हम है क्या कुछ भी नहीं, ईश अंश ही सार,
मन के भीतर रोंप दे, सद आचार विचार |
त्याग और सहयोग का, जिसके दिल में वास
माली जैसा भाव हो, उस पर ही विश्वास |
समय नहीं करुणा नहीं, बाते करते व्यर्थ,
भाव बिना सहयोग के, साथी का क्या अर्थ |
समीकरण बैठा सके, बहिर्मुखी वाचाल,
संख्या उनके मित्र की, होती बहुत विशाल |
घंटों उठते बैठते, कछु न मदद की आस,
समय गुजारे व्यर्थ में, दोस्त नहीं वे ख़ास |
(मौलिक व् अप्रकाशित)
Comment
आदरणीय लक्ष्मण भाई,
सुंदर दोहे , हार्दिक बधाई॥
सुन्दर दोहे! आपको हार्दिक बधाई!
घंटों उठते बैठते, कछु न मदद की आस,
समय गुजारे व्यर्थ में, दोस्त नहीं वे ख़ास.....बहुत सुंदर कहा है.....बहुत से लोग न अपने समय की कीमत जानते है दूसरों की....हार्दिक बधाई . सादर
हार्दिक आभार श्री बैद्यनाथ सारथि जी एवं श्री जितेन्द्र गीत जी
जीवन में सही साथी की पहचान हेतु बहुत सटीक सार्थक दोहे, यह दोहा बहुत सुंदर लगा बधाई आदरणीय लक्ष्मण जी
त्याग और सहयोग का, जिसके दिल में वास
माली जैसा भाव हो, उस पर ही विश्वास |
समय नहीं करुणा नहीं, बाते करते व्यर्थ,
भाव बिना सहयोग के, साथी का क्या अर्थ |....बहुत ही अर्थपूर्ण दोहे हैं आदरणीय ! नमन सहित !
शुक्रिया भाई श्री गिरिराज भंडारी जी
आप सभी का हार्दिक आभार आदरणीया राजेश कुमारी जी, अन्नपूर्णा बाजपाई जी, मीना पाठक जी और वंदना जी | सादर
त्याग और सहयोग का, जिसके दिल में वास
माली जैसा भाव हो, उस पर ही विश्वास |
बहुत सुन्दर भाव प्रवण दोहे आदरणीय
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