा... लाहौलबिला कुव्वत !.... :-(((
घर घर में दिखते मुझे,दुस्शासन लंकेश !
फिर कैसे बँधते भला,द्रुपद सुता के केश!! .... . .. सर्वश्रेष्ठ दोहा छंद ! इस प्रस्तुति का ही नहीं, आपकी कई-कई प्रस्तुतियों के माध्यम से आये दोहों में यह दोहा उत्तम है. बधाई भाई..
आदरणीय अजीत आकाशजी ने दुस्शासन की अक्षरी की तरफ़ इशारा किया है. इसे तुरत दुरुस्त कर लें.
गिरते पत्ते कह रहे,छोटी सी यह बात!
सब मिट्टी का है बना,उसमें मिलना तात!!.... . . ..इस दोहे पर तो मेरा भी दोहा कहना बनता है भाई.. :-)))
रखने को तो रख रहे, राम शिरोमणि तथ्य
लेकिन दोहे का ’वचन’, हज़म करे न कुपथ्य .. . हा हा हा हा..... :-)))))
यानि साहेब, सब मिट्टी का है बना ? या, सब मिट्टी के हैं बने ???
आप द्वारा हो रहा सतत प्रयास आश्वस्त कर रहा है, भाई.
बधाई और शुभकामनाएँ
सुझाव व प्रशंसा हेतु हार्दिक आभार आदरणीय अजीत जी .... सादर
हार्दिक आभार आदरणीय विजय निकोर जी .... सादर
बहुत शानदार खिचड़ी रही. भाई ऐसे शानदार दोहे कहने के लिए बहुत-बहुत बधाई...... खिचड़ी नहीं, ये बहुत टेस्टी 'तहरी' है..... वाह !!!
कृपया ‘ दुस्शासन ‘ की स्पेलिंग शुद्ध कर लें ... बहुत- बहुत बधाई भाई राम शिरोमणि जी !!!
दोहे अच्छे लगे।बधाई।
बहुत आभार आदरणीया महिमा जी ………… सादर
देने से मिलता सदा,खुद को भी सम्मान !
इस निवेश की गूढ़गति ,ध्यान रखें श्रीमान... बहुत ही सुंदर , लाजवाब हार्दिक बधाई राम भाई
बहुत बहुत आभार आदरणीया अन्नपूर्णा जी। ........ सादर
उत्साह वर्धन हेतु बहुत बहुत आभार भाई जीतेन्द्र जी। ........ सादर
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