काम से थककर चूर पत्नी ने कमर पीड़ा से कराहते हुए दर्द भरे स्वर में कहा - ‘हाय रा s sम !’
बिस्तर पर लेटे –लेटे पति ने पत्नी की व्यथा सुनी, बुरा सा मुंह बनाया और जोर से आह भरी – ‘हाय सी s sता !'
[अप्रकाशित व् मौलिक]
Comment
महनीया
आपका ह्रदय से आभार i
नारी के प्रति पुरुष की असंवेदनशीलता का यह प्रारूप बहुत ही सामान्य है...
आपने दो पंक्तियों में एक क्षण विशेष के साथ ही एक मानसिकता को शब्दों से चित्रांकित किया है
कम शब्दों में सहजता से अपना असर छोड़ती इस लघुकथा पर हार्दिक बधाई
आदरणीय सौरभ जी
आलोचना की ग्राह्यता पर मैंने अपने सामान्य विचार दिए थे i किसी रचना विशेष से आशय नहीं था i सादर i
निलेश जी
आपके शब्दों से बड़ा बल मिला i सादर i
आदरनी शरदिंदु जी
सादर आभार i आपके प्रोत्साहन से बल मिला i
आदरणीय योगराज जी
आपके विचारो ने संजीवन सा प्रदान किया i आभार आदरणीय i
आदरणीय गोपालनारायनजी,
//मै आलोचना को सदैव सकारात्मक लेता हूँ i मुझे खुशी होती है कि आप जैसे विद्वान मेरी रचना पर इतना समय देकर मार्ग प्रशस्त करते है //
मैंने आपकी इस लघुकथा पर कोई टिप्पणी ही नहीं की है. न कोई कथा सुलभ विचार दिये हैं.
आपकी प्रस्तुति पर आये मंतव्यों पर मैंने अपने विचार अभिव्यक्त किये हैं.
सादर
मुझे कथा-कहानी की अधिक समझ नहीं है लेकिन जो पढ़ा उसमे चुटकुले या हास्य जैसा तो कुछ भी नहीं है लेकिन ये किसी के कटाक्ष पर कटाक्ष सा लगा ..
कुल मिला कर बात संप्रेषित हुई ...और अभिव्यक्ति का प्रथम और अंतिम उद्देश्य वही है ..
सादर
लघुकथा एक लम्हा चुराने का नाम है, और वो लम्हा बेहद खूबसूरती से कैमरे की आँख से आ० डॉ गोपाल नारायण श्रीवास्तव जी ने क़ैद किया है. एक पीड़ भरे स्वर के प्रतिउत्तर में ऐसी असंवेदनशील प्रतिक्रिया बहुत कुछ कह गई है. बाकी तो सोच अपनी अपनी - ख्याल अपना अपना। लेकिन मेरे लिए :
(बकौल शायर)
उनको खुद मिले है खुद की जिन्हें तलाश
मुझ को तो बस इक झलक मेरे दिलदार की मिले।
और मुझे वो झलक मिल गई है, अत:मेरी दिली बधाई स्वीकारें आ० डॉ गोपाल नारायण श्रीवास्तव जी.
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online