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हम है क्या कुछ भी नहीं, ईश अंश ही सार,

मन के भीतर रोंप दे, सद आचार विचार |

 

त्याग और सहयोग का, जिसके दिल में वास

माली जैसा भाव हो, उस पर ही विश्वास |

 

समय नहीं करुणा नहीं, बाते करते व्यर्थ,

भाव बिना सहयोग के, साथी का क्या अर्थ |

 

समीकरण बैठा सके, बहिर्मुखी वाचाल,

संख्या उनके मित्र की, होती बहुत विशाल |

 

घंटों उठते बैठते, कछु न मदद की आस,

समय गुजारे व्यर्थ में, दोस्त नहीं वे ख़ास |

(मौलिक व् अप्रकाशित)

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Comment by विजय मिश्र on February 3, 2014 at 10:08am
आदरणीय लक्ष्मणजी , मित्रता का इस दौर में जो स्वरुप है , इन दोहों में वास्तविक चित्र उभारे आपने और इस दोहे में समझाया भी , आभार |

समय नहीं करुणा नहीं, बाते करते व्यर्थ,
भाव बिना सहयोग के, साथी का क्या अर्थ |
Comment by अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव on February 3, 2014 at 9:48am

आदरणीय लक्ष्मण भाई, 

सुंदर दोहे , हार्दिक बधाई॥

Comment by बृजेश नीरज on February 2, 2014 at 10:25pm

सुन्दर दोहे! आपको हार्दिक बधाई!

Comment by coontee mukerji on February 2, 2014 at 3:36pm

घंटों उठते बैठते, कछु न मदद की आस,

समय गुजारे व्यर्थ में, दोस्त नहीं वे ख़ास.....बहुत सुंदर कहा है.....बहुत से लोग न अपने समय की कीमत जानते है दूसरों की....हार्दिक बधाई . सादर

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on February 2, 2014 at 12:13pm

हार्दिक आभार श्री बैद्यनाथ सारथि जी एवं श्री जितेन्द्र गीत जी 

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on February 2, 2014 at 9:52am

जीवन में सही साथी की पहचान हेतु बहुत सटीक सार्थक दोहे, यह दोहा बहुत सुंदर लगा बधाई आदरणीय लक्ष्मण जी

त्याग और सहयोग का, जिसके दिल में वास

माली जैसा भाव हो, उस पर ही विश्वास |

 

Comment by Saarthi Baidyanath on February 1, 2014 at 11:27pm

समय नहीं करुणा नहीं, बाते करते व्यर्थ,

भाव बिना सहयोग के, साथी का क्या अर्थ |....बहुत ही अर्थपूर्ण दोहे हैं आदरणीय ! नमन सहित !

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on February 1, 2014 at 9:59pm

शुक्रिया भाई श्री गिरिराज भंडारी जी 

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on February 1, 2014 at 9:58pm

आप सभी का हार्दिक आभार आदरणीया राजेश कुमारी जी, अन्नपूर्णा बाजपाई जी, मीना पाठक जी और वंदना जी | सादर 

Comment by vandana on February 1, 2014 at 9:04pm

त्याग और सहयोग का, जिसके दिल में वास

माली जैसा भाव हो, उस पर ही विश्वास |

बहुत सुन्दर भाव प्रवण दोहे आदरणीय 

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