For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

राजरानी के नवासे आप हैं - लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

2122        2122     2122      212


जानता  हूँ  देह   के  बेलौस  प्यासे  आप  हैं
किन्तु जनता की नजर में संत खासे आप हैं

*
खुशमिजाजी आप की सन्देश देती और कुछ
लोग कहते  यूँ बहुत पीडि़त  जरा से  आप है

*
राह में उगते  बबूलों  को  तुम्हीं  सीचा  किये
किसलिए  फिर दर्द  पर  मेरे  रुआँसे आप हैं

*
आपका रुतवा सियासत में है केवल इसलिए
देश   कहता  राजरानी  के  नवासे  आप   हैं

*
कह रहे मुझको तमाशेबाज , तुम भी खूब हो
पर हकीकत  रोज करते  तो तमाशे  आप हैं

*
जानते हो  खुद के  बारे भाग दसवाँ भी नहीं
और  मेरी फितरतों के  सौ खुलासे  आप  हैं

रचना मौलिक और अप्रकाशित

Views: 846

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on May 1, 2014 at 9:36am

सभी विद्वजनों और शुभचिंतकों का हार्दिक आभार कि उत्साहवर्धन के साथ साथ कमियों से भी अवगत कराया. दरअसल शुतुरगुरबा एब का ज्ञान न होने के कारन इसमें कमियां रह गयी . अब भविष्य में इस कमी को न आने दूंगा .

जिन पंक्तियों में यह दोष आ रहा है उनमे सुधर के साथ इस प्रकार पढ़ा जा सकता है -

१. राह में उगते  बबूलों  को  तुम्हीं  सीचा  किये = राह में उगती  बबूलें आप ही  सीचा  किये

२. कह रहे मुझको तमाशेबाज , तुम भी खूब हो  =आप कहते हैं तमाशेबाज मुझको क्या गजब

३. जानते हो  खुद के  बारे भाग दसवाँ भी नहीं = जानते हैं  खुद के  बारे भाग दसवाँ भी नहीं

आप सभी से अनुरोध है कि सुधार पर प्रतिक्रिया अवश्य दें . हार्दिक धन्यवाद .


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on May 1, 2014 at 2:01am

कहन तो लाजवाब हुई है, अंदाज़ भी रोचक है. लेकिन कई शेर एक ही इंगित के लिए तुम, आप दोनों के सर्वनाम में झूलते दिख रहे हैं. यह दोष माना जाता है.

शुभेच्छाएँ.

Comment by savitamishra on April 19, 2014 at 7:59pm


सुन्दर ग़ज़ल


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on April 19, 2014 at 6:52pm

सामयिक कहन पर सुन्दर ग़ज़ल हुई है , हार्दिक बधाई 

पर, तीसरे , पांचवें और छठे शेर में शुतुर्गुर्बा का ऐब बन रहा है ...उसे देख लें 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on April 14, 2014 at 12:15pm

आदरणीय लक्ष्मण भाई , पूरी ग़ज़ल बहुत लाजवाब कही है , आपको मेरी दिली बधाइयाँ !! बहुत पीडि़त  जरा से  आप है -- इस मिसरे मे बहुत और ज़रा सा - दोनो एक साथ हैं , सोच के देखियेगा !!

Comment by भुवन निस्तेज on April 13, 2014 at 11:40pm

एह्तारीन गज़ल के  लिए दाद कबूल करें आदरणीय.  

Comment by Anurag Singh "rishi" on April 13, 2014 at 12:58pm

वाह खूबसूरत ग़ज़ल बेहद संजीदा तरीके से व्यंग करते शेर
दाद क़ुबूल फरमाएं

Comment by Shyam Narain Verma on April 12, 2014 at 3:17pm
बहुत सुन्दर गजल।  ढेरों दाद कुबूल करें। सादर.............
Comment by gumnaam pithoragarhi on April 12, 2014 at 12:39pm

जानता  हूँ  देह   के  बेलौस  प्यासे  आप  हैं
किन्तु जनता की नजर में संत खासे आप हैं

*
खुशमिजाजी आप की सन्देश देती और कुछ
लोग कहते  यूँ बहुत पीडि़त  जरा से  आप है

*

वाह सर जी ग़ज़ल अच्छी लगी बधाई

Comment by वेदिका on April 12, 2014 at 10:05am
बहूत खूब सम सामयिक गजल हुयी है। बेहतरीन शेर हुए है। आ0 शिज्जू जी की बात 'शे का दोष' को गौर करिएगा।
बधाई प्रेषित करती हूँ
सादर

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Chetan Prakash commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल के
"अच्छी ग़ज़ल हुई, भाई  आज़ी तमाम! लेकिन तीसरे शे'र के सानी का भाव  स्पष्ट  नहीं…"
13 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on surender insan's blog post जो समझता रहा कि है रब वो।
"आदरणीय सुरेद्र इन्सान जी, आपकी प्रस्तुति के लिए बधाई।  मतला प्रभावी हुआ है. अलबत्ता,…"
22 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . . .
"आदरणीय सौरभ जी आपके ज्ञान प्रकाश से मेरा सृजन समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय जी"
yesterday
Aazi Tamaam posted a blog post

ग़ज़ल: चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल के

२२ २२ २२ २२ २२ २चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल केहो जाएँ आसान रास्ते मंज़िल केहर पल अपना जिगर जलाना…See More
yesterday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 182 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है| इस बार का…See More
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey added a discussion to the group भोजपुरी साहित्य
Thumbnail

गजल - सीसा टूटल रउआ पाछा // --सौरभ

२२ २२ २२ २२  आपन पहिले नाता पाछानाहक गइनीं उनका पाछा  का दइबा का आङन मीलल राहू-केतू आगा-पाछा  कवना…See More
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . . .
"सुझावों को मान देने के लिए हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय सुशील सरना जी.  पहला पद अब सच में बेहतर हो…"
yesterday
Sushil Sarna posted a blog post

कुंडलिया. . . .

 धोते -धोते पाप को, थकी गंग की धार । कैसे होगा जीव का, इस जग में उद्धार । इस जग में उद्धार , धर्म…See More
Wednesday
Aazi Tamaam commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"एकदम अलग अंदाज़ में धामी सर कमाल की रचना हुई है बहुत ख़ूब बधाई बस महल को तिजोरी रहा खोल सिक्के लाइन…"
Tuesday
surender insan posted a blog post

जो समझता रहा कि है रब वो।

2122 1212 221देख लो महज़ ख़ाक है अब वो। जो समझता रहा कि है रब वो।।2हो जरूरत तो खोलता लब वो। बात करता…See More
Tuesday
surender insan commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन। अलग ही रदीफ़ पर शानदार मतले के साथ बेहतरीन गजल हुई है।  बधाई…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . . .
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन के भावों को मान देने तथा अपने अमूल्य सुझाव से मार्गदर्शन के लिए हार्दिक…"
Tuesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service