(2212 2212)
या बेख़ुदी की बात कर।
या दिल्लगी की बात कर।
तू ये बता क्या हाल है?
अपनी ख़ुशी की बात कर।
अब उस सदी की बात क्यूँ?
तू इस सदी की बात कर।
जो याद करता हो तुझे,
तू भी उसी की बात कर।
या तो ख़ुदा का नाम ले,
या बंदगी की बात कर।
जो कान में रस घोल दे,
उस बांसुरी की बात कर।
है क्या रखा इस जंग में?
कुछ आशिक़ी की बात कर।
जो भेंट ज्वाला की चढ़ी,
उस लाडली की बात कर।
क्या ख़ुदकुशी से हल मिला?
अब ज़िंदगी की बात कर।
ताले ज़बां के खोल दे,
मत बेबसी की बात कर।
तू ले मज़ा इस रात का,
बस चाँदनी की बात कर।
तू-मैं, ख़ुदा तो हैं नहीं,
चल आदमी की बात कर!
जिसपे फ़िदा है 'ज़ैफ़' तू,
उस सांवरी की बात कर।
"मौलिक व अप्रकाशित"©
Comment
सुंदर गज़ल के लिये आपको हार्दिक बधाई.
क्या ख़ुदकुशी से हल मिला?
अब ज़िंदगी की बात कर। - सुन्दर और सार्थक गजल रचना | बहुत बहुत बधाई
waah bahut khoob bhai ji achchhi gazal kahi hai badhai sweekaren,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
बहुत बढ़िया ग़ज़ल..... |
ek pyaaree gazal ke liye DAAD sweekar karen
या तो खुदा का नाम ले या बंदगी की बात कर i
और
तू-मै खुदा तो है नहीं चल आदमी की बात कर i
वह यमित जी i दिल मोह लिया i बहुत सुन्दर i भाव पक्ष अति सबल i बधाई हो i
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