For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

लघुकथा-थप्पड़/कल्पना रामानी

अपने बच्चों को सिंकते हुए भुट्टे और बिकते हुए जामुनों  को ललचाई नज़रों से देखते हुए वो मन मसोस कर रह जाती थी। आज उसे तनख़्वाह मिली थी, उसके हाथों में पोटली देख कोने में खेलते हुए दोनों बच्चे खिलौने छोड़ दौड़ पड़े। तभी बीड़ी पीते हुए पति ने उससे कहा-“ला  पैसे, बहुत दिनों से गला तर नहीं हुआ”... “लेकिन आज मैं बच्चों के लिए...” “तड़ाक!..."  "तो तू मेरे खर्च में कटौती करेगी?” पोटली जमीन पर गिरी, जामुन  और भुट्टे मैली ज़मीन सूँघने लगे और... माँ पर पड़े थप्पड़ से सहमे हुए बच्चे अपना गाल सहलाते हुए पुनः अपने टूटे-फूटे खिलौनों के साथ कोने में दुबक गए।

मौलिक व अप्रकाशित

Views: 693

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by savitamishra on August 11, 2014 at 4:21pm

बहुत खुबसुरत दी ..सादर नमस्ते

Comment by कल्पना रामानी on July 10, 2014 at 6:50pm

उत्साह वर्धन के लिए सादर धन्यवाद आदरणीय सौरभ जी


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on July 9, 2014 at 6:04pm

एक ऐसी घटना को शब्द मिला है जो ऐसे परिवारों में आम हुआ करती है.

गरीबी, दारू, अतार्किक हठ, सहमा बचपन और प्रताड़ित पत्नियाँ.. एक ऐसा समुच्चय बनाता है जो समाज का अभिशप्त रूप है.

प्रस्तुति के लिए धन्यवाद आदरणीय़ा

Comment by कल्पना रामानी on July 7, 2014 at 10:26pm

लघुकथा आपको अच्छी लगी, मन हर्षित हुआ, हार्दिक धन्यवाद प्रिय बृजेश जी

Comment by बृजेश नीरज on July 7, 2014 at 8:39pm

मार्मिक लघु कथा! आपके शब्दों ने दृश्य को बखूबी उभारा है! आपको बहुत-बहुत बधाई!

Comment by कल्पना रामानी on July 4, 2014 at 10:47pm

आदरणीय शुभ्रांशु जी, आपने रचना के कमजोर बिन्दु की ओर ध्यान आकर्षित करवाया इसके लिए बहुत धन्यवाद। मेरा इस तरफ ध्यान ही नहीं गया। संशोधन तो करना ही पड़ेगा।/सादर

Comment by कल्पना रामानी on July 4, 2014 at 10:36pm

 आदरणीय शुभ्रांशुजी,  विजय शंकरजी,    जितेंद्र जी, प्रमोद श्रीवास्तवजी  लक्ष्मण लड़ीवाला जी   गोपाल नारायण जी,प्रियंका जी , राजेश कुमारीजी, सविता जी, मंजरी जी, लघुकथा पर आप सबकी सराहना से मुझे हार्दिक प्रसन्नता हुई। आप सबका सादर धन्यवाद  

Comment by Dr. Vijai Shanker on July 4, 2014 at 8:34pm
कहीं भी सही जगह होते अपनी इस हरकत पर बिलकुल सही जगह होते , यहां तो आपने हीरो ( कहानी का नायक ) बना दिया , वैसे भुट्टेवाली ही क्यों हर सामाजिक स्तर में ऐसे हीरो मिल जाते हैं , जो देते कुछ हैं नहीं छीन और लेते हैं .
मार्मिक चित्रण के लिए बधाई .
Comment by mrs manjari pandey on July 3, 2014 at 8:37pm
आदरणीया सुन्दर लघुकथा के लिए बधाई
Comment by PRAMOD SRIVASTAVA on July 3, 2014 at 7:12pm

bahut marmik kath . badhaai

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Profile IconSarita baghela and Abhilash Pandey joined Open Books Online
2 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब साथियो। त्योहारों की बेला की व्यस्तता के बाद अब है इंतज़ार लघुकथा गोष्ठी में विषय मुक्त सार्थक…"
17 hours ago
Jaihind Raipuri commented on Admin's group आंचलिक साहित्य
"गीत (छत्तीसगढ़ी ) जय छत्तीसगढ़ जय-जय छत्तीसगढ़ माटी म ओ तोर मंईया मया हे अब्बड़ जय छत्तीसगढ़ जय-जय…"
22 hours ago
LEKHRAJ MEENA is now a member of Open Books Online
Wednesday
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"शेर क्रमांक 2 में 'जो बह्र ए ग़म में छोड़ गया' और 'याद आ गया' को स्वतंत्र…"
Sunday
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"मुशायरा समाप्त होने को है। मुशायरे में भाग लेने वाले सभी सदस्यों के प्रति हार्दिक आभार। आपकी…"
Sunday
Tilak Raj Kapoor updated their profile
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई जयहिन्द जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है और गुणीजनो के सुझाव से यह निखर गयी है। हार्दिक…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई विकास जी बेहतरीन गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. मंजीत कौर जी, अभिवादन। अच्छी गजल हुई है।गुणीजनो के सुझाव से यह और निखर गयी है। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। मार्गदर्शन के लिए आभार।"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service